राज्य ब्यूरो, रांची । सुप्रीम कोर्ट के मनोनीत चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा है कि हाई कोर्ट संवैधानिक न्याय की रीढ़ हैं और नागरिकों तक न्याय पहुंचाने में उनकी भूमिका अहम है। उन्होंने जोर देकर कहा कि न्यायपालिका का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कानून की सुरक्षा सबसे कमजोर लोगों तक पहुंचे, जिन्हें इसकी सर्वाधिक आवश्यकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट को ऐसी संस्थाओं के रूप में विकसित करना होगा, जो अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की तरह तत्परता और तेजी से अन्याय पर प्रतिक्रिया दें। जैसे आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं देरी बर्दाश्त नहीं करतीं, वैसे ही अदालतों को भी संकट के समय तेज, सटीक और समन्वित न्याय देने की क्षमता विकसित करनी होगी।
जस्टिस सूर्यकांत शनिवार को झारखंड हाई कोर्ट की रजत जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर लोगों को संबोधित रहे थे। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को समय के साथ चलते हुए तकनीक, प्रक्रियाओं और विशेषज्ञता को मजबूत करना होगा। यह केवल प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि न्याय तक बेहतर पहुंच की दिशा में अगला कदम है।
भविष्य की चुनौतियों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में तकनीकी बदलाव, जलवायु संकट, साइबर अपराध, डिजिटल साक्ष्य और संसाधनों के बढ़ते संघर्षों से निपटने के लिए अदालतों को नई क्षमताएं और वैज्ञानिक समझ विकसित करनी होगी।
बढ़ते मामलों और लंबी प्रक्रियाओं से निपटने के लिए अदालतों को पारंपरिक ढांचे से आगे बढ़कर अधिक सक्षम माडल अपनाने होंगे। हाई कोर्ट की भूमिका पर उन्होंने कहा कि संवैधानिक स्थिति, व्यापक अधिकार क्षेत्र और लोगों के नजदीक होने के कारण हाई कोर्ट सामाजिक सुधार के सबसे प्रभावी स्तंभ हैं।
न्यायिक फैसलों के माध्यम से हाई कोर्ट समाज को दिशा देते हैं और कानून के विकास को आगे बढ़ाते हैं। अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए उन्होंने सीमा-पार बच्चों की कस्टडी के एक मामले का जिक्र किया। कहा कि इस अनुभव ने उन्हें सिखाया कि न्याय केवल कानून लागू करना नहीं, बल्कि सबसे कमजोर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार न्याय व्यवस्था जिला अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट, इन तीन स्तंभों पर टिकी है। इनमें हाई कोर्ट जनता और संविधान के बीच पुल का काम करते हैं।
अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट की शक्तियां सुप्रीम कोर्ट के अनुच्छेद 32 से भी व्यापक हैं, इसलिए उनकी भूमिका न्याय की त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने झारखंड हाई कोर्ट की 25 वर्ष की यात्रा को संवेदनशीलता, नवाचार और संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता से भरपूर बताया। कहा कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से हाई कोर्ट के जज गरीबों और वंचितों तक न्याय पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
हाई कोर्ट के लिए अगला 25 साल तकनीक का रहेगा
केंद्रीय विधि राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि झारखंड हाई कोर्ट में नई तकनीकी का इस्तेमाल हो रहा है क्योंकि नए भवन में सोलर पैनल सहित अन्य सुविधाओं का ख्याल रखा गया है। संयुक्त राष्ट्र ने जो मानक स्थापित किए हैं उस पर झारखंड हाई कोर्ट खरा उतर रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में एआइ तकनीक का इस्तेमाल न्यायिक प्रक्रिया में किया जा सकता है। लेकिन भविष्य में तकनीक की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार भी रहना होगा। उन्होंने राज्य में केंद्रीय न्यायाधिकरण की बेंच बनाए जाने की मांग पर भी विचार करने का आश्वासन दिया।
चीफ जस्टिस ने झारखंड हाई कोर्ट की यात्रा का ब्योरा दिया
स्वागत भाषण में हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान ने हाई कोर्ट की शुरुआत से लेकर तकनीक से लैस होने का ब्योरा पेश किया। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में तकनीक से न्याय की व्यवस्था निचली अदालतों तक लागू कर दी गई है। भविष्य में कई तकनीक का इस्तेमाल से न्यायिक प्रक्रिया को और सुगम और सरल की जाएगी।
हाई कोर्ट का नया लोगो जारी
झारखंड हाई कोर्ट के 25 साल पूरे होने पर नया लोगो भी जारी किया गया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने इसका विमोचन किया। हाई कोर्ट के 25 साल पूरे होने पर स्मारिका प्रगति का विमोचन भी किया गया। इसके अलावा राज्य की जिला अदालतों के लिए मोबाइल एप भी लांच किया गया। इस एप में केस की सूची, डिस्पले बोर्ड, ई फाइलिंग समेत कई सुविधाएं उपलब्ध है, जिससे वकील और मुवक्किलों को काफी सहूलियत होगी।
सुप्रीम कोर्ट के आठ औैर आठ राज्यों के हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी समारोह में मौजूद थे। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस ए अमानुल्लाह, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र, जस्टिस संदीप मेहता, जस्टिस पीवी राली, जस्टिस आर महादेवन, जस्टिस जाय माल्या बागची, जस्टिस विजय बिश्नोई, एवं झारखंड हाई कोर्ट के सभी जस्टिस, पूर्व चीफ जस्टिस एवं अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे। |