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5 पीएसओ, 14 गार्ड, एस्कॉर्ट बाइक और निरंतर पेट्रोलिंग, बेअंत सिंह हत्याकांड के मुख्य गवाह की मांग, राज्यपाल तक पहुंचा मामला

cy520520 2025-11-25 23:09:41 views 530

  

सुरक्षा हटाने पर बेअंत सिंह हत्याकांड के मुख्य गवाह बलविंदर सिंह बिट्टू की बढ़ी चिंता।



जागरण संवाददाता, चंडीगढ़।  पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड के मुख्य गवाह बलविंदर सिंह बिट्टू अपनी सुरक्षा बहाली की मांग को लेकर राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया के दरबार पहुंच गए हैं। वे पहले की तरह 5 पीएसओ, 14 गार्ड, एस्कॉर्ट मोटरसाइकिल और निरंतर पेट्रोलिंग की मांग कर रहे हैं। राज्यपाल ने उनका पत्र कार्रवाई के लिए तत्काल होम सेक्रेटरी को भेज दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बिट्टू की गवाही पर बेअंत सिंह हत्याकांड के दोषियों को सजा मिली थी। इसी कारण उन्हें पिछले दो दशकों से लगातार आतंकियों की धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। पंजाब और चंडीगढ़ पुलिस, साथ ही पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट भी कई बार उनकी गंभीर खतरा-स्थिति को स्वीकार कर चुके हैं।

हाईकोर्ट के आदेशों पर 2011 में चंडीगढ़ पुलिस ने उन्हें उच्च स्तर की सुरक्षा प्रदान की थी, जिसमें पांच पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (पीएसओ), चौबीसों घंटे तैनात 14 गार्ड, एस्कार्ट मोटरसाइकिल और उनके घर के बाहर पेट्रोलिंग वाहन शामिल थे। यह सुरक्षा व्यवस्था वर्षों तक जारी रही, लेकिन वर्तमान में पूरी तरह हटा ली गई है, जिससे उनकी चिंता बढ़ गई है।
हाईकोर्ट में भी लगाई गुहार

सुरक्षा न मिल पाने पर बिट्टू ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटाया है। सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ पुलिस ने अदालत को आश्वासन दिया था कि उन्हें शीघ्र सुरक्षा प्रदान कर दी जाएगी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। मामले की अगली सुनवाई दिसंबर के पहले सप्ताह में होगी।

बिट्‌टू के वकील निखिल घई ने बताया कि इस मामले में बिट्‌टू ने हाईकोर्ट को बताया है कि उनके सुरक्षा में अब तक चंडीगढ़ पुलिस ने सुरक्षा कर्मचारी नियुक्त नहीं किए हैं। साथ ही पंजाब पुलिस के कर्मचारी भी नशे की हालत में रहते हैं। कई बार वह चंडीगढ़ एवं पंजाब पुलिस से गुहार लगा चुके हैं हाईकोर्ट ने जबाव तलब किया है।
मेरी जान को लगातार खतरा है

बिट्टू ने मांग की है कि उनकी सुरक्षा तुरंत बहाल की जाए और यूटी सिक्योरिटी रिव्यू कमेटी उनकी मौजूदा स्थिति का नया खतरा-आकलन जारी करे। मुख्य गवाह होने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा से जुड़े इस संवेदनशील मामले ने एक बार फिर पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब नजरें आगामी हाईकोर्ट सुनवाई और प्रशासनिक कार्रवाई पर टिकी हैं।
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