लालू परिवार में दरार
डॉ चंदन शर्मा, पटना। बिहार की राजनीति में परिवारवाद की जीवंत मिसाल रहे लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी का परिवार इन दिनों गहरे संकट में फंस गया है। हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की करारी हार के बाद परिवार में दरारें खुलकर सामने आ गई हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने अपने भाई तेजस्वी यादव और उनके करीबियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके बाद तीन अन्य बेटियां भी पटना स्थित परिवार के आवास से निकल गईं।
77 वर्षीय लालू प्रसाद यादव, जो स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, इस कलह के बीच चुप्पी साधे हुए हैं। कभी इस परिवार को मजबूत बंधनों के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यह \“परी-वार\“ (परिवार युद्ध) की आग में झुलस रहा है।
जबकि पहले तमाम त्योहारों पर परिवार की तस्वीरें वायरल होती थी। प्रतिद्वंद्वी भी लागू फैमिली की एकजुटता की तारीफ करते थे।
राजनीतिक विश्लेषक ओमप्रकाश अश्क कहते हैं, अब लालू परिवार का मिलना संभव नहीं है। न ही संजय यादव राज्यसभा छोड़ने वाले हैं, न तेजस्वी उनको।
रोहिणी की बात से भी स्पष्ट है कि लालू-राबड़ी दोनों रो रहे थे। ऐसे में उम्र का असर, स्वास्थ्य की स्थिति में अब वे बड़े निर्णय लेने की स्थिति में नहीं हैं।
राजनीतिक घरानों में ऐसा होता ही आता है। दक्षिण के तमाम घरानों को देख लीजिए।
हरियाणा, यूपी में देख लें। सत्ता में रहने पर सब दबा छुपा होता है। सत्ता खत्म होते ही बिगाड़ शुरू हो जाता है। मुलायम परिवार में भी तो यही हुआ था। परिवार में फूट का फायदा राजनीति प्रतिद्वंद्वी लेते ही हैं।
परिवार में अकेले पड़ चुके हैं तेजस्वी
अश्क कहते हैं, मीसा भी मुंह फुलाए ही रहती है। रोहिणी के बाद तीन बहनें और घर छोड़ चुकी है। हार का असर परिवार और राजनीति दोनों पर पड़ना ही था।
2020 से ही राजद पूरी तरह तेजस्वी के हाथ में हैं। पोस्टरों में लालू-राबड़ी की तस्वीर भी वह हटा चुके थे। इसका फायदा भी मिला था।
महागठबंधन सत्ता के करीब जा कर चुका था। बड़े वोट बेस के बावजूद तेजस्वी के लिए आगे बड़ी चुनौती है।
राजनीतिक विश्लेषक राजेश यादव कहते हैं, इस बार हार के तमाम कारण है। राजद अभी भी कमजोर नहीं है। एक करोड़ से ज्यादा वोट मिले हैं।
जो भाजपा के वोट शेयर से कम नहीं है। सीटों में कन्वर्ट नहीं हुआ, इसका आकलन तेजस्वी कर रहे होंगे।
11 सदस्यों की बड़ी फैमिली ट्री
लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी का परिवार कुल 11 सदस्यों (पति-पत्नी सहित 9 बच्चे) का है, जिसमें 7 बेटियां और 2 बेटे शामिल हैं। यह परिवार बिहार की राजनीति का प्रतीक रहा है, जहां कई सदस्य सक्रिय राजनीति में हैं, जबकि कुछ पेशेवर जीवन जी रहे हैं। यहां परिवार के सदस्यों का संक्षिप्त विवरण।
- लालू प्रसाद यादव: पूर्व मुख्यमंत्री एवं परिवार के मुखिया
- राबड़ी देवी (पत्नी): पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान विधान परिषद सदस्य (एमएलसी)। परिवार की राजनीतिक रीढ़ मानी जाती हैं।
- मीसा भारती (सबसे बड़ी बेटी): डॉक्टर (एमबीबीएस), लेकिन मुख्य रूप से राजनीतिज्ञ। पाटलिपुत्र से सांसद। कभी लालू की राजनीतिक वारिस मानी जाती थीं, लेकिन तेजस्वी के उदय के बाद उनकी भूमिका कम हो गई। पति: शैलेश कुमार (कंप्यूटर इंजीनियर और व्यवसायी)।
- रोहिणी आचार्य (दूसरी बेटी): सिंगापुर में डॉक्टर। 2024 लोकसभा चुनाव में सारण से लड़ीं, लेकिन हाल ही में राजनीति छोड़ दी। पिता को किडनी दान करने के लिए जानी जाती हैं। पति: समरेश सिंह (सॉफ्टवेयर इंजीनियर)।
- चंदा यादव (तीसरी बेटी): लॉ ग्रेजुएट, कम प्रोफाइल। मुख्य रूप से पारिवारिक जीवन। पति: विक्रम सिंह (इंडियन एयरलाइंस पायलट)।
- रागिनी यादव (चौथी बेटी): इंजीनियरिंग ड्रॉप-आउट, पति के साथ व्यवसाय। पति: राहुल यादव (समाजवादी पार्टी नेता और व्यवसायी)।
- हेमा यादव (पांचवीं बेटी): इंजीनियर, पारिवारिक जीवन। पति: विनीत यादव (दिल्ली आधारित व्यवसायी)।
- अनुष्का राव (छठी बेटी): इंटीरियर डिजाइनर। पति: चिरंजीव राव (हरियाणा में विधायक)।
- राज लक्ष्मी यादव (सबसे छोटी बेटी): एमबीबीएस, लेकिन प्रैक्टिस नहीं। पति: तेज प्रताप सिंह यादव (पूर्व सांसद, मुलायम सिंह यादव के पौत्र)।
- तेज प्रताप यादव (बड़ा बेटा): पूर्व कैबिनेट मंत्री (पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन)। चुनाव से पहले आरजेडी से निकाले गए, 2025 में जनशक्ति जनता दल (जेजेडी) की स्थापना की। पूर्व पत्नी: ऐश्वर्या राय (2018 में शादी, जल्द तलाक)।
- तेजस्वी यादव (छोटा बेटा): आरजेडी के प्रमुख नेता, पूर्व उप-मुख्यमंत्री और वर्तमान विपक्ष के नेता। पूर्व क्रिकेटर। पत्नी: राजश्री यादव (पूर्व में रैचेल गोडिन्हो), दो बच्चे।
यह परिवार कुल 9 बच्चों का है, जिसमें राजनीति से जुड़े सदस्यों की संख्या अधिक है। हालिया कलह ने इस एकता को तोड़ दिया है।
चुनावी हार ने खोली परिवार की कलह
बिहार विधानसभा चुनावों में आरजेडी की मात्र 25 सीटों पर सिमटने के बाद परिवार में तनाव चरम पर पहुंच गया।
रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट कर अपने भाई तेजस्वी यादव और उनके करीबियों संजय यादव (राज्यसभा सांसद) तथा रमीज नेमत खान (तेजस्वी के दोस्त) पर गंभीर आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि उन्हें अपमानित किया गया, गालियां दी गईं और जूता उठाकर मारने की कोशिश की गई।
रोहिणी ने अपनी दान की गई किडनी को \“गंदी\“ बताए जाने का जिक्र करते हुए कहा, “मैंने पिता को अपनी गंदी किडनी ट्रांसप्लांट कराई और आज मुझे बताया जा रहा है कि वही किडनी अभिशाप है।“ उन्होंने राजनीति छोड़ने और परिवार से नाता तोड़ने की घोषणा की।
रोहिणी के जाने के बाद तीन अन्य बेटियां रागिनी, चंदा और राज लक्ष्मी अपने बच्चों के साथ पटना आवास से निकल गईं और दिल्ली के लिए उड़ान भरी।
उन्होंने मीडिया से बात नहीं की। रोहिणी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने केवल भाई को अस्वीकार किया है, न कि पूरे परिवार को, और कहा, पापा हमेशा मेरे साथ हैं।
तेज प्रताप का लगातार \“जयचंद\“ पर हमला
बड़े बेटे तेज प्रताप यादव, जिन्हें चुनाव से पहले पार्टी से निकाला गया था, ने रोहिणी का समर्थन किया।
वे लगातार तेजस्वी और उनके जयचंद (कथित तौर पर संजय यादव) पर आरोप लगाते रहे हैं।
तेज प्रताप ने कहा कि बहन का अपमान असहनीय है और यह परिवार की इज्जत, बेटी की गरिमा और बिहार के स्वाभिमान की लड़ाई है।
उन्होंने पिता लालू से हस्तक्षेप की अपील की और चेतावनी दी कि परिणाम गंभीर होंगे। तेज प्रताप की पार्टी से निकासी और उनके आरोपों ने पहले से ही परिवार में तनाव बढ़ा दिया था।
वोटिंग डे पर दिखी थी एकता का आखिरी तस्वीर
छह नवंबर को पटना में वोटिंग के दिन लालू परिवार की एक फोटो सामने आई थी, जिसमें परिवार के अधिकांश सदस्य एक साथ नजर आ रहे थे। हालांकि, तेज प्रताप यादव ने अलग से वोट डाला था, जो उस समय परिवार में सुलगते विवाद का संकेत था। अब चुनाव परिणाम के बाद यह अंदरूनी कलह खुलकर सतह पर आ गई है।
भाजपा ने लालू-तेजस्वी को महिला विरोधी बताया
इस कलह पर राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं। भाजपा ने इसे पितृसत्तात्मक और महिला विरोधी मानसिकता बताया, जबकि जदयू ने लालू से स्पष्टीकरण मांगा और रोहिणी को पूरे बिहार की बेटी कहा।
लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान ने उम्मीद जताई कि परिवार जल्द एकजुट होगा। आरजेडी सूत्रों का कहना है कि यह आंतरिक मामला है, दरारें पहले से थीं, लेकिन हार ने इसे सार्वजनिक कर दिया। तेजस्वी ने अब तक चुप्पी साधी है।
एकता से कलह तक का सफर
लालू (77 वर्ष) और राबड़ी का परिवार 1990 -2005 तक बिहार की सत्ता में रहा। लालू के जेल जाने पर राबड़ी ने मुख्यमंत्री पद संभाला, बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप ने राजनीति में कदम रखा। मीसा को कभी वारिस माना गया, लेकिन तेजस्वी के उभरने के बाद वे पृष्ठभूमि में चली गईं।
रोहिणी ने 2022 में किडनी दान कर सुर्खियां बटोरीं। लेकिन अब यह परिवार विभाजन की कगार पर है।
विश्लेषकों का मानना है कि अगर कलह नहीं थमी, तो आरजेडी की राजनीतिक स्थिति और कमजोर होगी।
तेज प्रताप को भाजपा से मिल रही शक्ति?
तेज प्रताप ने इतनी जल्दी पार्टी बना ली। प्रत्याशियों भी खड़े कर लिए। हवाई मार्ग से खूब प्रचार किया। ओम प्रकाश अश्क कहते हैं कि बिना भाजपा के सपोर्ट से ऐसा नहीं हो सकता है।
सुरक्षा कैटेगरी में बढ़ोतरी भी इस बात का स्पष्ट संकेत देता है। अब तेजप्रताप बहन रोहिणी के लिए सुदर्शन चक्र उठाने की बात कर रहे हैं।
रोहिणी को अपनी पार्टी का संरक्षक बनाने की बात कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दिल के हित में तेजस्वी को इन सब परिस्थितियों से लड़ना और पार पाना है, जो आसान नहीं होगा।
यह घटनाक्रम बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ रहा है। क्या लालू का कुनबा फिर से एकजुट हो पाएगा, या यह स्थायी विभाजन है? तेजस्वी क्या करेंगे। लालू की चुप्पी टूटेगी या वे भी बेचारगी की स्थिति में हैं? चर्चा जारी रहना है। |