संवाद सूत्र, सत्तरकटैया (सहरसा)। सरकारी नौकरी छोड़ राजनीति में कूदे डॉ. गौतम कृष्ण ने आखिरकार अपना दशक भर का संघर्ष रंगीन कर लिया। तीसरे प्रयास में उन्होंने महिषी विधानसभा से चुनाव जीतकर न केवल इतिहास रचा, बल्कि राजद की इस सीट पर धमाकेदार वापसी भी दर्ज कराई। राजद प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे गौतम कृष्ण ने एनडीए के जदयू प्रत्याशी एवं निवर्तमान विधायक गुंजेश्वर साह को 3740 मतों से पराजित कर जनता के विश्वास की मजबूत मुहर हासिल की। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बीडीओ की नौकरी छोड़ी, संघर्ष की राह चुनी
17 जून 2014 को नवहट्टा प्रखंड में बीडीओ पद पर पदस्थापित हुए गौतम कृष्ण ने 08 सितंबर 2015 को अचानक नौकरी से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया। नौकरी छोड़ने के बाद राजनीतिक संघर्ष का सफर आसान नहीं था। 2015 में पहली बार जन अधिकार पार्टी से चुनाव लड़ें।
2020 में राजद उम्मीदवार के रूप में उतरे और 62 हजार वोट पाकर भी 1630 वोट से हार गए, लेकिन हार मानना उनके स्वभाव में नहीं था। वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहे। लोगों के सुख-दुख में शरीक रहे और इसी की बदौलत तीसरे प्रयास में जनता ने उन्हें विधायक बनाकर सम्मान दिया।
पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया
गौतम कृष्ण राजनीतिक परिवेश में पले-बढ़े। उनके पिता विष्णुदेव यादव मधेपुरा सदर प्रखंड में लंबे समय तक राजद के प्रखंड अध्यक्ष रहे। कुछ माह पूर्व उनका निधन हो गया। मधेपुरा जिले के गोरियारी गांव निवासी गौतम की पत्नी श्वेता कृष्ण स्वयं बीडीओ हैं, जबकि माता विमला देवी गृहिणी हैं।
जनता की उम्मीदें अब नये विधायक से जुड़ीं
महिषी विधानसभा क्षेत्र के लोग नये विधायक से भारी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। इस बार जनता ने जात-पात और दलगत समीकरण से ऊपर उठकर मतदान किया है। क्षेत्र में हर वर्ष आने वाली बाढ़, दो प्रखंडों की त्रासदी, बढ़ती बेरोजगारी और पलायन जैसी चुनौतियों से निपटना उनके लिए अगली बड़ी कसौटी है।
गौतम कृष्ण की जीत सिर्फ एक राजनीतिक सफलता नहीं, बल्कि संघर्ष, सतत जनसंपर्क और जनता से भावनात्मक जुड़ाव की मिसाल बन गई है। अब क्षेत्र यह देखना चाहता है कि नया विधायक महिषी के विकास की नई इबारत कैसे लिखते हैं। |