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पहले रावण को जमाई मान कर करेंगे पूजा, फिर माफी मांगकर होगा वध, मंदसौर में दशहरे के अनूठी परंपरा_deltin51

deltin33 2025-10-2 02:36:29 views 1169

  पहले रावण को जमाई मान कर करेंगे पूजा, फिर माफी मांगकर होगा वध





डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मंदसौर जिले में दशहरे पर प्राचीनकाल से अनूठी परंपराएं चली आ रही हैं। देश के अधिकांश भागों में रावण के पुतले का दहन किया जाता है, लेकिन शहर के खानपुरा क्षेत्र में रावण को जमाई राजा का मान-सम्मान देकर सुबह ढोल-ढमाके के साथ पूजा की जाएगी। शाम को माफी मांगकर प्रतीकात्मक वध किया जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इधर, जिले के ग्राम धमनार में भी रावण की प्रतिमा के सामने राम-रावण की सेना के बीच वाकयुद्ध होगा। दोनों तरफ से एक-दूसरे पर जलते हुए टोपले फेंके जाएंगे। राम की सेना में शामिल युवक रावण तक पहुंचकर नाक पर मुक्का मारकर दंभ का अंत करेंगे। मंदसौर में घनी बस्ती वाले क्षेत्र खानपुरा में लगभग 500 साल पुरानी रावण प्रतिमा को नामदेव छीपा समाज रावण बाबा मानकर पूजा-अर्चना करता आ रहा है।


मंदोदरी का मायका मंदसौर- प्रचलित मान्यता

प्रचलित मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका मंदसौर में नामदेव समाज में ही था। इसके चलते खानपुरा क्षेत्र में रावण को जमाई राजा मानकर पूजते हैं। दशहरे पर सुबह नामदेव छीपा समाज के महिला-पुरुष खानपुरा स्थित श्री बड़ा लक्ष्मीनारायण मंदिर से ढोल के साथ रावण प्रतिमा स्थल पहुंचकर पूजा-अर्चना करेंगे।

लोग रावण बाबा से पूरे क्षेत्र को बीमारी व महामारी से दूर रखने के लिए प्रार्थना करेंगे। पैर में लच्छा भी बांधेंगे। शाम को गोधुलि वेला में रावण प्रतिमा की पूजा-अर्चना कर माफी मांगकर गले में पटाखे की लड़ जलाकर प्रतीकात्मक वध करेंगे।Deep Submergence Rescue Vehicle,DSRV Tiger X,Indian Navy submarine rescue,Exercise XPR-25,INS Nistar,South China Sea,Multinational naval exercise,Submarine rescue operation,TUP System,hind mahasagar   


बुजुर्ग महिलाएं आज भी रावण की प्रतिमा के सामने से निकलते समय निकालती हैं घूंघट

रावण को जमाई राजा मानने की मान्यता के कारण ही नामदेव समाज सहित कुछ अन्य समाज की बुजुर्ग महिलाएं आज भी रावण की प्रतिमा के सामने से निकलते समय घूंघट निकालती हैं। इतिहासकार मंदोदरी के मंदसौर के रिश्ते के किसी भी तरह के साक्ष्य होने की बात से इन्कार करते रहे हैं पर रावण की प्रतिमा मंदसौर में क्यों बनी, इसके पीछे कोई उचित कारण नहीं बता पाते हैं।



बुजुर्ग मंदोदरी से शहर के रिश्ते का सबसे बड़ा प्रमाण देते हुए उलटा प्रश्न खड़ा करते हैं कि इस शहर का नाम मंदसौर क्यों हुआ? मंदोदरी के रिश्ते के कारण ही यहां का नाम मंदसौर है। हालांकि कहीं भी उल्लेख नहीं होने के कारण धार्मिक क्षेत्रों से जुड़े लोग व इतिहासकार इसे नहीं मानते हैं।

यह भी पढ़ें- Dussehra 2025: रावण दहन नहीं, यहां होती है पूजा! जानें कहां हैं भारत के 5 अनोखे रावण मंदिर

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