आंखों का पानी सोख रही एसी की ठंडक, बरतें सावधानी (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। अक्टूबर माह शुरू हो गया है और गर्मी कम होने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में एसी (एयर कंडीशनर) बराबर चलाया जा रहा है। एसी की ठंडी हवा में रहने की आदत आंखों पर भारी पड़ रही है। एसी की ठंडी हवा आंखों का पानी सोख रही है। ड्राई आई सिंड्रोम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आंखों के डाक्टरों के पास पहुंचने वाले 20 प्रतिशत मरीज इसी बीमारी के शिकार हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कल्याण सिंह राजकीय मेडिकल कालेज के चिकित्सा अधीक्षक डा. धीर सिंह ने बताया कि नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में हर रोज 150 से 180 तक मरीज पहुंचते हैं। इनमें से 20-25 मरीज ड्राई आई सिंड्रोम के हैं। इस तरह एक महीने में लगभग 600 से 750 मरीज पहुंच रहे हैं, जबकि तीन महीने में यह आंकड़ा 2250 तक पहुंच गया। इस सिंड्रोम के सर्वाधिक शिकार कामकाजी लोग हैं। जिनकी उम्र 30 से 50 साल के बीच है। इनमें से अधिकतर वह लोग हैं, जोकि एसी में अधिक समय बिताते हैं। साथ ही ये स्क्रीन टाइम भी अधिक लेते हैं।
मरीजों की केस हिस्ट्री के मुताबिक वे एक दिन में औसतन पांच से सात घंटे का स्क्रीन टाइम ले रहे हैं। इसमें चार घंटे लैपटाप या कंप्यूटर और दो से तीन घंटे मोबाइल पर बिता रहे हैं। यह दोनों कारण आंखों को सुखाकर दिक्कतें देने लगे हैं।
बच्चों और बड़ों दोनों में मिल रही यह समस्या
मेडिकल कालेज की नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. दिव्या वर्मा का कहना है कि एयर कंडीशनर ठंडी हवा देने के लिए हवा से नमी सोख लेता है। आसपास का वातावरण शुष्क हो जाता है। इससे आंखें सूख जाती हैं। इसके अलावा खराब खानपान, कम पानी पीना, अधूरी या पर्याप्त नींद न लेना, प्रदूषण भी ड्राईनेस को बढ़ा रहा है। बीते 15 सालों में यह बीमारी लगातार बढ़ रही है। छोटे बच्चों से लेकर कामकाजी तक ड्राई आई सिंड्रोम से पीड़ित हैं। उन्हें तब पता चलता है जब बीमारी बहुत बढ़ जाती है।
इन लक्षणों पर हो जाएं सतर्क
डाक्टरों के अनुसार ड्राई आई सिंड्रोम के मुख्य लक्षणों में आंखों में पानी आना, चिपकना, आंख में कुछ पड़ा महसूस होना, करकराहट, आंखों में चुभन, लाल आंखें हैं। ध्यान रहे कि सिंड्रोम में आंख का पानी कम और ज्यादा बनना दोनों शामिल है। डायबिटीज, थायराइड और किसी अन्य स्थाई बीमारी वालों को यह दिक्कत जल्दी होती है।
दवाओं से सर्जरी तक की नौबत
अगर रोग को पहली स्टेज में पकड़ लिया जाए तो दवाइयां और ड्राप से ठीक किया जा सकता है। लेकिन, इसके लिए कोर्निया विशेषज्ञ के पास जाना ही ठीक रहेगा। रोग पकड़ने के लिए स्क्रीनिंग बेहद जरूरी है। महज आंखों को देखकर ही इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। एक बार अगर रोग बिगड़ गया तो सर्जरी की नौबत भी आ सकती है।unnao-education,Unnao news, UPPSC PCS 2025, PCS pre exam, Unnao exam centers, UPPSC guidelines, Government exams, Uttar Pradesh Public Service Commission, Competitive exam, Exam security, Unnao district administration, कानपुर समाचार, उन्नाव समाचार, पीसीएस परीक्षा,Uttar Pradesh news
बचाव के उपाय
एसी की हवा सीधे शरीर पर नहीं आनी चाहिए।
तापमान को शरीर से एक-दो डिग्री नीचे रखें।
खुले या एसी के बंद स्थान पर चश्मा पहनने से बचाव होता है।
पर्याप्त पानी पीते रहें, इसकी कमी से भी आंखें सूख जाती हैं।
कंप्यूटर, मोबाइल पर काम करते समय पलकें झपकाते रहें।
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Disclaimer: इस समाचार में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डाक्टर से सलाह लें।
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