किसानों के खलिहान में पुंज बनाकर रखी गई धान की फसल।
जागरण संवाददाता, चक्रधरपुर। झारखंड सरकार द्वारा लैम्पस के माध्यम से धान अधिप्राप्ति की प्रक्रिया इस वर्ष अब तक शुरू नहीं हो सकी है। चक्रधरपुर प्रखंड में गोपीनाथपुर लैम्पस के जरिए प्रखंड कार्यालय परिसर में धान खरीद की तैयारी की जानी है, लेकिन राज्य सरकार ने अब तक इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की है। पिछले वर्ष यहां 20 दिसंबर से अधिप्राप्ति शुरू हुई थी, जबकि राज्य स्तर पर 15 दिसंबर से प्रक्रिया शुरू हो गई थी। उस समय धान की सरकारी खरीद दर 2400 रुपये प्रति क्विंटल (2300 रुपये MSP + 100 रुपये बोनस) थी, परंतु इस वर्ष न तो खरीद दर की घोषणा हुई है और न ही खरीद की तिथि तय हो सकी है।
देरी के कारण किसानों पर बढ़ा संकट, बिचौलिए सक्रिय धान अधिप्राप्ति में देरी का सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है। भंडारण की कमी, शादी-विवाह का मौसम, स्वास्थ्य समस्याएं, बारिश का भय, खेतों में जंगली हाथियों का प्रवेश और परिवहन लागत जैसे कारणों से किसानों को मजबूरी में अपनी उपज बिचौलियों को बेचना पड़ रहा है। बाजार में बिचौलिए किसानों को 1600 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल तक ही मूल्य दे रहे हैं, जो सरकारी दर से काफी कम है। किसानों का कहना है कि यदि सरकार समय पर अधिप्राप्ति शुरू कर देती, तो उन्हें अपनी मेहनत का उचित मूल्य मिलता।
इस वर्ष एकमुश्त भुगतान की उम्मीद कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष किसानों को धान बेचने के बाद एक ही किस्त में पूरा भुगतान किए जाने की संभावना है। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष किसानों को दो किस्तों में राशि प्रदान की गई थी, जिससे भुगतान में देरी और आर्थिक दबाव बढ़ गया था। धान अधिप्राप्ति प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए मंगलवार को जिला मुख्यालय चाईबासा में प्रशिक्षण आयोजित किया गया है। इसमें प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO), अंचलाधिकारी (CO), लैम्पस संचालक और कंप्यूटर ऑपरेटर शामिल होंगे।
चक्रधरपुर में 80% धान कटाई पूरी प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी दिलीप कुमार महतो ने बताया कि चक्रधरपुर में इस वर्ष धान की फसल काफी अच्छी हुई है। लगभग 80 प्रतिशत कटाई पूरी हो चुकी है। केवल बेड़ा क्षेत्र में कटाई कार्य शेष है, जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। फसल अच्छी होने के कारण किसानों को उम्मीद है कि इस वर्ष अधिप्राप्ति का आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में अधिक रहेगा।
पंजीकरण जरूरी, 832 किसान हैं दर्ज चक्रधरपुर प्रखंड में 832 किसान पंजीकृत हैं। पिछले वर्ष भी इतनी ही संख्या में किसानों ने पंजीयन कराया था। इस वर्ष जिन किसानों ने पहले पंजीयन कराया है, उन्हें दोबारा पंजीकरण की जरूरत नहीं है। प्रखंड कृषि कार्यालय में वर्तमान में पंजीयन आवेदन जमा किए जा रहे हैं। जिन्हें बाद में ऑनलाइन अपडेट कर किसानों को धान बेचने की अनुमति दी जाएगी। किसान मित्रों को गांव-गांव जाकर अधिक से अधिक किसानों को पंजीयन कराने के लिए प्रेरित करने का निर्देश दिया गया है। ताकि कोई भी किसान सरकारी योजना से वंचित न रहे। गोपीनाथपुर लैम्पस द्वारा पिछले वर्ष चक्रधरपुर प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित केंद्र पर 7194.07 क्विंटल धान की खरीद की गई थी। इस वर्ष फसल अच्छी होने के कारण अधिप्राप्ति के बढ़ने की संभावना है।
सरकारी देरी ने बढ़ाई किसानों की बेचैनी धान अधिप्राप्ति की सरकारी घोषणा में देरी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। समय पर खरीद शुरू न होने पर किसान सस्ते दाम पर फसल बेचने को मजबूर हो रह हैं। किसानों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द अधिसूचना जारी कर धान खरीद की प्रक्रिया शुरू की जाए, ताकि वे बिचौलियों के शोषण से बच सकें। धान अधिप्राप्ति प्रक्रिया शुरू नहीं होने से बिचौलियों के झांसे में किसान फंस रहे हैं।
इस वर्ष धान की फसल बेहतर हुई है। चक्रधरपुर में किसानों को दो उन्नत किस्म के धान के बीज उपलब्ध कराए गए थे। इनमें स्वर्णा 7029 तथा 1010 शामिल थे। क्षेत्र में 80 फीसद धान की कटाई पूरी हो गई है। वहीं धान अधिप्राप्ति के लिए किसानों को पंजीयन कराना होगा। पूर्व में पंजीकृत किसानों को पंजीयन नहीं कराना है। -
दिलीप कुमार महतो, प्रखंड कृषि पदाधिकारी चक्रधरपुर विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बाजार के लोग बिचौलिए घर-खेत आकर धान ले जाते हैं। इससे हमें अतिरिक्त मेहनत करने की जरूरत नहीं होती। धान को पैकिंग कर वाहन को भाड़ा देकर, मजदूरों को प्रति बोरा मेहताना देकर केंद्र तक पहुंचाया जाता है। जिसमें हमारी जेब ढीली हो जाती है। उसके बाद भी धान के बदले मिलने वाली राशि के लिए महीनों का इंतजार करना कष्टकार है। -
अंगद महतो, किसान
मंगलवार को जिला मुख्यालय में धान अधिप्राप्ति के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। धान अधिप्राप्ति संबंधी दिशा निर्देश मिलेगा, जिसके बाद प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वैसे गोदाम पूरी तरह तैयार कर ली गई है। जानकारी मिली है कि इस वर्ष दो नहीं एक ही किस्त में किसानों को पूरी राशि दी जाएगी। -
बनबिहराी लोहार, सचिव, गोपीनाथपुर लैम्पस चक्रधरपुर
मैंने अपनी धान की फसल बेच दी है। हालांकि सरकारी दर से थोड़ी कम पैसा मिलता है, लेकिन भागमगाम से बच जाते हैं। धान अधिप्राप्ति केंद्र में उपज देने के बाद पैसे के लिए महीनों लग जाते हैं। जबकि बाजार में बेच देने से हाथों हाथ पैसे मिल जाते हैं और समय पर हमारी जरूरत भी पूरी हो जाती है। -
जोसेफ पूर्ति, किसान |