deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

माल सप्लायर ने टैक्स नहीं चुकाया तो खरीदार को भेजे वसूली नोटिस, जीएसटी विभाग की कार्रवाई से कारोबारियों में हड़कंप

LHC0088 2025-11-16 19:37:09 views 669

  

जीएसटी विभाग की कार्रवाई (प्रतीकात्मक चित्र)



डिजिटल डेस्क, इंदौर। मध्य प्रदेश के व्यापार जगत में इन दिनों खलबली मची हुई है। वजह—जीएसटी विभाग की वह कार्रवाई, जिसमें सप्लायर द्वारा टैक्स न चुकाने पर अब वसूली खरीदार से की जा रही है। इंदौर और आसपास के इलाकों में तीन दिनों के भीतर ही ऐसे सैकड़ों व्यापारियों को नोटिस थमा दिए गए हैं, जबकि प्रदेश में यह संख्या हजारों तक पहुंच चुकी है। बीते साल खरीदे गए माल के विक्रेता द्वारा टैक्स चुकाने में की गई गड़बड़ी या लापरवाही का भुगतान अब इन क्रेता कारोबारियों को करने का दबाव डाला जा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

नोटिस मिलने के बाद व्यापारी ही नहीं, बल्कि उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट और कर सलाहकार भी परेशान नजर आ रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि यदि कोई सप्लायर उसके हिस्से का टैक्स नहीं चुकाता है तो ऐसे में उस टैक्स को चुकाने की जवाबदारी आखिर माल को खरीदने वाले पर कैसे डाली जा सकती है। कई महीनों बाद ऐसे टैक्स की मांग की जा रही है। 30 नवंबर तक नहीं चुकाने पर 18 प्रतिशत की दर से ब्याज भी वसूला जाएगा।

जीएसटी द्वारा भेजे गए ऐसे नोटिसों पर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। व्यापारी कह रहे हैं कि किसी दूसरे व्यापारी के टैक्स के लिए वे कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं। नोटिस और नियमों में इन व्यापारियों पर यह जवाबदेही भी डाली जा रही है कि माल बेचने वाले से टैक्स भरवाने की जवाबदारी वे अपने कंधों पर ले लें।
यह है व्यवस्था

जीएसटी के अंतर्गत माल बेचने वाले व्यापारी को प्रत्येक माह की 11 तारीख तक जीएसटीआर-1 रिटर्न भरना होता है। आनलाइन दाखिल इस रिटर्न में दिखाया जाता है कि किस-किस को माल बेचा। यह रिटर्न दाखिल होने के बाद जीएसटीआर-2बी में दिखने लगता है, जो क्रेता को दिखता है। क्रेता इस रिटर्न के आधार पर खरीदे गए माल को अपने रिटर्न में दिखाता है और विक्रेता द्वारा चुकाए गए टैक्स की आइटीसी भी क्लेम करता है। इसी तरह हर माह की 20 या 22 तारीख तक एक और रिटर्न भरना होता है, जिसमें व्यापारी अपने ऊपर बीते माह में आए कुल टैक्स के दायित्व का ब्योरा देते हुए टैक्स जमा करता है।

ताजा मामले में ये हो रहा है कि बीते महीने या साल में हुए व्यापार में किसी ने 3-बी फार्म और टैक्स सितंबर अंत तक नहीं भरा तो उससे माल खरीदने वाले को अब नोटिस देकर कहा गया है कि उस माल पर हासिल इनपुट टैक्स क्रेडिट 30 नवंबर तक शासन के खजाने में लौटा दे अन्यथा इस तारीख के बाद 18 प्रतिशत ब्याज और देना होगा।
अव्यावहारिक और मनमाने नोटिस

सीए सुनील पी. जैन के मुताबिक ऐसे हजारों नोटिस कुछ ही दिनों में जारी हुए हैं। नोटिस और ये प्रविधान पूरी तरह अव्यावहारिक हैं। कई ऐसे प्रकरण सामने आ रहे हैं कि जिस व्यापारी से माल खरीदा था वह व्यापारी अब या तो व्यापार ही बंद कर चुका है या फिर उससे खरीदार का अब कोई संपर्क नहीं रहा, सिर्फ एक बार का व्यापार उससे हुआ था। ऐसे में वह आखिर कैसे सामने वाले व्यापारी को ढूंढे और उससे टैक्स चुकाने के लिए विवश करें।  

जीएसटी विभाग कह रहा है कि यदि बेचने वाला व्यापारी आगे टैक्स भर देगा तो फिर आइटीसी वापस कर दी जाएगी। यह भी मनमाना नियम है। टैक्स वसूली का काम शासन का है, समय रहते शासन संबंधित व्यक्ति से वसूली करे। यह तो मनमाना ही है कि किसी और को उस टैक्स को जमा करवाया जाए या शासन का काम करने के लिए विवश किया जाए।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content