मसूरी में एनएच 707ए किंग क्रेग लाइब्रेरी रोड पर टूटी पुलिया।
अश्वनी त्रिपाठी, जागरण, देहरादून: उत्तराखंड के मौसम में सर्द बढ़ने के साथ ही हादसों की रफ्तार भी बढ़ गई है। पहाड़ों की पगडंडियों से लेकर मैदानी इलाकों तक हर दिन सड़क हादसे हो रहे हैं। कोहरा, ठंड और फिसलन से इतर सड़कों का टूटा ढांचा, सड़क सुरक्षा के अधूरे इंतजाम और विभागों की लापरवाही हादसों के पीछे बड़ी वजह है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कहीं टूटे क्रैश बैरियर मौत को आमंत्रण दे रहे हैं, कहीं गायब साइनबोर्ड वाहनों को अंधेरे में धकेल रहे हैं। सैकड़ों प्वाइंट्स पर गहरी खाइयों किनारे सुरक्षा का नामो-निशान नहीं है। इन सबके बीच विभाग फाइलें दौड़़ा रहे हैं, जबकि धरातल पर हर मोड़ पर यात्रियों की जिंदगी खतरे में पड़ रही है।
544 प्वाइंट्स पर चेतावनी की अनसुनी
सर्वे में अकेले चार जिलों देहरादून, टिहरी, चमोली और हरिद्वार में कुल 544 दुर्घटना-संभावित स्थान चिह्नित किए गए थे। इन स्थलों पर टूटी या गायब सड़क-संकेत चिह्न, टूटे क्रैश बैरियर, मिट चुकी सड़क मार्किंग, गड्ढे, ब्लाइंड -कर्व और डिजाइन-स्तर की गंभीर खामियां पाई गईं, लेकिन सुधार कार्यों में सुस्ती अब तक बनी है।
उधर, लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता राजेश कुमार का कहना है कि सड़क सुरक्षा समिति की संस्तुतियों के आधार पर दुर्घटना संभावित स्थानों की मरम्मत एवं सुरक्षा उपायों को लेकर कार्य किया जा रहा है।
खतरे के सवाल
- 544 खतरनाक स्थलों में कितने सुधार हुए
- हादसों के बाद अधिकारियों की जवाबदेही क्या तय हुई
- दुर्घटना स्थलों की मरम्मत की क्या योजना बनी
- नोटिस-चेतावनी जारी हुई और क्या कोई काम शुरू हुआ
- सड़क सुरक्षा में लापरवाही की जांच के लिए कोई समिति बनी
- आम जनता के लिए क्या शिकायत-फीडबैक तंत्र है
हाल में हुए हादसे
- टिहरी बस हादसा: 70 मीटर गहरी खाई में गिरने से पांच मौतें।
- हल्द्वानी: एक ही दिन में तीन सड़क दुर्घटनाएं, तीन मृत।
- चमोली: बद्रीनाथ हाईवे पर बाइक-कार टक्कर में दो युवकों की मौत।
- ऋषिकेश-चमोली में कई वाहन खाई में गिरने के मामले सामने आ चुके।
सड़क सुरक्षा की उजागर मुख्य कमियां
- सुरक्षा बैरियरों की भारी कमी
- नियमित मरम्मत और रखरखाव का अभाव
- रात में अपर्याप्त रोड लाइटिंग
- संकरी सड़कें, खतरनाक मोड़
- ओवरस्पीडिंग और यातायात नियमों की अनदेखी
डिजिट इन्फो
- 69.5: उत्तराखंड में प्रति 100 दुर्घटनाओं पर औसत मौत (राष्ट्रीय औसत 36)
- 21,625: पिछले एक दशक में सड़क हादसों में हुई मौत
- 2-3 गुना: पहाड़ी जिलों में मैदानी इलाकों की तुलना में अधिक मौत
- 40%: दुर्घटना संभावित स्थलों पर साइनबोर्ड और बैरियर गायब
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