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दुष्कर्म पीड़िता के बयान पलटने पर आरोपित बरी: आगरा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के पुत्र समेत पांच पर लगाए थे आरोप

deltin33 2025-11-22 14:07:08 views 428

  

सांकेतिक तस्वीर।



जागरण संवाददाता, आगरा। पीड़िता उसकी सहेली के गवाही में मुकरने पर 13 वर्ष पुराने चर्चित मामले में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष गनेश यादव के पुत्र कौशल यादव समेत पांच आरोपितों को न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। गवाही के दौरान पीड़िता उसकी सहेली ने कहा कि कुछ नेताओं के दबाव में उन्होंने बयान दिया था। एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट बी. नारायण ने साक्ष्य के अभाव में आरोपितों को बरी करने साथ ही वादिनी मुकदमा एवं पीड़िता उसकी सहेली के विरुद्ध परिवाद दर्ज कर विधिक कार्यवाही के आदेश दिए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पीड़िता उसकी सहेली ने गवाही में आरोपितों को पहचानने से इनकार किया

चर्चित घटना 31 जनवरी 2013 की है। ताजगंज थाने में पीड़िता उसकी सहेली की संयुक्त तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसमें तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष गनेश यादव के पुत्र कौशल यादव, उसके मित्रों सचिन उपाध्याय, राहुल उपाध्याय शिवराम, पवन सिंह तोमर के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया था।
नेताओं के कहने पर दिया बयान

पीड़िता के अनुसार 31 जनवरी को वह अपनी सहेली के साथ कोचिंग जाने को निकली थी। एकता चौकी के पास राहुल अपने मित्र पवन बाइक से उनके पास आए और साथ घूमने की जिद करने लगे। दाेनों कई दिन से पीछा कर रहे थे। कहा कि इसके बाद वह दोनों को परेशान नहीं करेंगे। दोनों उसे व सहेली को सिकंदरा स्थित एक रेस्टोरेंट लेकर आए। शाम को वहां से कौशल यादव और शिवराम अपने साथ कार में बैठाकर उखर्रा गांव लेकर गए। उसे खेत में बनी एक कोठरी में ले जाकर धमकी देकर दुष्कर्म किया। इसके बाद उसे राहुल की बाइक पर बैठाकर विभव नगर तिराहे पर छोड़ दिया गया।

मुकदमे की वादी और गवाही देने वाली युवती के खिलाफ परिवाद दर्ज करने के दिए आदेश



पुलिस ने आराेपितों को जेल भेज उनके विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया था। अभियोजन की ओर से पीड़िता एवं वादिनी मुकदमा, पीड़िता की सहेली, डाक्टर प्रवीना, डा. एके उपाध्याय ,विवेचक जसवीर सिंह, ,पुलिसकर्मी इंद्रधनुष को बतौर गवाह अदालत में पेश किया। पुलिस, डाक्टरों एवं मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने आरोप की पुष्टि के बावजूद पीड़िता एवं उसकी सहेली पूर्व बयानों से मुकर गए। दोनों ने कहा कि उनके द्वारा पूर्व बयान नेताओं के दबाब में दिए गए थे। साक्ष्य के अभाव एवं आरोपियो के अधिवक्ता राजेश यादव के तर्क पर एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट बी. नारायणन ने बरी कर दिया।
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