मेडिकल की पढ़ाई के लिए पार्थिव शरीर रिम्स को दान किया। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, रांची। मानव सेवा और चिकित्सा शिक्षा के उत्थान का अनोखा उदाहरण पेश करते हुए भालुबासा, जमशेदपुर निवासी स्वर्गीय काबेरी दास के परिवार ने उनका पार्थिव शरीर राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) के एनाटामी विभाग को मेडिकल की पढ़ाई के लिए दान किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जीवनकाल में ही दास ने इच्छा जताई थी कि उनके निधन के बाद उनका शरीर मेडिकल छात्रों की शिक्षा और शोध कार्यों के लिए दान किया जाए, ताकि भविष्य के चिकित्सक बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त कर समाज को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं दे सकें।
उनकी इस अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए, उनके पुत्र और पुत्री ने रिम्स के एनाटामी विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) धर्मेंद्र कुमार को पार्थिव शरीर औपचारिक रूप से सुपुर्द किया।
इस दौरान विभाग की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि दी गई और परिवार के इस सामाजिक एवं परोपकारी निर्णय की सराहना की गई। विभाग ने कहा कि देहदान न केवल चिकित्सा शिक्षा के लिए अमूल्य है, बल्कि समाज में जागरूकता बढ़ाने की दिशा में प्रेरणादायक पहल भी है।
एनाटामी विभागाध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि शरीर दान चिकित्सा शिक्षा की नींव है। ऐसे दान से मेडिकल छात्रों को वास्तविक मानवीय शरीर संरचना समझने और बेहतर चिकित्सक बनने में मदद मिलती है।
उन्होंने बताया कि अब तक रिम्स में 76 लोगों ने मृत्यु उपरांत देहदान की प्रतिज्ञा ली है, जिनमें से 10 लोगों का देहदान संस्थान को प्राप्त हो चुका है। ज्ञात हो कि देहदान की प्रतिज्ञा का फार्म रिम्स की वेबसाइट तथा एनाटामी विभाग में उपलब्ध है।
रिम्स प्रबंधन ने समाज के लोगों से अपील की है कि वे चिकित्सा शिक्षा को मजबूती देने के लिए देहदान जैसे महान कार्य के प्रति जागरूकता बढ़ाएं और आगे आएं।
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