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रिफ्लेक्टर गायब, सफेद पट्टी धुंधली: जरा संभलकर करें Yamuna Expressway पर सफर; कोहरे में नहीं है सुरक्षा के इंतजाम

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एक्सप्रेसवे पर निकलती गाड़ियां।  



जागरण संवाददाता, मथुरा। सर्द मौसम की शुरुआत हो चुकी है। कोहरे ने भी दस्तक देना शुरू कर दिया है। ऐसे में यमुना एक्सप्रेसवे पर कोहरे में वाहनों को राह दिखाने के लिए अभी कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। रेलिंग पर रात में वाहनों की लाइट में चमकने को दोनों ओर लगाए अधिकांश रिफ्लेक्टर गायब हो गए हैं। सड़क पर सफेद पट्टी भी जगह-जगह धुंधली पड़ गई है। इससे एक्सप्रेसवे पर रात के समय कोहरे में वाहनों के टकराने का खतरा बढ़ गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रेलिंग पर लगे रिफ्लेक्टर गायब, धुंधली हुई सफेद पट्टी

यमुना एक्सप्रेसवे पर रामभरोसे चल रहा है। यहां आए दिन वाहन टकराते रहते हैं, लेकिन हादसे रोकने के लिए यहां समुचित प्रबंध नहीं हैं। पुलिस और एक्सप्रेसवे अथारिटी सबक लेने को तैयार नहीं हैं। दावे बड़े-बड़े किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं आ रहा है। नोएडा से आगरा तक 165 किमी लंबे यमुना एक्सप्रेसवे का लोकार्पण अगस्त 2012 में हुआ था।

धुंध में भगवान भरोसे सफर तय करेंगे फर्राटा भरते वाहन


इस पर विश्वस्तरीय सुविधाओं का दावा किया गया था, लेकिन 13 वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी आवश्यक सुविधाएं, सुरक्षा व कोहरे से बचाव के समुचित इंतजाम नहीं हैं। जगह-जगह रैलिंग टूटी पड़ी है, वाहनों की स्पीड पर कोई नियंत्रण नहीं है। अधिकांश सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं। जगह-जगह सड़क पर सफेद पट्टी धुंधली हो गई हैं। रैलिंग के दोनों ओर रात में वाहनों की लाइट में चमकने को लगाए गए अधिकांश रिफ्लेक्टर गायब हो गए हैँ। इतना ही नहीं ब्लैक स्पाट तक चिह्नित कर हादसे रोकने के लिए कोई उपाय करने की जरूरत भी नहीं समझी। यही कारण है कि कोहरा शुरू होते ही वाहन टकराने लगते हैं।
रात में नहीं दिखते रिफ्लेक्टर

बस चालक छैलबिहारी शर्मा का कहना है कि कोहरे में दृश्यता शून्य तक पहुंच जाती है। इससे रात में रिफ्लेक्टर तक दिखाई नहीं देते है। ऐसे में सफर पूरा करना मुश्किल हो जाता है। टैक्सी चालक देवेंद्र बाबा का कहना है कि यमुना एक्सप्रेसवे पर कोहरे में सफर खतरे से खाली नहीं हैं। फर्राटा भरते समय गाड़ी कब कहां टकरा जाए, हर समय अंदेशा बना रहता है। किसान नेता भूपेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि यमुना एक्सप्रेसवे पर कोहरे में हर वर्ष वाहन टकरा रहे हैं। इसके बावजूद बचाव के लिए आथिरिटी द्वारा कोई माकूल इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं।

टूटी फेंसिंग और छुट्टा जानवर बने खतरा



यमुना एक्सप्रेसवे पर जगह-जगह टूटी पड़ी फेंसिंग और ऊपर चढ़ रहे जानवर भी कोहरे के दौरान दुर्घटना का खतरा बने हुए हैं। टूटी फेंसिंग पर अक्सर दोपहिया वाहन चढ़ उतर रहे हैं। वहीं जानवर रैलिंग फांद कर ऊपर चढ़ जाते हैं। अचानक उतार-चढ़ाव और जानवरों के आने से एक्सप्रेसवे पर दुर्घटना का खतरा बना रहता है।

हादसे रोकने को हों यह इंतजाम



यमुना एक्सप्रेसवे पर कोहरा से बचाव के लिए दोनों ओर हर सौ मीटर पर डेलीनेटर व फाग लाइट लगाई जाए। सड़क पर कोहरा में चमकने वाले रिफ्लेक्टर लगाए जाएं। जिन वाहनों पर रिफलेक्टर टेप नहीं लगे, उनको रोक कर टेप लगाए जाएं। वहीं टोल पर ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से वाहन चालकों को समझाया जाए कि वह कोहरा में सावधानी पूर्वक गाड़ी चलाएं।

कोहरा में बरतें सतर्कता

स्पीड का खासा ध्यान रखें। नार्मल दिनों से कम ही स्पीड रखें और लेन बदलते समय सतर्कता बरतें। अधिकतर मिड और लो सेगमेंट की कारों में फाग लाइट नहीं होती। अगर आपकी कार में भी नहीं है तो यह तरीका अपनाएं। पीला सिलो पेपर कार की हेडलाइट पर चिपका दें और ड्राइव करते समय हाई-बीम लाइट को जलाकर रखें। ड्राइव करते समय मोबाइल फोन या रेडियो का इस्तेमाल ना करें। बाहर की आवाज का ध्यान रखने के लिए थोड़ा शीशा भी नीचे रखें।

कोहरे के वक्त सड़के अक्सर गीली हो जाती हैं। ऐसे में अचानक ब्रेक लगाते वक्त गाड़ी के स्लिप होने का खतरा हो जाता है। दूसरी गाड़ियों को ओवरटेक करने की कोशिश न करें। कई बार बाहर का कोहरा कार के अंदर भी आने लगता है, इसलिए कार में हीटर चलाकर रखें।
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