अलग-अलग राज्यों में ऐसे मनाते हैं दशहरा (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दशहरा भारत के सबसे खास त्योहारों में से एक है। यह त्योहार पूरे देश में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार (Dussehra 2025) 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हालांकि, दशहरा का नाम सुनते ही दिमाग में सबसे पहली छवि रावण के जलते हुए पुतले की आती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लेकिन भारत की सांस्कृतिक विविधता ऐसी है कि देश के अलग-अलग कोनों में दशहरे का त्योहार बड़े ही अलग तरीकों से मनाया जाता है (Dussehra Celebration in India)। इनके पीछे अलग-अलग जगहों की धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं छिपी हुई हैं, जो इसे बेहद खास बनाती हैं। आइए जानें भारत के अलग-अलग हिस्सों में कैसे मनाते हैं दशहरा।
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उत्तर भारत
उत्तर भारत में दशहरा भगवान राम की रावण पर विजय की कहानी के इर्द-गिर्द घूमता है। यहां ‘रामलीला’ का मंचन एक मुख्य आकर्षण है, जहां राम, सीता और लक्ष्मण के जीवन के प्रसंगों को नाटक के रूप में दिखाया जाता है। त्योहार का समापन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के विशाल पुतलों को जलाकर किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिमाचल प्रदेश का कुल्लू दशहरा दुनियाभर में मशहूर है, जहां देवताओं की सजी-धजी मूर्तियों को एक भव्य जुलूस में निकाला जाता है।
पूर्व भारत
पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और बिहार के कुछ हिस्सों में, दशहरा दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार दस दिनों तक चलता है और देवी दुर्गा की महिषासुर नामक राक्षस पर विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को विजयदशमी कहते हैं। बंगाल में पांच दिनों तक चलने वाली यह पूजा भव्य पंडालों, खूबसूरत मूर्तियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से रमी होती हैं। विजयदशमी के दिन, देवी की मूर्तियों को एक जुलूस के साथ नदी या तालाब में विसर्जित किया जाता है। इस दिन सिंदूर खेला का रिवाज है, जहां महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर देवी के आशीर्वाद की कामना करती हैं।Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari, Varun Dhawan, Kantara Chapter 1, Sanya Malhotra, Janhvi Kapoor, CBFC rating, Censor Board, Rohit Saraf, Bollywood news, Entertainment news
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दक्षिण भारत
दक्षिण भारत में दशहरा मनाने के तरीके बहुत अलग है। यहां इस दिन को आयुध पूजा के रूप में मनाया जाता है, जहां लोग अपने औजारों, वाहनों और हथियारों की पूजा करते हैं। तमिलनाडु में, बोम्मई कोलु या गोलू की परंपरा है, जहां घरों में गुड़ियों की सीढ़ीनुमा सजावट की जाती है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में शमी पूजा की जाती है, जहां लोग शमी के पेड़ की पूजा करते हैं और एक-दूसरे को उसकी पत्तियां ‘सोना’ के रूप में भेंट करते हैं, जो समृद्धि का प्रतीक है।
पश्चिम भारत
गुजरात में, दशहरा नवरात्रि के नौ रातों के भव्य उत्सव के बाद आता है। यहां गरबा और डांडिया रास का जोरदार नृत्य त्योहार की शान है, जहां लोग पारंपरिक पोशाक पहनकर ढोल की थाप पर नाचते हैं। महाराष्ट्र में, विजयदशमी को नए काम और पढ़ाई शुरू करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। लोग एक-दूसरे को सोने की समान आकृति वाली शमी की पत्तियां, जिसे सोना पत्ती कहते हैं, भेंट करके शुभकामनाएं देते हैं।
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