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Paush Amavasya 2025: पौष अमावस्या कब है? जानिए डेट, मुहूर्त और पूजा विधि

Chikheang 2025-11-28 21:26:01 views 47

  

Paush Amavasya 2025: पौष अमावस्या शुभ मुहर्त।



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पौष अमावस्या हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह अमावस्या पौष महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पड़ती है और यह पितरों को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान, दान और पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष शांत होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है, तो आइए इस तिथि (Paush Amavasya 2025) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

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पौष अमावस्या डेट और मुहूर्त (Paush Amavasya 2025 Date And Time)

हिंदू पंचांग के अनुसार, 19 दिसंबर 2025, दिन शुक्रवार को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर पौष अमावस्या की शुरुआत होगी। वहीं, 20 दिसंबर सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर अमावस्या तिथि का समापन होगा। ऐसे में पंचांग को देखते हुए पौष अमावस्या 19 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी।
पौष अमावस्या का महत्व (Paush Amavasya 2025 Significance)

पौष अमावस्या का विशेष महत्व है, क्योंकि पौष महीने को सूर्य देव की पूजा का माह माना गया है। यह तिथि मुख्य रूप से पितृ पूजा के लिए खास होती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। वहीं, जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष है, वे इस दिन विधि-विधान से पूजा करके इस दोष को शांत कर सकते हैं।
पूजा नियम (Paush Amavasya 2025 Rituals)

  • सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा करना मुश्किल है, तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • स्नान के बाद साफ या नए कपड़े धारण करें।
  • तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • दक्षिण दिशा की ओर मुख करके अपने पितरों का जल में तिल मिलाकर तर्पण करें।
  • इस दिन पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं और शाम के समय पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए किसी गरीब या ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र, काले तिल या कंबल का दान करें।
  • अगर हो पाए, तो इस दिन उपवास रखें और भगवान विष्णु के साथ शिव जी की पूजा करें।


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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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