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तीन दशक बाद लौटेगी डालमियानगर की रौनक? PM मोदी के साथ बैठक में रेल कारखाना पर बड़ा फैसला संभव

Chikheang 3 day(s) ago views 155

  



उपेंद्र मिश्र, डेहरी आन सोन। डालमियानगर में साढ़े पांच दशक तक बिहार के उद्योग जगत का चिराग रहा रोहतास उद्योग समूह पिछले तीन दशक से अपनी खोई हुई रौनक लौटने के आसार जगे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरा के चुनावी सभा में डालमियानगर के बदहाली के जिक्र के बाद रेल कारखाना लगने की उम्मीद बढ़ी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उम्मीद जताई जा रही है की बिहार के औद्योगिक विकास पर दिल्ली में 25 नवंबर को आयोजित बैठक में रेल कारखाना लगाने पर सार्थक निर्णय लिया जायेगा।
1938 में सीमेंट कारखाना का उद्घाटन

उद्योगपति रामकृष्ण डालमिया ने आजादी से पहले 1932 में यहां उद्योग लगाकर लोगों के जीवन में नई ऊर्जा का संचार किया था। 1938 में सीमेंट कारखाना का उद्घाटन नेताजी सुभाष चंद्र बोस व 1939 में देश के पहले राष्ट्रपति बने राजेंद्र प्रसाद ने किया था।

सोन नदी के किनारे बसे लोगों के लिए शहर में उस समय सभी सुविधाएं उपलब्ध थी जो एक विकसित टाउनशिप में हुआ करती है।डालमियानगर के वासी यहा की सुख, शाति और समृद्धि को लेकर फूले नहीं समाते थे।  

डालमियानगर से रोहतास तक लोगों के आवागमन के लिए छोटी रेल लाइन सुविधा,बेहतर सड़क, आधुनिकतम आवास,कालेज, स्कूल आदि स्थापित हुए थे।

नई दिल्ली-हावड़ा रेल लाइन पर स्थित होने के कारण अंग्रेजों द्वारा विकसित इस क्षेत्र का काफी विकास हुआ था। मुगलसराय के बाद गया और हावड़ा रेल लाइन से जुड़े रहने के कारण औद्योगिक कच्चे माल और तैयार माल की ढुलाई के लिए एक अच्छा बुनियादी परिवहन ढाचा उपलब्ध था।  

सामान के परिवहन के लिए यह ग्राड कोर्ट लाइन पर पड़ता था। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो पर स्थित होने के कारण यह सड़क परिवहन मार्ग से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ था।

कहते है रामकृष्ण डालमिया से उत्तराधिकार में इस उद्योग की विरासत पाने वाली अशोक जैन कंपनी के इसकी देखभाल ठीक से नहीं कर पाने के कारण उद्योग समूह पहले बीमार हुआ और उसके बाद यहां काम करने वाले लोगों के सिर से एक मजबूत कंपनी का साया उठ गया।
परीसमापन में चल रहे रोहतास उद्योग समूह के 219 एकड़ भूमि रेलवे ने क्रय करने के बाद

22 नवंबर 2008 में यूपीए सरकार में लोक सभा चुनाव के पहले रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव यहां पहले यहा हाई एक्सेल बोगी व काप्लर निर्माण कारखाना का शिलान्यास भी किया था। यूपीए दो की सरकार में धरातल पर रेल कारखाना नहीं आया।

चीनी , कागज, वनस्पति तेल, सीमेंट, रसायन, स्टील, फाइबर और एस्बेसटस उद्योग के लिए विख्यात डालमियानगर समूह ने पांच दशक तक इस क्षेत्र में रौनक बनाए रखी थी।  

लेकिन वर्ष 1984 में डालमियानगर समूह के नाम से मशहूर 219 एकड़ क्षेत्र में फैले रोहतास उद्योग पुंज समूह का चिराग जब बुझा तो बिहार के उद्योग जगत में अंधेरा छा गया।

करीब 25 साल बंद रहने के बाद जब रोहतास उद्योग पुंज समूह के इस बंद पड़े कारखाने को रेलवे ने खरीदा तो लोगों में आशा का संचार हुआ था। लेकिन यहा कोई उद्योग नहीं लग पाया है।
काराकाट संसदीय क्षेत्र के उस समय के सांसद व केंद्र में मंत्री रहे उपेंद्र कुशवाहा ने पहल किया

2015 के विधानसभा चुनाव से पूर्व पीएम नरेंद्र मोदी ने डालमियानगर में रेल कारखाना लगाने का भरोसा दियाl 2017 जून में रेल मंत्रालय ने यहां रेल बैगन मरम्मत कारखाना, हाई एक्सेल बोगी निर्माण की जिम्मेवारी राइट्स को सौपी गईl  

बंद पड़े रोहतास उद्योग के कबाड़ में तब्दील हो चुके पुराने कारखाना को 94 करोड़ में नीलाम हो गएl रेल बैगन मरम्मत कारखाना लगाने का 2020 में बजटीय प्रावधान भी किया गयाl रेल बैगन मरम्मत कारखाना लगाने के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू हुई lलेकिन उद्योग धरातल पर नहीं उतरा।

लोजपा आर के स्थानीय विधायक राजीव रंजन उर्फ़ सोनू सिंह कहते है उनके नेता पार्टी सुप्रीमो व केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने रेल कारखाना लगाने को सार्थक पहल करने का भरोसा दिया हैl

उन्होंने बताया कि बिहार के औद्योगिक विकास पर दिल्ली में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बैठक बुलाई है l बिहार के उद्योग मंत्री दिलीप जायसवाल वहां जा रहे है।उम्मीद है कि डालमियानगर में रेल कारखाना लगाने को ले सार्थक पहल करेंगे।
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