नई दिल्ली। पीएफ नियंत्रित करने वाली संस्था ईपीएफओ (EPFO) जल्द पेंशनभोगियों को अच्छी खबर दे सकती है। ईपीएफओ के तहत सभी कर्मचारियों को ईपीएफ (EPF) और ईपीएस (EPS) का फायदा मिलता है। ईपीएफ में कंपनी द्वारा बेसिक सैलरी का 3.67 फीसदी और कर्मचारी द्वारा बेसिक सैलरी का 12 फीसदी जमा किया जाता है।
इसके साथ ही कंपनी ईपीएस में 8.33 फीसदी योगदान देती है। इसमें कर्मचारी कोई भी योगदान नहीं देता। ईपीएफ में जमा पैसे आपको रिटायर होने पर मिलते हैं। कुछ स्थिति में आप ये पैसे पहले भी निकाल सकते हैं। वही ईपीएस में जमा पैसे आपको रिटायर होने पर पेंशन के रूप में मिलते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसी पेंशन (EPFO Pension) की रकम को लेकर ईपीएफओ जल्द अच्छी खबर दे सकती है। पेंशन में इस बढ़ोतरी का लाभ 6.5 करोड़ से अधिक कर्मचारी को मिलने वाला है। न्यू लेबर कोड्स (New Labour Codes) आने के बाद पेंशन में बढ़ोतरी को लेकर चर्चा और तेज हो गई है।
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क्या है नया अपडेट?
न्यू लेबर कोड (New Labour Codes) में भी पीएफ में योगदान की बढ़ोतरी को लेकर कहा जा रहा है। आपको बता दें कर्मचारी केवल ईपीएफ में योगदान करता है। रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन में कंपनी द्वारा योगदान किया जाता है। ईपीएफ और ईपीएफ में अंतर में आप नीचे दिए गए टेबल से और बेहतर समझ सकते हैं।
EPF और EPS में किसका कितना योगदान?
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ईपीएफ |
ईपीएस |
कंपनी का योगदान |
बेसिक सैलरी का 3.67% |
बेसिक सैलरी का 8.33 % |
कर्मचारी का योगदान |
बेसिक सैलरी का 12% |
कुछ नहीं |
लिमिट |
बेसिक सैलरी के आधार पर |
हर महीने 1250 |
टैक्स |
टैक्स फ्री है |
कोई ब्याज नहीं दिया जाता है। |
निकासी |
पूरी राशि रिटारयमेंट के बाद अब कुछ स्थिति में पूरे पैसे पहले भी निकाल सकते हैं। |
पेंशन 58 साल पर शुरू होगी। |
योगदान कितने समय |
60 साल तक, बेरोजगारी होने पर नहीं |
न्यूनतम 10 साल, शुरुआती पेंशन के लिए 50 साल और नियमित पेंशन के लिए 58 साल तक |
कब होगा बदलाव?
मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) की बैठक दिसंबर से जनवरी 2026 के बीच हो सकती है। इसी बैठक में बेसिक सैलरी लिमिट को बढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया जाएगा। |