अजय श्रीवास्तव, लखनऊ। संदिग्ध बांग्लादेशियों पर निगरानी तेज होने के साथ ही इसका असर दिखने लगेगा। योगी सरकार की सख्ती के बाद सफाई कार्य से जुड़े संदिग्ध बांग्लादेशियों से एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) नंबर मांगा गया तो वे दे नहीं पाए। यह नंबर असम सरकार की तरफ से दिया गया है, जिसमे पूर्वजों तक का जिक्र है, जो साबित करता है, वे बांग्लादेशी घुसपैठ नहीं हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही नगर निगम की तरफ से अधिकृत मेसर्स लखनऊ स्वच्छता अभियान प्रबंधन ने सफाई कर्मचारियों से एनआरसी नंबर मांगा तो उसमे से 160 दे नहीं पाए और नौकरी छोड़कर चले गए, जिससे साफ है कि उनकी असम की नागरिकता संदिग्ध है। अब पुलिस और खुफिया तंत्र के लिए जांच का विषय यह भी है कि आखिर ये 160 कर्मी कहां गए और क्या कर रहे हैं।
दरअसल कुछ समय से सक्रिय हुई सरकार से संदिग्ध बांग्लादेशियों मे भगदड़ मच गई है। महापौर सुषमा खर्कवाल ने भी संदिग्ध बांग्लादेशियों को शहर से बाहर करने का एक साल से अभियान चला रखा और इंदिरानगर में पिछले साल उन्होंंने संदिग्ध बांग्लादेशियों की बस्ती को उजाड़ दिया था। इसके बाद से अभियान जारी था और शहर में संदिग्ध बांग्लादेशियों की बस्तियों की जांच कराई गई थी।
पिछले दो माह से सख्ती बढऩे के साथ ही पुलिस ने भी नगर निगम में सफाई का ठेका पाई संस्थाओं से उन सफाई कर्मचारियों एनआरसी मांगा था, जो असम का निवासी अपने को बताते हैं लेकिन अभी तक एनआरसी दे नहीं पाए हैं जबकि नगर निगम के वार्ड एक, तीन, चार, छह, सात में कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही मेसर्स लखनऊ स्वच्छता अभियान में काम कर रहे हैं और असम का आधार कार्ड दिखाने वाले कर्मचारियों ने एनआरसी मांगी थी तो वे नहीं दे पाए और दबाव पडऩे पर नौकरी छोड़कर ही भाग गए।
कंपनी ने इसकी जानकारी महापौर को भी दी है। महापौर का कहना है कि काम छोड़ गए कर्मचारियों की गतिविधियां पता करने के लिए कंपनी से कहा गया है कि वह पुलिस को भी इसकी जानकारी के साथ ही मोबाइल नंबर और आधार कार्ड भी उपलब्ध करा दें।
एनआरसी ही है, सही पता करने का तरीका
आधार कार्ड तो हर किसी के पास है लेकिन एनआरसी उन्हीं के पास है, जो लंबे समय से असम के निवासी थे। एनआरसी असम के निवासियों और संदिग्ध बांग्लादेशी घुसपैठियों के बारे में हकीकत बता देगा। इसी तरह की जांच कराने के लिए अस्पतालों में भी निगरानी के लिए महापौर ने सीएमओ को पत्र लिखा है।
कहां से कितने कर्मी काम छोड़कर भागे (नगर निगम के जोन)
जोन एक -38
जोन चार- 70
जोन तीन 12
जोन छह 12
जोन सात 36
\“\“काम छोड़कर गए 160 सफाई कर्मचारियों की सूची नगर निगम को उपलब्ध करा दी गई है। जिससे उनकी जांच पुलिस से कराई जा सके। -अभय रंजन, सिटी हेड, मेसर्स लखनऊ स्वच्छता अभियान
\“\“नगर निगम की टीम लगातार झोपड़ पट्टियों की सूची तैयार कर वहां रहने वालों का ब्योरा तैयार कर रही है। सभी ठेकेदारों से कहा गया है कि सभी संदिग्ध बांग्लादेशियों के अभिलेख जमा कराने को कहा है, जिसका परीक्षण पुलिस को भेजकर कराया जाएगा। -सुषमा खर्कवाल महापौर
पुराने लखनऊ में पकड़ी गई थी बांग्लादेशी महिला
ठाकुरगंज के बरौरा हुसैनबाड़ी में हिंदू बनकर हर रही बांग्लादेशी महिला को आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) ने पिछले सप्ताह ही गिरफ्तार किया है। नरगिस उर्फ जैसमीन उर्फ निर्मला अपने पति शमीर वर्ष 2006 में पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेशी पति के साथ भारत में दाखिल हुई थी।
नरगिस उर्फ जैसमीन उर्फ निर्मला मूल रूप से बांग्लादेश के जलोंकाठी के सदर उबावकाठी स्थित नाबेगांव क्रक्श बाजार निवासी है और उसका फर्जी दस्तावेज बनवाने वाले हरिओम आनंद भी पुलिस के हत्थे चढ़ गया था। उसने काकोरी के दुर्गागंज अमेठिया स्थित सलेमपुर शमीर निकाह भी किया था और ठाकुरगंज में निर्मला बनकर रहने के साथ ही हिंदू के त्योहारों को मनाने के साथ ही पूजा भी करती थी |