संगरूर में धान की फसल पर हल्दी रोग से फट रहे दाने (फोटो: जागरण)
नवदीप सिंह, संगरूर। सितंबर महीना गुजर चुका है, खेतों में लगी धान की फसल करीब आधा पक चुकी है, वहीं बासमती कटकर मंडी पहुंच चुकी है, महज कुछ हिस्साें में ही कटने को बाकी है। धान की अन्य किस्मों की कटाई में अभी देरी है, लगभग बीस दिन तक का समय लग सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
परन्तु पिछले एक महीने से धान में चल रही बीमारियों का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। इन दिनों खेतों में सबसे अधिक हल्दी रोग का प्रकोप नजर आ रहा है। कई बार किसान इसे रोकने के लिए उल्लीनाशक स्प्रे कर चुके हैं, बावजूद रोग रूक नहीं रहा है।
अनाज के दाने फट रहे हैं। जिससे पैदावार पर असर होना तय है। इस संबंधी संगरूर के किसान शमशेर सिंह, जरनैल सिंह, महिंदर सिंह, गुरजीवन सिंह ने बताया कि जुलाई महीने में अधिक वर्षा ने जहां धान को पानी की कमी से बचाया, वहीं दूसरी तरफ अधिक नमी के कारण बीमारियों ने फसल को जकड़ लिया है।lucknow-city-state,Lucknow News,Lucknow Latest News,Lucknow News in Hindi,Lucknow Samachar,UP Education News, UP News, Free Books to Students, Students of Class 1st to 12th , UP CommonmanIssue, Basic Education Department, Secondary Education, UP News, Lucknow, निशुल्क पुस्तकें, एक -आठ के विद्यार्थियों,Uttar Pradesh news
तापमान बढ़ने और नमी से धान की फसल पर कई प्रकार के रोगों ने धावा बोल दिया है। खेतों में पत्ता लपेट सुंडी, हल्दी रोग झुलस रोग, धब्बा रोग का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इससे किसान काफी चितिंत दिखाई दे रहे हैं। बीमारियों का प्रकोप धान की किस्म पीली पूसा, 126, पीआर 127, पीआर 128, बासमती 1121 और 1509 पर दिख रहा है।
किसानों मुताबिक हल्दी रोग अधिक तापमान, अधिक यूरिया खाद का प्रयोग करने से होता है। अधिक वर्षा व नमी से भी रोग पनप सकता है। रोग में अनाज के दाने फटकर पापकार्न की शक्ल जैसे हो जाते हैं, इस समय एक पौधे पर करीब दो बल्लियों पर यह रोग नजर आ रहा है। अब तक किसानों द्वारा महंगी स्प्रे करने के बावजूद रोग खत्म नहीं हो रहा। इसका पक्का हल नहीं है।
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