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Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी पर करें मोरपंख और गीता से जुड़े उपाय, खुलेंगे मोक्ष के द्वार

Chikheang 2025-11-28 17:18:00 views 878

  

Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी पर करें ये उपाय।



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मोक्षदा एकादशी हिंदू धर्म के सबसे पावन व्रतों में से एक मानी जाती है। यह एकादशी (Mokshada Ekadashi 2025) मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ती है, जो इस बार 01 दिसंबर को मनाई जाएगी। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, \“मोक्षदा\“ का अर्थ है मोक्ष प्रदान करने वाली। माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। वहीं, इस दिन अगर कुछ उपाय किए जाए, तो व्यक्ति को सुख-शांति की प्राप्ति होती हैं, आइए उन उपायों को जानते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गीता से जुड़े उपाय (Geeta se Jude Upay)

  

  • गीता का पाठ - मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती पर श्रीमद्भगवद्गीता का संपूर्ण पाठ करना चाहिए। अगर ऐसा करना मुश्किल है, तो कम से कम11वें अध्याय का पाठ जरूर करें।
  • गीता का दान - इस पवित्र दिन पर किसी मंदिर या ब्राह्मण को भोजन जरूर कराएं और श्रीमद्भगवद्गीता का दान करें। यह उपाय व्यक्ति को ज्ञान और मोक्ष की ओर ले जाता है।
  • लगाएं खास भोग - भगवान कृष्ण को तुलसी दल मिश्रित मिश्री का भोग लगाएं और भोग लगाते समय गीता के उपदेश का ध्यान मन ही मन करें। या फिर गीता के किसी एक श्लोक का जप करें।

मोरपंख के चमत्कारी उपाय (Perform Remedies Related To Peacock Feathers)

  

  • पूजा में स्थापित करें - पूजा घर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के साथ एक या तीन मोरपंख स्थापित करें। एकादशी के दिन इसे शुद्ध जल से धोकर धूप-दीप दिखाएं।
  • धन लाभ के लिए - अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो पूजा के बाद उस मोरपंख को उठाकर तिजोरी या धन स्थान पर रख दें। माना जाता है कि इससे मां लक्ष्मी खुश होती हैं और धन आगमन के द्वार खुलते हैं।
  • सकारात्मकता के लिए - घर के मुख्य द्वार पर मोरपंख लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

पूजा विधि और पारण

मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले रंग के कपड़े पहनें। भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करें। पूजा में पीले फूल, फल, धूप, दीप और तुलसी पत्र जरूर शामिल करें। कठिन व्रत का पालन करें या फिर केवल फलाहार करें। अगले दिन द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन कराकर और दान देकर व्रत का पारण करें। ऐसा करने से व्रत के पूर्ण फलों की प्राप्ति होती है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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