रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग और मजबूत होने की उम्मीद है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस दौरे से भारतीय कारोबारियों के लिए नए अवसर खुल सकते हैं। पुतिन अपने साथ एक बड़े कारोबारी प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आए हैं। सूत्रों ने बताया कि बैठकों में भारत से रूस को निर्यात बढ़ाने पर चर्चा होगी। इसमें दवाइयां, गाड़ियां, कृषि उत्पाद और मछली से जुड़े उत्पाद शामिल हैं।
पुतिन गुरुवार शाम को दो दिन की राज्य यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे। आगमन के बाद वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर रात्रिभोज में शामिल होंगे। दोनों नेताओं के बीच लंबी बातचीत चलने की संभावना है। इसके बाद पुतिन अपने होटल लौटेंगे।
CNN-News18 ने सूत्रों के हवाले से बताया, “भारतीय उत्पादों को रूस में बड़ा बाजार मिलेगा, जिससे नौकरी के अवसर और किसानों की आमदनी दोनों बढ़ेंगे।” इसका मतलब है कि बाजार तक बेहतर पहुंच इस यात्रा का एक बड़ा लक्ष्य होगा।
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इस दौरे के दौरान कई समझौते और MoU पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। दोनों देश लोगों के बीच बेहतर रिश्ते, आवागमन, संस्कृति और वैज्ञानिक सहयोग जैसे क्षेत्रों में भी साझेदारी बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे।
मुख्य ध्यान जिन क्षेत्रों पर है, उनमें शिपिंग, हेल्थकेयर, फर्टिलाइजर और कनेक्टिविटी शामिल हैं। बढ़ते व्यापार को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए ये सभी क्षेत्र बेहद जरूरी हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का रूस को निर्यात 4.9 अरब डॉलर रहा, जबकि रूस से आयात 63.8 अरब डॉलर का था, जिससे लगभग 59 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ। दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “भारत-रूस का व्यापार लगभग 70 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, लेकिन हमें यहीं नहीं रुकना चाहिए। हमें इसे और बढ़ाना है और संतुलित बनाना है।” उन्होंने यह बात भारत-रूस बिजनेस फोरम में कही, जिसका आयोजन FICCI ने किया।
गोयल ने बताया कि भारत से रूस को निर्यात बढ़ाने के लिए उपभोक्ता वस्तुएं, खाद्य उत्पाद, गाड़ियां, ट्रैक्टर, भारी वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, औद्योगिक उपकरण और कपड़ा जैसे क्षेत्र बड़ी संभावना रखते हैं।
वहीं, ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि पुतिन की यह यात्रा एनर्जी सप्लाई, डिफेंस सप्लाई को स्थिर करने और पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच व्यापार को सुचारु रखने पर केंद्रित है।
उनके अनुसार, “यह एक अहम यात्रा है, जो एनर्जी सप्लाई सुनिश्चित करने, डिफेंस डिलीवरी को स्थिर करने और प्रतिबंधों के बीच व्यापार को जारी रखने की आवश्यकता से प्रेरित है।”
रूस के बड़े कारोबारी दल की मौजूदगी यह दर्शाती है कि मॉस्को भारत के साथ आर्थिक साझेदारी को गंभीरता से ले रहा है। यह रणनीतिक कोशिश दोनों देशों के लिए व्यापारिक तंत्र को बाहरी दबावों से बचाने और आर्थिक अस्थिरता से निपटने का माध्यम बनेगी। कई क्षेत्रों में व्यापार और निवेश का विस्तार करते हुए यह सम्मेलन आने वाले दशकों के लिए मजबूत आर्थिक साझेदारी की नींव रखने की कोशिश है।
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