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कश्मीर में डॉक्टरों की चेतावनी, सूखी हवा-तापमान में गिरावट से बढ़ा वायरल इन्फेक्शन का खतरा, क्या है इसका इलाज?

deltin33 2025-12-5 21:08:43 views 263

  

डॉक्टर द्राबू का कहना है कि वायरल इन्फेक्शन का इलाज लक्षणों पर निर्भर करता है।



जागरण संवाददाता, श्रीनगर। घाटी में सूखी व कड़ाके की ठंड से जहां लोग परेशान है वहीं इस सूखी ठंड ने लोगों को विभिन्न मौसमी बीमारियों जिनमें खांसी, सर्दी, जुकाम, बुखार, गले में जलन तथा सांस से जुड़ी बीमारियों से भी ग्रस्त कर दिया है। स्वास्थ्य केंद्रों में ऐसे बीमारों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

डॉक्टरों का अनुमान है कि स्वासथ्य केंद्रों में रोज़ाना ओपीडी के 10 प्रतिशत से ज़्यादा मामले अब इन मौसमी बीारियों से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि सूखी हवा, तापमान में तेज़ गिरावट और ज़्यादा घरों में रहने की वजह से वायरल इन्फेक्शन के बढ़ने और फैलने के लिए एकदम सही हालात बन गए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
डॉ. आसिफ द्राबू ने दी सलाह

घाटी के प्रसिद्ध छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. आसिफ द्राबू ने कहा कि हाल ही में मामलों में बढ़ोतरी में मौसम की अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा, सूखे और ठंडे मौसम में वायरस ज़्यादा देर तक ज़िंदा रहते हैं, और गले और नाक के रास्ते नमी खो देते हैं, जिससे लोग इन्फेक्शन के प्रति ज़्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं। इसीलिए सर्दियों में लोगों को सर्दी जुकान तथा अन्य मौसमी बीमारियों की आम शिकायत रहती है।
इनका रखें विशेष ध्यान

द्राबू ने कहा कि ज़्यादातर मामले हल्के होते हैं लेकिन शिशुओं, बुज़ुर्गों, गर्भवती महिलाओं और पुरानी बीमारियों वाले लोगों जैसे कमज़ोर ग्रुप के लिए गंभीर हो सकते हैं। उन्होंने कहा, पिछले हफ़्ते उन्होंने ऐसे दर्जनों मामलों की जांच की है। उन्होंने कहा, जब भी घाटी में लंबे समय तक सूखा रहता है, तो सांस की नली में इंफेक्शन तेज़ी से बढ़ जाता है।  

डॉक्टर द्राबू ने कहा, कई अस्पतालों में हमारे रोज़ाना आने वाले मरीज़ों में से दसवें हिस्से से ज़्यादा सर्दी, खांसी, हल्का बुखार, साइनस की समस्या या गले में इंफेक्शन के साथ आ रहे हैं। लोगों को यह समझने की ज़रूरत है कि ये सर्दियों की आम बीमारियाँ हैं, लेकिन समय पर देखभाल ज़रूरी है।”
अपनी सेहत पर ज़्यादा ध्यानदेने की जरूरत

घाटी के एक और छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. नवीद नजीर शाह ने कहा कि अस्थमा, दिल की बीमारियों या डायबिटीज़ के मरीज़ों को ऐसे मौसम में बदलाव के दौरान लक्षण बढ़ सकते हैं और उन्हें अपनी सेहत पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, ऐसे मरीजों की पहली कोशिश खुद से भीषण ठंड से बचाना होनी चाहिए और सुबह व शाम अपने घरों से निकलना बंद कर देना चाहिए।

शाह ने कहा कि सर्दियों में इन्फेक्शन बढ़ने के कई कारण हैं, जैसे सूखी हवा से सांस लेने के सिस्टम की सुरक्षा कमज़ोर हो जाती है, खराब वेंटिलेशन वाली इनडोर भीड़-भाड़ बढ़ जाती है, और बुखारी, गैस हीटर और कांगड़ी जैसे हीटिंग अप्लायंस का इस्तेमाल होता है, जो बंद जगहें होती हैं जहाँ वायरस पनपते हैं।
धुएं से बढ़ सकती है इन्फेक्शन

उन्होंने कहा कि लकड़ी और कोयले से निकलने वाला धुआं सांस की नली में जलन पैदा करता है और इन्फेक्शन को बढ़ा सकता है, जबकि कम धूप मिलने से विटामिन डी की कमी से इम्यूनिटी कम होती है। सर्दियों में घरों में धूल जमा होने से सांस लेने में दिक्कत और बढ़ जाती है।

उन्होंने कहा कि धुआं छोड़ने वाले हीटिंग डिवाइस का लंबे समय तक इस्तेमाल बच्चों और बुज़ुर्गों पर काफी असर डालता है। डा. शाह ने कहा, हम कई ऐसे मामले देखते हैं जहाँ धुएं के संपर्क में आने से गले में जलन और लगातार खांसी शुरू होती है और बाद में बड़े इन्फेक्शन में बदल जाती है।\“
स्वास्थ्य अधिकारी ने बताए बचाव के उपाय

स्वास्थ्य अधिकारी बचाव के आसान उपाय बताते हैं, जैसे घरों के अंदर सही वेंटिलेशन बनाए रखना, हीटिंग डिवाइस का ज़्यादा इस्तेमाल न करना, यह पक्का करना कि चिमनी और एग्जास्ट चालू हों, गर्म पानी पीना, पौष्टिक खाना खाना, घरों को साफ और धूल-मिट्टी से दूर रखना, भीड़-भाड़ वाली इनडोर जगहों पर मास्क पहनना और गैर-ज़रूरी एंटीबायोटिक्स से बचना। वे यह भी सलाह देते हैं कि कमज़ोर ग्रुप अपने डॉक्टरों से सलाह लेने के बाद फ्लू के टीके लगवाने पर विचार करें।

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मौसम ऐसा ही रहा तो हालात ऐसे ही बने रह सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सूखा और ठंडा मौसम बना रहा तो सर्दियों में होने वाले इन्फेक्शन के मरीज़ों की संख्या बढ़ती रहेगी।
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