बिहार के गृह मंत्री सम्राट चौधरी।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। सांप्रदायिक धाराओं के अंतर्गत राज्य के 23 जिलों के विभिन्न थानों में 102 मामले लंबित हैं। इन मामलों में अभियोजन की स्वीकृति प्रदान किया जाना है, लेकिन जिलों से केस से संबंधित महत्वपूर्ण अभिलेख नहीं भेजे जाने के कारण आगे की कार्यवाही नहीं हो पा रही है। गृह विभाग के विशेष सचिव ने सभी संबंधित जिलों के डीएम और एसएसपी को पत्र भेजकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उन्होंने बताया कि पूर्व में सांप्रदायिक धारओं से जुड़े मामलों में अभिलेख उपलब्ध कराने को कहा गया था, लेकिन यह अब तक अप्राप्त है। इस कारण अभियोजन चलाने की स्वीकृति देने में विभाग को परेशानी हो रही है। जब तक केस से जुड़े संपूर्ण अभिलेख प्राप्त नहीं हो जाते तब तक अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी जा सकेगी।
अभिलेख मिलने के बाद इसकी समीक्षा भी की जाएगी, इसलिए उन्होंने प्राथमिकता के आधार पर सभी केसों से संबंधित अभिलेख अविलंब गृह विभाग को भेजने को कहा है। इसके आलोक में जिला विधि प्रशाखा के वरीय उप समाहर्ता ने एसएसपी को पत्र भेजकर इसकी जानकारी दी है और सभी केसों का अभिलेख सौंपने का अनुरोध किया है।
बताया गया कि मुजफ्फरपुर में भी सात मामले ऐसे हैं, जो सांप्रदायिक धाराओं के अंतर्गत दर्ज हुए थे। इन केसों में अभियोजन स्वीकृति प्रदान के लिए गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन अभिलेख नहीं मिलने के कारण स्वीकृति नहीं दी गई है।
इन जिलों ने नहीं उपलब्ध कराए अभिलेख:
गृह विभाग की सूची अनुसार, औरंगाबाद, बांका, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, गोपालगंज, जमुई, कैमूर, किशनगंज, मधेपुरा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पटना, पूर्णिया, रोहतास, सहरसा, समस्तीपुर, सारण, सीतामढ़ी, सीवान, पश्चिम चंपारण जिला इसमें शामिल है। जिन्होंने अभिलेख नहीं उपलब्ध कराया है। जबकि करीब छह माह पहले भी गृह विभाग की ओर से सभी जिलों से पत्राचार किया गया था, लेकिन छह माह बीतने के बाद भी उक्त जिलों ने इसपर संज्ञान नहीं लिया।
प्रसारित वीडियो का नहीं दिया साक्ष्य:
मुजफ्फरपुर में सात मामला दर्ज हैं। इसमें पियर थाना में वर्ष 2020 में आपत्तिजनक वीडियो प्रसारित करने के मामले में प्राथमिकी की गई थी। गृह विभाग की ओर से प्रसारित वीडियो का साक्ष्य मांगा गया, जो अब तक अनुपलब्ध है। सिकंदरपुर थाना में वर्ष 2015 में दर्ज मामले में कांड से संबंधित प्रतिवेदन टू और इलेक्ट्रानिक संदेश का साक्ष्य और अभिलेख मांगा गया था।
मोतीपुर थाना से प्रतिवेदन टू और प्रसारित वीडियो का साक्ष्य, सदर थाना से केस दैनिकी, सकरा थाना से केस दैनिकी और प्रतिवेदन टू, सरैया थाना से केस दैनिकी और प्रसारित वीडियो का साक्ष्य और पारू थाना से केस दैनिकी एवं वांछित साक्ष्य प्रमाण व अभिलेख मांगा गया था। यह अब तक नहीं भेजा गया।
रोहतास में सबसे अधिक मामले:
सांप्रदायिक धारओं के अंतर्गत सबसे अधिक रोहतास में 16, औरंगाबाद में चार, मुजफ्फरपुर में सात, बांका में एक, भागलपुर में एक, भोजपुर में दो, दरभंगा में चार, गोपालगंज में छह, जमुई में नौ, कैमूर में एक, किशनगंज में एक, नालंदा में दो, पटना में चार, पूर्णिया में तीन, कटिहार में 15, सहरसा में एक, समस्तीपुर में दो, सारण में आठ, सीतामढ़ी में दो, सीतामढ़ी में दो, सीवान में एक और पश्चिम चंपारण में नौ मामले दर्ज हैं।
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