गोभी की नुकसान हुई फसल को दिखाते किसान। जागरण
संवाद सहयोगी, तारडीह (दरभंगा) । कुर्सो मछैता रही टोला गांव में इस वर्ष सब्जी किसानों पर प्राकृतिक आपदा और जंगली जानवरों का दोहरा प्रहार हुआ है। हाल ही में आए चक्रवाती तूफान ने खेतों में लगी सब्जी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
तूफान से उबरने के बाद किसानों ने फिर से सब्जी की फसल को आबाद किया। लेकिन तूफान के बाद बची-खुची फसलों को जंगली सुअर और नीलगाय ने खेतों में घुसकर नष्ट कर रहे हैं। किसान मो. हकिम, मो. कमरूल, रशीद, मो. कमरे, मो. कयुम ने बताया कि कई प्रकार की सब्जियों के हजारों रुपये मूल्य की पौध और फसलों को जंगली जानवरों ने रौंद डाला है।
खेतों में लगाए गए कद्दू, गोभी, बैंगन, मिर्ची, साग तथा अन्य मौसमी सब्जियों के पौधे जानवर चर जा रहे हैं या कोर कर बर्बाद कर दे रहे हैं। लगातार नुकसान से किसानों में गहरी निराशा है। धान गेहूं की फसल नुकसान होती है तो उसकी भरपाई तो किसी तरह हो जाती है पर सब्जी की खेती चौपट होने पर किसी प्रकार का सरकारी अनुदान नहीं मिलता है।
किसानों का कहना है कि ठंड अभी जबकि पूरी तरह नहीं आई हुई है वे रात-रात भर पहरा देने को मजबूर हैं, फिर भी फसलों को बचा नहीं पा रहे। कई किसान आर्थिक तंगी की स्थिति में पहुंच चुके हैं।
जंगली जानवरों से बचाव को लेकर कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। किसानों ने प्रशासन और वन विभाग से जंगली सूअर व नीलगाय के आतंक से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की है, ताकि खेती को होने वाले नुकसान को रोका जा सके।
इस बाबत प्रखंड कृषि पदाधिकारी ललन कुमार यादव ने किसानों को सुझाव दिया है कि खेतों में मानव आकृति की पुतला बनाने के साथ फेंसिंग कर व सुगंधित नैप्थलीन गोली का प्रयोग खेतों में करने से जंगली जानवर खेत से दूर रहते हैं हालांकि उन्होंने बताया कि फेंसिंग को लेकर हार्टिकल्चर विभाग में समय-समय पर यह अनुदानित दर पर उपलब्ध होता है। |