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Kaal Bhairav Ji: भैरव बाबा के हैं 8 स्वरूप, जानिए उनके नाम और उनका महत्व

cy520520 2025-11-18 17:05:50 views 125

  

Kaal Bhairav Ji: भैरव बाबा के 8 अवतार।



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान शिव के सबसे रौद्र स्वरूप काल भैरव को \“काशी का कोतवाल\“ भी कहा जाता है। वह शिव के ही पूर्ण रूप माने गए हैं, जिनकी उत्पत्ति शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव के क्रोध से हुई थी। धर्म ग्रंथों में भैरव बाबा के आठ स्वरूपों का वर्णन मिलता है, जिन्हें सामूहिक रूप से अष्ट भैरव के नाम (8 forms Of Bhairav Ji) से जाना जाता है। ये आठों स्वरूप अलग-अलग दिशाओं के स्वामी हैं और जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इनकी पूजा से भय, संकट, नकारात्मक शक्तियां और ग्रह दोष दूर होते हैं, तो आइए भैरव बाबा के इन स्वरूपों को जानते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
अष्ट भैरव के नाम और उनका महत्व (Ashta Bhairav Names And Significance)

  • असितांग भैरव - शिव पुराण के अनुसार, यह भैरव जी का प्रथम स्वरूप है। यह सृजन और आरंभ के प्रतीक माने जाते हैं। इनकी उपासना से व्यक्ति की रचनात्मकता बढ़ती है।
  • रुरु भैरव - इन्हें प्रतिष्ठा और शत्रु विजय का रक्षक माना जाता है। इनकी पूजा से मान-सम्मान में वृद्धि होती है और शत्रुओं से जुड़ी बाधाएं दूर होती हैं।
  • चंड भैरव - यह स्वरूप संघर्षों में विजय का प्रतीक है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही बाधाएं और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
  • क्रोध भैरव - क्रोध भैरव दक्षिण-पश्चिम दिशा के स्वामी हैं। वह बाधा का नाश करते हैं। इनकी उपासना से भय, असुरक्षा और आलस्य दूर होता है, और व्यक्ति को साहस प्राप्त होता है।
  • उन्मत्त भैरव - भैरव बाबा का यह रूप भ्रम और मानसिक उलझनों से मुक्ति दिलाता हैं। इनकी पूजा से मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
  • कपाल भैरव - इन्हें धन और प्रतिष्ठा का देव माना जाता है। इनकी आराधना से रुके हुए काम पूरे होते हैं और धन से जुड़ी मुश्किलों का नाश होता है।
  • भीषण भैरव - यह स्वरूप भय और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है। इनकी पूजा से बड़े-बड़े संकटों से छुटकारा मिलता है।
  • संहार भैरव - भैरव बाबा का यह स्वरूप काल का प्रतीक है। इनकी उपासना से मोक्ष और मुक्ति की प्राप्ति होती है।

अष्ट भैरव पूजा के लाभ (Kaal Bhairav Worship Benefits)

अष्ट भैरव की साधना करने से भक्तों को सुरक्षा, सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। जिन लोगों की कुंडली में शनि, राहु या केतु के दोष होते हैं, उन्हें अष्ट भैरव का पूजन विशेष रूप से करना चाहिए। साथ ही काल सर्प दोष और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी भैरव की पूजा परम फलदायी मानी गई है। कहते हैं कि रविवार, बुधवार या भैरव अष्टमी के दिन इन आठों नामों का जप करने से मनचाहा वरदान मिलता है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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