एमएसपी 2450 रुपए, पर मिल रहे 1700–1800; झारखंड के किसान बंगाल भेज रहे धान

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जागरण संवाददाता, चाकुलिया। झारखंड के चाकुलिया प्रखंड सहित पूरे घाटशिला अनुमंडल में इस वर्ष अच्छी वर्षा के कारण धान की बंपर पैदावार हुई है। ज्‍यादातर खेतों में कटाई का काम लगभग पूरा हो चुका है।    किसान अपने खलिहान में धान जमा कर चुके हैं और अब बेचने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन समस्या यह है कि सरकारी धान अधिप्राप्ति केंद्र अभी तक नहीं खुले हैं।      
धान की बिक्री नहीं होने से अन्‍नदाता हो रहे परेशान ऐसे में किसान समझ नहीं पा रहे कि मेहनत से उपजाया गया धान आखिर जाए तो जाए कहां? सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2450 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीद शुरू न होने के कारण किसान मजबूरी में 1700 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर धान बेच रहे हैं।    स्थानीय लोगों के अनुसार, बिचौलियों के जरिए यहां का धान बड़ी मात्रा में पश्चिम बंगाल भेजा जा रहा है। किसान कहते हैं कि जब तक झारखंड में खरीद केंद्र खुलते हैं, तब तक अधिकांश छोटे और मझोले किसान कर्ज चुकाने और घरेलू जरूरी खर्चों के लिए अपना धान कम कीमत पर बेच देते हैं।    ऐसे में वे एमएसपी का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं। जानकार बताते हैं कि पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में 15 नवंबर से ही धान अधिप्राप्ति केंद्र खोल दिए गए हैं और वहां समर्थन मूल्य पर खरीदी जारी है।      
15 दिसंबर से खुल सकते हैं धान क्रय केंद्र इसके विपरीत झारखंड में हर साल की तरह इस बार भी देरी हो रही है। स्थानीय प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, चाकुलिया प्रखंड में 15 दिसंबर से धान क्रय केंद्र खोलने की तैयारी चल रही है।    इसके बाद धान की खरीद प्रक्रिया शुरू होगी। लेकिन किसानों की समस्याएं इससे खत्म नहीं होतीं। धान बेचने के बाद भी भुगतान मिलने में महीनों लग जाते हैं।    किसान रमाकांत शुक्ला और सनत पाल बताते हैं कि झारखंड में सरकारी खरीद देर से शुरू होने और भुगतान में देरी के कारण किसानों का भरोसा टूट रहा है। उनका सुझाव है कि 15 नवंबर, यानी झारखंड स्थापना दिवस से ही हर साल धान खरीद आरंभ होनी चाहिए ताकि किसानों को समय पर उचित मूल्य मिल सके।

11000 हेक्टेयर भूमि पर हुई धान की खेती, उत्पादन करीब 5 लाख क्वि‍ंटल
चाकुलिया प्रखंड में इस वर्ष कुल 11000 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती हुई है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी शिवानंद घटवारी ने बताया कि इस वर्ष 12,847 हेक्टेयर भूमि पर खरीफ धान उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था।   इसके विरुद्ध 85 प्रतिशत यानी 10,920 हेक्टेयर पर फसल बोई गई। प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 40–50 क्विंटल के हिसाब से प्रखंड में लगभग 5 लाख क्विंटल धान की पैदावार होने का अनुमान है।    इतनी ज्‍यादा मात्रा में उत्पादन के बावजूद सरकारी खरीद केंद्रों के देरी से खुलने के कारण किसान आर्थिक दबाव में आ रहे हैं। यदि समय पर खरीद शुरू हो और भुगतान में तेजी आए, तो यह क्षेत्र कृषि की दृष्टि से आत्मनिर्भर और समृद्ध बन सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
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