दूरस्थ शिक्षा से बीटेक डिग्री पाने वालों की एआइसीटीई से नहीं कराई थी अभिलेखों की जांच
विवेक मिश्र, जागरण, संवाददाता, कानपुर। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दूरस्थ शिक्षा से बीटेक डिग्री हासिल करने वालों की डिग्री अमान्य करार देने के बाद एक बार फिर निदेशालय ने संदिग्ध प्रधानाचार्यों के अभिलेख सत्यापन कराएगा। इसके तहत राज्य व्यावसायिक और प्रशिक्षण निदेशालय के अंतर्गत संचालित आइटीआइ में लगे अनुदेशकों को प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति दिए जाने को लेकर हुई शिकायत के बाद निदेशालय के अधिकारी सक्रिय हुए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
प्रदेश में कई औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आइटीआइ) में दूरस्थ शिक्षा से बीटेक की फर्जी डिग्री के माध्यम से अनुदेशक पदोन्नति पाकर प्रधानाचार्य बन गए हैं। इस संदेह के कारण चंदौली, बदायूं, संतकबीर नगर, बागपत, कासगंज, औरैया, रायबरेली, कौशांबी, सिद्धार्थ नगर, उन्नाव, मोहनलालगंज लखनऊ, कोंच जालौन, हापुड़, कल्याणपुर कानपुर, अमरोहा व झांसी जिले की आइटीआइ के प्रधानाचार्यों को नोटिस जारी कर 10 अक्टूबर को शैक्षिक व तकनीकी उपाधियों से संबंधित अभिलेखों की स्व प्रमाणित प्रति व मूल अभिलेखों के साथ निदेशालय के वित्त नियंत्रक कार्यालय में बुलाया गया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि अनुदेशकों द्वारा दूरस्थ शिक्षा से की गई बीटेक की डिग्री को मान्य नहीं किया जाएगा। इसके बाद भी आठ से ज्यादा अनुदेशकों ने दूरस्थ शिक्षा से बीटेक की डिग्री ले ली। 20 जुलाई वर्ष 2015 में इन अनुदेशकों को पदोन्नति देकर प्रधानाचार्य बना दिया गया। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद से इन अनुदेशकों की डिग्री की जांच नहीं कराई गई।
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तीन नवंबर 2017 को सर्वोच्च न्यायालय ने दूरस्थ शिक्षा से बीटेक डिग्रियों को अमान्य व फर्जी घोषित किया था। अमान्य व फर्जी दूरस्थ शिक्षा से बीटेक डिग्रियों से पदोन्नति को निरस्त कर दिया था। नियमविरुद्ध तरीके से पदोन्नति पाने वाले अनुदेशकों पर आज तक ठोस कार्यवाही नहीं हो सकी है।
एक बार फिर निदेशालय स्तर पर शिकायत होने पर राज्य व्यावसायिक और प्रशिक्षण निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक मानपाल सिंह संदेह के आधार पर पदोन्नति पाए अनुदेशकों के शैक्षिक दस्तावेजों का अनिवार्य रूप से सत्यापन कराने का नोटिस जारी किया है।
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