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शेयर बाजार से नाराज आम आदमी! 2 महीने में निकाले 25000 करोड़, स्टॉक खरीदने के बजाय यहां लगाया पैसा

LHC0088 2025-12-2 16:10:15 views 720

  



नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार (Share Market) में अक्तूबर से तेजी का सिलसिला देखने को मिल रहा है और नवंबर के आखिरी में तो निफ्टी ने 26000 के अहम स्तर को पार कर लिया और दिसंबर में 26325 का रिकॉर्ड हाई लगा दिया है। हैरानी की बात है कि भारतीय बाजारों ने जब यह तेजी दिखाई तब देश के आम निवेशक ने बाजार से दूरी बना ली। मार्केट ने रिकॉर्ड हाई लगाया लेकिन रिटेल इन्वेस्टर्स ने शेयरों में पैसा नहीं लगाया बल्कि बिकवाली की है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

एनएसई (NSE Data) के आंकड़ों से पता चला है कि आम निवेशकों ने अक्टूबर में लगभग 13,776 करोड़ रुपये और नवंबर में 11,544 करोड़ रुपये बेचे हैं। वह भी ऐसे समय में जब बाजार के सेंटिमेंट सुधर रहे थे। अक्टूबर में सेंसेक्स और निफ्टी 4 प्रतिशत से ज़्यादा और नवंबर में 2 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखने को मिली।
ये बिकवाली या मुनाफावसूली?

बाजार विश्लेषकों का कहना है कि साल की शुरुआत से ही खुदरा निवेशकों को अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि अक्टूबर और नवंबर में बाजार में सुधार शुरू हुआ, फिर भी कई छोटे निवेशकों ने इस मौके का फायदा उठाकर मुनाफावसूली की।
क्यों बाजार से दूर हुए आम निवेशक?

स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने कहा, “सोने और चांदी में आई ज़बरदस्त तेजी के चलते निवेशक शेयर बाजार से दूर हो गए। ” उन्होंने बताया कि इक्विटी पोर्टफोलियो में कटौती की जा रही है, लेकिन बाजार पर भरोसा बरकरार है, क्योंकि एसआईपी फ्लो स्थिर बना हुआ है। लेकिन, निवेशक एकमुश्त पैसा शेयरों के बजाय मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड्स में लगा रहे हैं।

साल की शुरुआत से ही सोने और चांदी में जबरदस्त तेजी आई है, जिससे निवेशकों का शेयरों से काफी रुझान बढ़ा है। 2025 में अब तक सोने की कीमत 61 प्रतिशत बढ़ चुकी है, जबकि चांदी 96 प्रतिशत से ज़्यादा चढ़ चुकी है, जिससे ऐसे समय में जब शेयर बाजार के कुछ हिस्से अस्थिर और असमान बने हुए हैं, जबरदस्त रिटर्न मिल रहा है।

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बता दें कि 2025 में अब तक रिटेल निवेशकों की भागीदारी सुस्त रही है, और छोटे निवेशक साल के ज़्यादातर समय शुद्ध बिकवाली करते रहे हैं। अब तक, खुदरा निवेशकों ने लगभग 17,900 करोड़ रुपये की बिकवाली की है, जबकि 2024 में उन्होंने सामूहिक रूप से 1.66 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। इस साल खरीदारी सिर्फ़ चार महीनों-जनवरी, फ़रवरी, जुलाई और अगस्त तक सीमित रही, जबकि साल के बाकी समय में लगातार बिकवाली देखी गई।
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