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UP News: नीलाम संपत्तियों का मूंल्याकन करेगा गह मंत्रालय, गड़बड़ी मिली तो रद होगी नीलामी

cy520520 2025-12-2 10:07:35 views 398

  



राजीव बाजपेयी, लखनऊ। राजधानी सहित पूरे प्रदेश में 106 संपत्तियों की नीलामी में गड़बड़ी की शिकायतों के बाद ग्रह मंत्रालय की टीम उनका मूल्यांकन कर रही है। अगर कहीं पर भी संपत्ति के मूल्यांकन में किसी तरह की गड़बड़ी पाई गई तो नीलामी रद कर दी जाएगी। गृह मंत्रालय के आडीटर प्रदेश के 27 जिलों में रेंडम आधार पर मूल्यांकन में लगे हैं। यूपी के शत्रु संपत्ति संरक्षक कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि गृह मंत्रालय की टीमें मूल्यांकन कर रही हैं अगर किसी तरह की खामी मिलती है तो फिर से नीलामी कराई जाएगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें


गृह मंत्रालय ने गत वर्ष शत्रु संपत्तियों की नीलामी करने की अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत निष्प्रयोज्य, खेतिहर जमीनों के साथ ही व्यावसायिक संपत्तियां भी नीलाम की जा रही हैं। अभी इसके दायरे में राजा महमूदाबाद की शत्रु संपत्तियों को नहीं रखा गया है क्योंकि शत्रु संपत्ति अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है जिस पर कोर्ट ने राजा की संपत्तियों से छेड़छाड़ नहीं करने का आदेश दे रखा है।

सूत्राें का कहना है कि शिकायत है कि कुछ सर्वेयर द्वारा नीलामी में संपत्तियों का मूल्यांकन कम आंका गया इस आधार पर सरकार को राजस्व का करोड़ाें का नुकसान हुआ। देश भर में करीब 13 हजार शत्रु संपत्तियां घोषित सरकार की कस्टडी में हैं जिनमें राजा महमूदाबाद की 980 संपत्तियां भी शामिल हैं। सरकार इन संपत्तियों की बिक्री कर अपना खजाना भर रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले वर्ष ही इस संंबंध में अधिसूचना जारी की थी जिसके अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में मौजूद शत्रु संपत्तियां जिनका मूल्य एक करोड़ से कम हो और शहरी क्षेत्र में पांच करोड़ रुपये तक हो उसकी खरीद का प्रस्ताव सबसे पहले कब्जेदार को देना होगा। अगर कब्जेदार संपत्ति खरीदने में असमर्थ है तो शत्रु संपत्ति का निपटारा निविदा आमंत्रित करके या नीलामी से किया जाएगा।

क्या है शुत्र संपत्तियां?


1947 से 1962 के बीच पाकिस्तान और चीन की नागरिकता लेने वाले लोगों की यहां छूट गई संपत्तियों को शत्रु संपत्ति माना गया। सरकार ने शत्रु संपत्तियों को गृह मंत्रालय के अधीन शत्रु संपत्ति संरक्षक को सौंप दिया। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद शत्रु संपत्ति अधिनियम को 1968 में लागू किया गया था, जो ऐसी संपत्तियों को विनियमित करता है और इसमें संरक्षक की शक्तियां भी बताई गईं।


लखनऊ में करीब दो सौ शत्रु संपत्तियां चिन्हित है। इसमें 125 से ज्यादा शत्रु संपत्तियां अकेले सदर तहसील में हैं। इसके अलावा मलिहाबाद में नौ, 29 मोहनलालगंज और शेष बीकेटी व सरोजनी नगर तहसील क्षेत्र में हैं।
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