cy520520 • 2025-11-27 15:37:30 • views 796
तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड के जंगलों में फल-फूल रहा वन्यजीवों का कुनबा जहां राज्य को विशिष्टता प्रदान करता है, वहीं तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। यह है राज्य में वन्यजीवों के निरंतर बढ़ते हमले। वन विभाग के आंकड़ों पर ही गौर करें तो वर्ष 2000 से अब तक वन्यजीवों के हमलों में 1264 व्यक्तियों की जान जा चुकी है, जबकि 6519 घायल हुए हैं। इस परिदृश्य में समझा जा सकता है कि स्थिति किस प्रकार से बिगड़ रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सरकार ने भी इसे महसूस किया है और गहराते मानव-वन्यजीव संघर्ष को थामने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। अब कैबिनेट ने मानव क्षति के मामलों में मुआवजा राशि में बढ़ोतरी की है।
राज्य का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा होगा, जहां वन्यजीवों की सक्रियता ने नींद न उड़ाई हो। इस दृष्टि से देखें तो गुलदार पहले ही मुसीबत का सबब बने थे और पिछले कुछ समय से भालू के हमलों में भी इजाफा हुआ है। इसे देखते हुए वन विभाग ने संवेदनशील क्षेत्रों का चयन करने के साथ ही वहां गश्त बढ़ाई है। आमजन को भी जागरूक किया जा रहा है।
इसके साथ ही समस्या से निबटने के दृष्टिगत दीर्घकालिक उपायों की दिशा में भी कदम बढ़ाए जा रहे हैं। इसके साथ ही वन्यजीवों से होने वाली क्षति के मामलों में मुआवजा राशि में बढ़ोतरी पर जोर दिया जा रहा था। टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन फार सीटीआर की गवर्निंग बाडी की बैठक में वन्यजीवों के हमले में मृत्यु पर स्वजन को दी जाने वाली अनुग्रह राशि बढ़ाने की सिफारिश की गई थी।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी मुआवजा राशि बढ़ाकर 10 लाख करने और घायलों के उपचार का पूरा खर्च सरकार द्वारा उठाने की घोषणा की थी। अब कैबिनेट ने इस पर मुहर लगाई है।
राज्य में वन्यजीवों के हमले
| वन्यजीव | मृतक | घायल | | गुलदार | 546 | 2126 | | हाथी | 230 | 234 | | बाघ | 106 | 134 | | भालू | 71 | 2012 | | सांप | 260 | 1056 | | जंगली सूअर | 30 | 663 | | मगरमच्छ | 09 | 44 | | ततैया | 10 | 14 | | बंदर-लंगूर | 00 | 211 | | अन्य | 02 | 23 |
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