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सऊदी अरब- अमेरिका डील: एफ-35 लड़ाकू विमान मिलने से क्यों चिंतित है भारत, इजरायल ने भी जताई चिंता

cy520520 2025-11-19 03:07:14 views 612

  

सऊदी अरब को एफ-35 लड़ाकू विमान मिलने से भारत चिंतित है (फोटो- रॉयटर)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि वह सऊदी अरब को एफ-35 लड़ाकू विमानों की बिक्री को मंजूरी देने की योजना बना रहे हैं। वहीं, सऊदी अरब के साथ इस डील को लेकर इजरायल और भारतीय अधिकारियों के बीच चिंता पैदा कर दी है।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
चीन चुरा सकता है विमानों की उन्नत तकनीक

साथ ही इस बिक्री को लेकर उनके ही प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने चिंता जताई है। प्रशासन के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों को यह अंदेशा है कि इस बिक्री से चीन को इन विमानों की उन्नत तकनीक चुराने का मौका मिल सकता है।
अरबों डॉलर का सौदा होगा

सऊदी अरब ने लॉकहीड मार्टिन के साथ 48 एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदने का अनुरोध किया है, जो अरबों डॉलर का सौदा होगा, जिससे वह पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ विमान खरीदने वाली पहली अरब सेना बन जाएगी। अब तक, मध्य पूर्व में इजरायल ही एकमात्र ऐसा देश था जो एफ-35 का संचालन करता था।

रक्षा खुफिया एजेंसी की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि अगर बिक्री आगे बढ़ती है, तो चीन एफ-35 की उन्नत तकनीक हासिल कर सकता है, जिसमें रियाद के साथ बीजिंग के रक्षा संबंधों का हवाला दिया गया था। चीन अब सऊदी अरब का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और दोनों देशों ने हाल के वर्षों में संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किए हैं।  
भारत ने भी इस संभावित हस्तांतरण पर चिंता व्यक्त की है

भारत ने भी इस संभावित हस्तांतरण पर चिंता व्यक्त की है, खासकर सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए एक रक्षा समझौते को देखते हुए, जिसमें यह शर्त रखी गई है कि किसी भी देश पर हमला दोनों पर हमला माना जाएगा। विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि इस समझौते से पाकिस्तान को सऊदी अरब के माध्यम से उन्नत अमेरिकी सैन्य उपकरणों तक अप्रत्यक्ष पहुंच मिल सकती है।

एक भारतीय रक्षा विश्लेषक ने मीडिया को बताया कि सऊदी अरब का एफ-35 बेड़ा सऊदी अरब के हवाई प्रभुत्व को मजबूत करेगा, जिससे क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों और भारत सहित अन्य निकट-पड़ोसियों को अपनी हवाई और मिसाइल रक्षा रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। ऐसी तकनीक के आने से मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में हथियारों की एक नई होड़ शुरू हो सकती है।
ट्रंप ने कर दी घोषणा

ट्रंप ने ओवल ऑफिस में पत्रकारों से कहा, \“हम ऐसा करेंगे और एफ-35 बेचेंगे।\“ उन्होंने बताया कि सऊदी इन विमानों को खरीदना चाहते हैं और वे हमारे बड़े सहयोगी हैं। ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है, जब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान व्हाइट हाउस पहुंचने वाले हैं।

अमेरिकी रक्षा और एयरोस्पेस कंपनी लॉकहीड मार्टिन सुपरसोनिक स्टेल्थ लड़ाकू विमान एफ-35 का निर्माण करती है। वह प्रतिवर्ष 150 से 190 विमानों का उत्पादन करती है। करीब 20 देशों के पास यह लड़ाकू विमान है या उन्होंने ऑर्डर दिया है। वर्तमान में प्रति विमान आठ करोड़ डॉलर से लेकर 11 करोड़ डॉलर कीमत है। सऊदी अरब अमेरिकी हथियारों का बड़ा खरीदार है।
  रियाद और बीजिंग के बीच सुरक्षा साझेदारी है

हाल ही में एक रिपोर्ट में अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की रक्षा खुफिया एजेंसी ने यह चिंता जताई थी कि अगर सऊदी अरब को एफ-35 विमान बेचने के समझौते को अंतिम रूप दिया जाता है तो चीन इस विमान की तकनीक तक पहुंचने में समक्ष हो सकता है। क्योंकि रियाद और बीजिंग के बीच सुरक्षा साझेदारी है।
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