deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

Bihar Chunav में झटके के बाद झारखंड में उठे सवाल, क्या बदलेगा महागठबंधन का समीकरण?

LHC0088 2025-11-19 23:37:10 views 252

  

तेजस्वी यादव, हेमंत सोरेन और राहुल गांधी। (फाइल फोटो)



जागरण संवाददाता, धनबाद। बिहार विधानसभा चुनाव-2025 के परिणाम न सिर्फ पटना की राजनीति को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि इसका असर अब झारखंड की सत्ता तक दिखाई देने लगा है। झारखंड में सरकार चला रहे झामुमो (JMM) की नाराजगी खुलकर सामने आ चुकी है। कारण साफ है-बिहार में महागठबंधन (राजद-कांग्रेस-वामदल) द्वारा झामुमो को सीटें न देना। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

झामुमो का आरोप है कि उसके सहयोगियों ने-गठबंधन धर्म, भरोसे और राजनीतिक समझदारी को नजरअंदाज किया है। पार्टी इसे महज चुनावी उपेक्षा नहीं, बल्कि राजनीतिक षड्यंत्र मान रही है। झामुमो ने बिहार चुनाव में शुरुआत में छह सीटों पर दावा किया था, लेकिन सीट-बंटवारे में उपेक्षा के बाद पार्टी ने चुनाव से खुद को अलग कर लिया।

झामुमो ने स्पष्ट कहा कि कांग्रेस और राजद ने लगातार झूठे वादे किए और बिहार चुनाव में सीट शेयरिंग से बाहर कर दिया। इसे झारखंड की राजनीति में बदनामी और विश्वासघात की तरह देखा गया। अब जब बिहार का चुनाव परिणाम आ गया है और महागठबंधन की करारी हार हुई है तो झामुमो को सवाल उठाने का मौका मिल गया है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने स्पष्ट किया है कि राज्य में महागठबंधन की समीक्षा होगी। पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रेस वार्ता में कहा कि महागठबंधन में अगर झामुमो को सीटें दी गई होती तो चुनाव परिणाम और परिस्थिति दूसरी होती। ऐसे में सवाल है कि JMM की नाराजगी का प्रभाव क्या झारखंड में महागठबंधन पर भी पड़ सकता है?

झारखंड विधानसभा में फिलहाल झामुमो के नेतृत्व में हेमंत सोरेन सरकार को समर्थन देने वाले सहयोगी दलों में कांग्रेस, राजद और भाकपा माले शामिल हैं। यहां राजद के चार विधायक हैं। इन चार विधायकों में से एक हैं संजय यादव, जो हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री भी हैं। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज है कि यदि JMM की नाराजगी बढ़ी, तो सबसे बड़ा झटका संजय यादव को लग सकता है। उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने की संभावनाएं भी जोड़ी जा रही हैं।

हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों की राय इससे अलग है। उनका मानना है कि झारखंड में गठबंधन राजनीति कई बार खटास झेलने के बाद भी टूटती नहीं, बल्कि समझौते और संतुलन के साथ आगे बढ़ती है। झामुमो भले नाराज हो, लेकिन गठबंधन तोड़ने जैसे कदम उसके लिए फिलहाल जोखिम भरे हो सकते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि हेमंत सोरेन स्थिरता को प्राथमिकता देंगे और संजय यादव को हटाना फिलहाल उनके हित में नहीं होगा।

झारखंड की राजनीति में यह पहली बार नहीं जब बाहरी चुनावी घटनाओं ने यहां की सत्ता समीकरणों को प्रभावित किया हो। लेकिन इस बार झामुमो का रुख ज्यादा कड़ा है, जो भविष्य की रणनीति की ओर इशारा करता है। फिलहाल स्थिति यह है कि गठबंधन नहीं टूटेगा, पर तनाव बना रहेगा। मंत्री संजय यादव पर ध्यान रहेगा, मगर संकेत इस बात के हैं कि उन्हें तुरंत बाहर करने जैसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।

कुल मिलाकर, बिहार चुनाव के परिणाम ने झारखंड की राजनीति में हलचल जरूर दी है, पर अभी तक नतीजा यह नहीं कि गठबंधन टूट जाएगा। राजद को सत्ताधारी झामुमो गठबंधन से बाहर कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि झारखंड में जैसे महागठबंधन चल रहा वैसे ही चलता रहेगा।  

राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार बिहार में हार से महागठबंधन के नेता सबक लेंगे। और वे महागठबंधन में शामिल दलों के नेता बेहतर समन्वय बनाने का प्रयास करेंगे। ऐसा करके ही वे एनडीए का मुकाबला कर सकते हैं।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

310K

Threads

0

Posts

1210K

Credits

Forum Veteran

Credits
120103
Random