Samastipur Chunav result: मतों के विखराव के कारण रोचक हो गया मुकाबला।
विनय भूषण, विभूतिपुर(समस्तीपुर)।Samastipur Chunav result: विभूतिपुर विधानसभा चुनाव ने जिले की वामपंथी राजनीति को संजीवनी दे दी। जिले की तीन विधानसभा सीट वामपंथी को मिली थी। दो सीट पर करारी हार के बाद इस सीट ने लाज बचा ली।
वैसे इस विधानसभा का चुनाव भी कम रोचक नहीं था। विभूतिपुर से निर्दल प्रत्याशी रूपांजलि कुमारी को यदि 14456 वोट नहीं मिले हाेते तो संभावना कुछ और बन जाती। जन सुराज प्रत्याशी विश्वनाथ चौधरी को 13450 वोट अकेले दम पर मिले। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लोगों में इस बात की चर्चा है कि चूंकि, निर्दलीय रुपांजलि कुमारी और जन सुराज के विश्वनाथ चौधरी दोनों हीं पूर्व में एनडीए के घटक दल से जुड़े थे अगर, इन दोनों में किसी एक का भी वोट एनडीए प्रत्याशी रवीना कुशवाहा में कनेक्ट हो जाता तो विभूतिपुर से एनडीए जीतती।
वर्ष 2020 के चुनाव में जदयू की हैट्रिक के मंसूबे पर पानी फेरते हुए माकपा ने वापसी की तो अजय कुमार ने 40 हजार 496 मतों के रिकार्ड अंतर से जदयू के रामबालक सिंह को हराया।
वर्ष 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में पिछले बार के मुकाबले जीत का 10281 वोटों का रहा। मगर, माकपा के अजय कुमार ने लगातार दूसरी जीत के रिकार्ड की बराबरी करने में सफलता पाई है। निर्दलय प्रत्याशी रुपांजलि कुमारी और जन सुराज प्रत्याशी विश्वनाथ चौधरी माकपा के लिए संजीवनी बने।
भितरघातियों ने बिगाड़े दोनों गठबंधन के समीकरण
चुनाव परिणाम आने के साथ \“कम्युनिस्टों का किला\“ वाले विभूतिपुर विधानसभा सीट पर भितरघातियों के चर्चे सरेआम हैं। भितरघाती एनडीए और महागठबंधन यानि दोनों हीं गठबंधन में रहे हैं।
शीर्ष नेतृत्व द्वारा भले फार्मलिटी वास्ते कुछ पर कार्रवाई तो कुछ को अनसुना किया गया हो। मगर, इन भीतरघात द्वारा दोनों गठबंधनों जन सुराज के भी समीकरण बिगाड़ने की बातें कही जा रही है।
इस बात की भी चर्चा रही है कि एक वर्ग विशेष और महिलाओं का वोट दलगत बंधन को भूलाकर एनडीए में शिफ्ट हुई। जबकि, महागठबंधन के कुछ लोगों ने अपने अंत:विरोध में वोट ट्रांसफर करवा दिया। जिस कारण इस बार माकपा ने विभूतिपुर से जीत तो दर्ज की। मगर, वोटों का अंतर कम रहा है।
बताया जाता है कि निर्दलीय रुपांजलि कुमारी विधानसभा चुनाव 2025 में टिकट आवंटन से पहले अपने पति अरविंद कुमार कुशवाहा के साथ एनडीए के घटक दल बीजेपी से वास्ता रखती रही हैं।
व्यवसाय के साथ-साथ सामाजिक व राजनैतिक रसूख रखने वाले अरविंद एनडीए से टिकट के दौड़ में थे। शीर्ष नेतृत्व द्वारा इन्हें बेटिकट कर दिया गया। तब इन्होंने एनडीए के घटक दलों की एक बैठक बुलाई और समर्थकों के निर्णय अनुसार रुपांजलि कुमारी निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनावी मैदान में उतर गईं।
शीर्ष नेतृत्व के फैसले से नाराज एनडीए के घटक दलों के कार्यकर्ताओं ने कुछ खुलकर तो कुछ गुपचुप तरीके से इनका समर्थन किया। बीजेपी ने अरविंद को पार्टी से निष्कासित किया तो उसने अपनी ताकत झोंक दी।
जिसका परिणाम रहा कि इस विधानसभा चुनाव में एक निर्दलीय प्रत्याशी ने पहली बार अपनी स्थिति इतनी मजबूत पाई है। चौथे प्रत्याशी जन सुराज के विश्वनाथ चौधरी ने भी पिछले बार की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन किया है।
ये आर्थिक संपन्नता के साथ सामाजिक और राजनैतिक रुप से क्षेत्र में काफी सक्रिय रहे थे। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर द्वारा इनके पक्ष में सिंघियाघाट, खोकसाहा, माधोपुर और कल्याणपुर होते हुए दलसिंह सराय के इलाके तक रोड शो और युवाओं के साथ ने बेहतर स्थिति में खड़ा किए रखा।
एनडीए के मंसूबे पर चोट
यहां से कुल 14 प्रत्याशियों में मतगणना उपरांत पांचवें नम्बर पर रहे नोटा को 4807 नोट मिले हैं। प्रत्याशियों में 6 दलीय और 8 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। चुनाव परिणाम के बाद विश्लेषकों ने यह पाया कि सियासत का खेल बिगाड़ने में निर्दलीय प्रत्याशियों के वोट का लीड रोल रहा है। विभूतिपुर से निर्दलीय प्रत्याशी रुपांजलि कुमारी को 14456 वोट मिले हैं।
जबकि, रामलाल तांती को 2313, शशि भूषण दास को 1866, सुशांत कुमार को 1782, अमरजीत कुमार को 1308, कन्हैया कुमार को 957, प्रह्लाद को 901 और नवीन कुमार को 713 वोट मिले हैं। वहीं दूसरी तरफ जन सुराज प्रत्याशी विश्वनाथ चौधरी को 13450 वोट अकेले दम पर मिले हैं।
आम आदमी पार्टी के अरविंद कुमार को 2574, जनशक्ति जनता दल के नील कमल को 1518, बहुजन समाज पार्टी के अवधेश कुमार को 1462 वोट मिले हैं। लोगों में इस बात की चर्चा है कि चूंकि, निर्दलीय रुपांजलि कुमारी और जन सुराज के विश्वनाथ चौधरी दोनों हीं पूर्व में एनडीए के घटक दल से जुड़े रहे थे।
अगर, इन दोनों में किसी एक का भी वोट एनडीए प्रत्याशी रवीना कुशवाहा में कनेक्ट हो जाते तो विभूतिपुर से एनडीए जीत जाती। वहीं रुपांजलि कुमारी के अलावा अन्य निर्दलीय प्रत्याशियों के और नोटा के वोट भी एनडीए से कनेक्ट होते तो भी एनडीए जीत जाती। |