दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। लाल किले में आयोजित अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर यूनेस्को की अंतर-सरकारी समिति के 20वें सम्मेलन के शुरू होने की पूर्व संध्या पर आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी पहुंचीं।
इस मौके पर उन्होंने इस शहर की इंद्रप्रस्थ से आधुनिक दिल्ली तक 3000 वर्षों की सतत जीवित सभ्यता पर प्रकाश डाला। कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन के साथ दिल्ली की आत्मा, उसके रंग, उसकी खुशबू भी महसूस करें।
समारोह में विदेश मंत्री डा एस. जयशंकर, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, यूनेस्को के महानिदेशक डा. खालिद अल एनानी तथा यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी. शर्मा के साथ सम्मिलित हुए।
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भारत की सांस्कृतिक विरासत विश्व की सबसे समृद्ध विरासतों में से एक
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत विश्व की सबसे समृद्ध विरासतों में से एक है। वेद, उपनिषद, योग से लेकर प्रकृति, ऋतु, फसलों और सद्भाव का उत्सव मनाने वाले हमारे त्योहारों, अनुष्ठानों और प्रदर्शन कलाओं तक, भारत सदैव मानता आया है कि संस्कृति संग्रहालयों में नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में जीवित रहती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उन्होंने कहा कि इस वर्ष के यूनेस्को के इस सम्मेलन की मेजबानी करते हुए भारत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के प्रति अपने दृढ़ संकल्प को दोहराता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जब दुनिया तीव्र आधुनिकीकरण, जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और डिजिटल बदलावों के दौर से गुजर रही है, ऐसे समय में अमूर्त विरासत का संरक्षण और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
उन्होंने उल्लेख किया कि हाल के वर्षों में भारत ने अपने पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों, सांस्कृतिक प्रथाओं और त्योहारों को वैश्विक मंच पर प्रोत्साहित करने पर विशेष बल दिया है। यह प्रयास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस दूरदर्शी दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें भारत की सांस्कृतिक जड़ों और परंपराओं को सशक्त बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता है। |