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Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी में क्या खाएं औ क्या नहीं? जानिए व्रत करने के सही नियम

Chikheang 2025-11-18 14:59:16 views 669

  

Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी व्रत के नियम।



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। इसी दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था, इसलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल 1 दिसंबर 2025 को यह पवित्र व्रत (Mokshada Ekadashi 2025) रखा जाएगा। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
व्रत के दौरान क्या खाएं? (Mokshada Ekadashi 2025 Vrat Me Kya Khaye?)

  • फल - इस पावन तिथि पर सभी प्रकार के फल खा सकते हैं, जैसे केला, सेब, संतरा, अंगूर आदि।
  • डेयरी उत्पाद - दूध, दही, पनीर, छाछ का सेवन कर सकते हैं।
  • कंद मूल - आलू, शकरकंद, अरबी, सिंघाड़े के आटे से बनी चीजें खा सकते हैं।
  • फलाहार अनाज - कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, राजगिरा का उपयोग कर सकते हैं।
  • सब्जियां - टमाटर, गाजर, लौकी, ककड़ी आदि सात्विक सब्जियां खा सकते हैं।
  • अन्य चीजें - सेंधा नमक, काली मिर्च, अदरक, हरी मिर्च का प्रयोग फलाहार में किया जा सकता है।

व्रत के दौरान क्या न खाएं? (Mokshada Ekadashi 2025 Vrat Me Kya Nahi Khaye?)

  • अनाज - चावल, गेहूं, दालें और सामान्य नमक का सेवन न करें।
  • तामसिक भोजन - लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा और अन्य तामसिक भोजन से दूर रहें।
  • मसाले - हल्दी, हींग, राई, मेथी दाना आदि मसालों का प्रयोग न करें।
  • बासी भोजन - एकादशी के दिन बासी भोजन या दोबारा गरम किया गया भोजन नहीं खाना चाहिए।
  • दो बार भोजन - एक ही दिन में दो बार भोजन करने से बचें।
  • अगर संभव हो तो फलाहार व्रत करें।

मोक्षदा एकादशी व्रत के सही नियम (Mokshada Ekadashi 2025 Vrat Rituals)

  • दशमी के दिन सात्विक भोजन करें और चावल, जौ आदि अन्न का सेवन न करें।
  • एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की पूजा करके व्रत का संकल्प लें।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय“ मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • इस दिन गीता जयंती भी है इसलिए श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ जरूर करें।
  • हो पाए, तो रात में जागकर भजन-कीर्तन करें।
  • द्वादशी तिथि के दिन सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करें।
  • पारण के पहले ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन कराकर दान दें, फिर खुद अन्न ग्रहण करें।
  • पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी माना जाता है।


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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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