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Banke Bihari: प्राकट्योत्सव पर झूमे श्रद्धालु, स्वामी हरिदास का इंतजार करते रहे बांकेबिहारी

Chikheang 2 hour(s) ago views 106

  

बांकेबिहारी मंदिर।  



संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन (मथुरा)। विक्रम संवत 1563 की मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को निधिवन में हुए दिव्य प्राकट्य की स्मृति में मंगलवार को वृंदावन भक्ति, आनंद और बधाई के रंग में भीग उठा। ठाकुर बांकेबिहारी के प्राकट्योत्सव पर वह अद्भुत क्षण फिर जीवंत हो गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

ठाकुर जी के प्राकट्यकर्ता स्वामी हरिदास के आगमन की प्रतीक्षा में ठाकुर बिहारी आधा घंटा गर्भगृह में स्थिर होकर बैठे रहे। शोभायात्रा, संगीत, नृत्य, आतिशबाजी, बधाई गायन और श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ ने ब्रज को उत्सवमय बना दिया।

सुबह 4:15 बजे निधिवन राज मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चारों के बीच ठाकुर बांकेबिहारी का महाभिषेक आरंभ हुआ।

भीकचंद गोस्वामी व रोहित गोस्वामी सहित बच्चू गोस्वामी, गोपी गोस्वामी, नितिन सांवरिया गोस्वामी, राजू गोस्वामी आदि सेवायतों के सानिध्य में सवा चार से छह बजे तक मंत्र, राग, बधाई और हरिरस के स्वर गूंजते रहे।

संत समाज की बधाई बैठकी में हरिगान ने माहौल को रसपूर्ण बना दिया। मानों निधिवन का हर पत्ता-पत्ता आज ठाकुरजी के प्राकट्य की कथा सुना रहा हो। महाभिषेक के बाद दिनभर निधिवन राज मंदिर में भजन, बधाई, संकीर्तन और भक्तिरस में डूबा रहा। रंग-बिरंगी आतिशबाजी का भी भक्तों ने आनंद लिया।

नौ से एक बजे तक ब्रज रसिक जेएसआर मधुकर, फिर डेढ़ से चार बजे तक हाउ बिलाउ की बधाई संध्या और शाम को चित्र-विचित्र महाराज की प्रस्तुति ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।

निधिवन से सुबह सवा आठ बजे निकली शोभायात्रा ने ब्रज की गलियों और बाजारों में भक्ति का ज्वार बहाया। स्वामी हरिदास चांदी के रथ पर विराजमान होकर निधिवन से बांकेबिहारी मंदिर के लिए निकले।

उनके आगे विभिन्न बैंड बाजे, विभिन्न राज्यों से आए धार्मिक झांकियों की मंडलियां, झांकियां, छप्पन भोग आदि आगे चल रहे थे। हरगुलाल हवेली की गोपियां नृत्य करते और बधाई गाते हुए चल रही थीं।

उज्जैन के श्री भस्म रमैय्या मंडल के डमरू की धुनों ने वातावरण को और दिव्य बना दिया। मानों पूरा वृंदावन एक स्वर में कह रहा हो कि बधाई हो बिहारीजी...। बांके बिहारी मंदिर में सामान्य दिनों में एक बजे मंदिर बंद होता है।

लेकिन मंगलवार को सवारी पहुंचने के बाद करीब डेढ़ बजे बंद हुआ। बांकेबिहारी मंदिर में परंपरा है कि ठाकुर जी स्वामी हरिदास के आने के बाद ही राजभोग पाते हैं। शोभायात्रा के पहुंचने पर बिहारीजी गर्भगृह में विराजमान रहे और पूरा आधा घंटा केवल स्वामी हरिदासजी का इंतजार करते रहे।

भीड़ इतनी अधिक थी कि सेवायतों को विशेष गलियारा बनाकर स्वामी हरिदास को गर्भगृह तक पहुंचाया। जैसे ही स्वामी हरिदास पहुंचे, बिहारीजी को चंदन का टीका लगाया गया। इसके बाद गुरु और गोविंद ने एक साथ राजभोग प्रसादी पाई। बादाम का हलुआ, सूजी और मूंग दाल का हलुआ का भोग लगाया गया।
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