राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य में ईको-पर्यटन को बढावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने तीन वर्षों में विभिन्न ईको-पर्यटन स्थलों पर पर्यटन सुविधाओं के विस्तार पर 161 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान सहित अन्य प्रमुख ईको-पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों के रात्रि विश्राम के लिए भी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उत्तर प्रदेश में गैंडा, बाघ, बारहसिंघा, घड़ियाल जैसे दुर्लभ वन्यजीव न सिर्फ सुरक्षित हैं, बल्कि उनके लिए वातावरण भी विकसित किया गया है। दुधवा, पीलीभीत, कतर्नियाघाट, अमानगढ़ और सोहगीबरवा जैसे वन क्षेत्र पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं।
इन स्थलों पर पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही है। ईको-पर्यटन विकास बोर्ड ने पिछले तीन वर्षों में पर्यटन स्थलों की सड़कों की मरम्मत, कैफेटेरिया, इको-फ्रेंडली विश्राम स्थल, गजिबो, नेचर ट्रेल, बर्ड वाचिंग स्थल और बच्चों के खेलने के क्षेत्र जैसी सुविधाएं विकसित की हैं।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि गुरुवार को विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस है। वर्ष 2022 की वन्य जीव गणना रिपोर्ट के अनुसार दुधवा उद्यान में 65 हजार से अधिक, कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य में तकरीबन 12 हजार और बफर जोन में 14 हजार से अधिक वन्य जीव दर्ज किए गए।
वर्ष 2025 में दुधवा में वन्य जीवों की संख्या बढ़कर 1.13 लाख से अधिक हो गई है। वहीं कतर्निया वन्य जीव प्रभाग में 17 हजार से अधिक और बफर जोन में करीब 15 से अधिक संख्या हो गई है। वर्ष 2022 में दुधवा, कतर्निया और बफर जोन में गुलदार व तेंदुओं की संख्या 92 थी, जो वर्ष 2025 में बढ़कर 275 हो गई। वहीं, गैंडों की संख्या 49 से बढ़कर 66 हो गई है। |