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Gopalganj: 78 साल बाद इस गांव में किसी शंकराचार्य का हुआ आगमन, अविमुक्तेश्वरानंद का देसी गाय पर जोर

Chikheang 2025-10-3 09:35:51 views 784

  ढेबवां में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का प्रवास। फोटो जागरण





संवादसूत्र, कुचायकोट (गोपालगंज)। कुचायकोट प्रखंड के ढेबवां गांव में गुरुवार को ज्योतिर्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का ऐतिहासिक प्रवास हुआ।

ग्रामीणों ने पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ उनका स्वागत किया। वर्ष 1946 के बाद पहली बार किसी शंकराचार्य का गांव में आगमन हुआ, जिसे ग्रामीणों ने अविस्मरणीय क्षण बताया।

कार्यक्रम का शुभारंभ काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वेद विभाग के प्रोफेसर डॉ. उपेंद्र कुमार त्रिपाठी ने शंकराचार्य की चरण पादुका का पूजन कर किया। इसके बाद अपने उद्बोधन में शंकराचार्य ने गाय को भारतीय संस्कृति, आत्मा और पहचान का प्रतीक बताया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



उन्होंने कहा कि सुनियोजित साजिश के तहत देशी गाय की नस्लों को खत्म किया जा रहा है और विदेशी व संकर नस्ल की गायों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो बेहद चिंताजनक है।

उन्होंने कहा कि भारत की आजादी की लड़ाई की शुरुआत भी गौ माता के लिए ही हुई थी। 1857 में राइफल की कारतूसों में गाय की चर्बी के उपयोग का विरोध हुआ, तब सेनानियों ने विद्रोह का बिगुल फूंका, जो अंततः 1947 में स्वतंत्रता तक पहुंचा।



स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गोवध पर प्रतिबंध का वादा किया गया था, लेकिन आजादी के 78 वर्ष बाद भी देश गोवध से मुक्त नहीं हो पाया है। अब समय आ गया है कि सरकार पर दबाव बनाकर इसे पूरी तरह बंद कराया जाए।

शंकराचार्य ने प्रखंड स्तर पर देसी गायों के संवर्धन के लिए केंद्र स्थापित करने की योजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यहां प्रजनन के साधन उपलब्ध कराए जाएंगे और इसके लिए ग्रामीणों से सहयोग जरूरी है।



उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल भौतिक संसाधन जुटाकर कोई भी देश विकसित नहीं हो सकता। यदि भारत को विश्वगुरु बनना है, तो भौतिक विकास के साथ-साथ संस्कृति, सभ्यता और मान्यताओं का भी संरक्षण करना होगा।

इसके बाद उन्होंने कुचायकोट प्रखंड के नवका टोला स्थित बगलामुखी मंदिर परिसर में आयोजित गो मतदाता संकल्प सभा में भी भाग लिया। इस अवसर पर ग्रामीणों ने उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया।



कार्यक्रम में महर्षि शिवानंद शास्त्री, विप्लेंदु शास्त्री, पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष मुकेश पांडेय, अनिल पांडेय, उमेश तिवारी, नागेंद्र तिवारी, प्रभाकर सिंह सहित बड़ी संख्या में पंचायत प्रतिनिधि और ग्रामीण उपस्थित रहे।

शंकराचार्य के आगमन से गांव का माहौल आध्यात्मिक और उत्सवी बन गया। ग्रामीणों ने इस दिन को ऐतिहासिक और यादगार करार दिया।

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