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दिल्ली में प्रदूषण का नया रूप: फेफड़ों से खून तक पहुंच रहे पीएम 2.5 के कण, कई बीमारियों का खतरा हुआ दोगुना

cy520520 2025-11-20 04:07:02 views 237

  

प्रतीकात्मक तस्वीर।



जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली का प्रदूषण अब केवल पीएम 2.5 तक सीमित नहीं रहा। पीएसआरआई अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि इससे भी छोटे कण राजधानी की हवा में घुलकर फेफड़ों के साथ-साथ शरीर के लगभग सभी अंगों पर गंभीर असर डाल रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पद्मावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टिट्यूट एंड हाॅस्पिटल (पीएसआरआई) के विशेषज्ञों ने बुधवार को पत्रकारवातार् का आयोजन कर यह जानकारी साझा की। उन्होंने बढ़ते प्रदूषण को ‘मल्टी-आर्गन हेल्थ क्राइसिस’ बताते हुए चेताया कि अब खतरा सिर्फ सांस लेने में दिक्कत तक सीमित नहीं है, बल्कि पाचन तंत्र, इम्युनिटी, मेटाबॉलिज़्म और यहां तक कि कुछ प्रकार के कैंसर तक बढ़ रहा है।

गट हेल्थ, डायबिटीज़ और कैंसर पर प्रदूषण का सीधा असर पड़ रहा है। पीएसआरआइ सर्जिकल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और आंकोलाजी विशेषज्ञ डाॅ. निशांत कुरियन ने बताया कि दिल्ली की जहरीली हवा में मौजूद पीएम2.5 जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों से होते हुए सीधे रक्त प्रवाह (ब्लडस्ट्रीम) में पहुंच जाते हैं।

इनसे गट माइक्रोबायोम बिगड़ता है, पाचन संबंधी सूजन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं बढ़ती हैं। बताया कि इससे इम्युनिटी कमजोर होती है और डायबिटीज़ के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।  

उन्होंने कहा कि डायबिटीज़ अब सिर्फ लाइफस्टाइल या जेनेटिक बीमारी नहीं रह गई है। उन्होंने चेताया कि प्रदूषण-जनित सूजन और मेटाबालिक असंतुलन का सीधा संबंध टाइप-2 डायबिटीज से जुड़ रहा है। दिल्ली–एनसीआर में इंसुलिन रेज़िस्टेंस और हाइपरग्लाइसेमिक एपिसोड जैसे मामलों में प्रदूषण के दिनों में तेजी देखी गई है।
अब एन-99 मास्क पर ही भरोसा

पीएसआरआई के पल्मोनरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. डाॅ. जीसी खिलनानी ने कहा कि दिल्ली का प्रदूषण सिर्फ गंभीर ही नहीं बल्कि लगातार बढ़ते खतरे के रूप में मौजूद है। उन्होंने कहाकि एन95 मास्क कुछ हद तक ही राहत देते हैं, लेकिन पूर्ण सुरक्षा नहीं। अब एन99 मास्क ही वास्तविक बचाव दे सकता है।

कपड़े और साधारण सर्जिकल मास्क बेहद कम या लगभग शून्य सुरक्षा देते हैं। घरों में धुआं पैदा करने वाली कुकिंग तकनीक जैसे तंदूरी या भारी तेल वाले फ्राय प्रदूषण के दिनों में खतरा दोगुना करती हैं। डा. खिलनानी ने स्पष्ट कहा, दिल्ली का प्रदूषण मौजूदा उपायों से कम नहीं होने वाला। लोगों को खुद जागरूक होकर अपना और अपने परिवार का बचाव करना होगा।
जागरूकता ही एकमात्र रास्ता

चिकित्सकों ने एक स्वर में कहाकि प्रदूषण अब स्वास्थ्य आपदा का रूप ले रहा है, जिसे रोकने के लिए जन-जागरूकता, व्यक्तिगत सुरक्षा उपाय और नीति-स्तर पर सख्त कदम अत्यंत आवश्यक हैं।

यह भी पढ़ें- दिल्ली में स्मॉग की चादर में घुट रहा लोगों का दम, वायु गुणवत्ता फिर से \“गंभीर\“ श्रेणी के करीब, AQI 392 दर्ज
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