मेडिकल कालेजों में इंस्पेक्शन घोटाला, ईडी ने दो दिन पूर्व मारा था छापा। सांकेतिक तस्वीर
राज्य ब्यूरो, पटना। देश के कई निजी मेडिकल कॉलेजों में निरीक्षण प्रक्रिया को मैनेज करने का संगठित खेल उजागर हुआ है। ऐसे कॉलेजों में गोपनीय रिपोर्ट लीक कर मानमाफिक निरीक्षण दिलाया जाता था।
यही नहीं मेडिकल कॉलेज छद्म फैकल्टी-फर्जी मरीज तक की व्यवस्था कर लेते थे। यह खुलासा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शुक्रवार को बिहार समेत नौ राज्यों में 15 ठिकानों पर छापेमारी के बाद हुआ है।
प्रवर्तन निदेशालय ने बयान जारी कर बताया कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के निरीक्षण से जुड़ी गोपनीय जानकारी सरकारी अधिकारी अवैध रूप से मेडिकल कालेजों और उनके बिचौलियों को लीक कर रहे थे।
इन संवेदनशील जानकारियों के आधार पर कालेज मापदंडों में हेराफेरी कर मान्यता और पाठ्यक्रमों के संचालन की अनुमति हासिल कर लेते थे। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और एनएमसी से जुड़े कुछ अधिकारी निरीक्षण रिपोर्ट, टीम मूवमेंट और आवश्यक मानकों की जानकारी पहले से ही संबंधित कालेजों को उपलब्ध करा देते थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ईडी की विज्ञप्ति के अनुसार सीबीआइ की दिल्ली में दर्ज एफआईआर के तथ्यों के अनुसार कई बिचौलियों ने मेडिकल कालेजों और अधिकारियों के बीच पुल का काम किया। इसके बदले में भारी रकम ली गई, जिसमें मनी लांड्रिंग की आशंका बनती है।
जांच एजेंसी के मुताबिक कई मेडिकल कालेजों ने अनुकूल निरीक्षण रिपोर्ट पाने के लिए मूल्यांकनकर्ताओं को रिश्वत दी। निरीक्षण के दिन कालेजों में छद्म फैकल्टी की तैनाती से लेकर फर्जी मरीजों की भर्ती तक का इंतजाम रखा, ताकि अस्पताल और शिक्षण सुविधा को मानक के विपरीत होते हुए भी पूरा दिखाया जा सके।
ईडी अब छापामारी में बरामद डिजिटल सामग्री, वित्तीय लेनदेन और अधिकारियों-बिचौलियों के बीच संचार की गहन जांच कर रही है। एजेंसी का कहना है कि यह देशव्यापी कार्रवाई मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में फैले भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचने का प्रयास है।
बता दें कि बीते शुक्रवार को ईडी ने बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में छापे मारे थे। इसमें सात निजी मेडिकल कालेज भी शामिल थे। बिहार में खगडिय़ा स्थित श्यामलाल चंद्रशेखर मेडिकल कालेज में भी ईडी टीम ने रिकॉर्ड खंगाले थे। |