सेवानिवृत्त शिक्षक शिवनंदन सिंह
प्रो. हरेराम सिंह, नावकोठी (बेगूसराय)। नावकोठी के शिक्षाविदों और ग्रामीणों ने 66 वर्ष पहले जिस शिक्षा मंदिर की कल्पना की थी, वह आज सरकारी लापरवाही और स्थानीय स्तर पर मनमानी की भेंट चढ़ चुका है।
1960 में स्थापित राम कुमारी अयोध्या डिग्री कॉलेज आज केवल नाम भर रह गया है, जबकि इसके लिए गांव के अनेक बुद्धिजीवियों और किसानों ने 40 बीघा से अधिक भूमि दान की थी। इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा के प्रसार का सपना 1935 में अयोध्या प्रसाद सिंह मध्य विद्यालय की स्थापना से शुरू हुआ और 1948 में उच्च विद्यालय की स्थापना के साथ मजबूत हुआ। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसके बाद आठ अगस्त 1960 को गांव के शिक्षाविदों और समाजसेवियों ने मिलकर राम कुमारी अयोध्या डिग्री कालेज की नींव रखी। कॉलेज को भूमि दान देने वालों में अयोध्या प्रसाद सिंह ट्रस्ट स्टेट, गुरु शंकर प्रसाद सिंह, माला देवी, बद्रीनाथ सिंह सहित कई छोटे किसानों ने भी अपना योगदान दिया।
दान की गई 40 बीघा जमीन राज्यपाल, बिहार के नाम रजिस्टर्ड की गई थी। कॉलेज की संबद्धता के लिए ग्रामीणों ने चंदा कर 25 हजार रुपये भागलपुर विश्वविद्यालय में जमा किए थे, जो आज सूद सहित लाखों में हो चुके होते।
शुरुआती तीन वर्षों तक कॉलेज में पठन-पाठन भी सुचारू रूप से चला। शासी निकाय में एसडीओ बेगूसराय चितरंजन प्रसाद सिंह अध्यक्ष तथा स्वतंत्रता सेनानी डॉ. सहदेव प्रसाद सिंह सचिव थे।
82 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक शिवनंदन सिंह बताते हैं कि उस समय कॉलेज का सेंटर कोसी कॉलेज खगड़िया होता था और छात्र वहीं से परीक्षा देकर उत्तीर्ण होते थे। लेकिन कुछ वर्षों के बाद आपसी विवाद के कारण प्रोफेसरों का वेतन बंद हो गया और शिक्षा व्यवस्था ठप हो गई।
सबसे बड़ी त्रासदी तब हुई जब सरकारी अकर्मण्यता के कारण कॉलेज की भूमि, जो राज्यपाल के नाम रजिस्टर्ड थी, 15 वर्ष बाद 1975 में पर्चा काटकर स्थानीय स्तर पर बांट दी गई। यह नियमों का खुला उल्लंघन था और इससे कॉलेज का पुनर्जीवन लगभग असंभव हो गया।
इलाके के बुद्धिजीवी आज भी कॉलेज की पुनर्स्थापना की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिस उच्च शिक्षा संस्थान के लिए गांव ने अपनी जमीन और मेहनत दान दिया, उसे सरकारी उदासीनता और प्रशासनिक लापरवाही ने खत्म कर दिया।
नावकोठी के लोग आज भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कभी न कभी राम कुमारी अयोध्या डिग्री कालेज का पुनरुद्धार होगा और क्षेत्र में उच्च शिक्षा की लौ फिर से जल उठेगी। |