समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव -कांग्रेस सांसद राहुल गांधी
दिलीप शर्मा, जागरण, लखनऊ : बिहार विधान सभा चुनाव 2025 में एनडीए की ऐतिहासिक जीत से उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा चिंता समाजवादी पार्टी की बढ़ी है। पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने महागठबंधन की जीत के लिए खूब पसीना बहाया था। एग्जिट पोल आने के बाद भी वह लगातार तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री होने का दावा कर रहे थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बिहार विधान सभा चुनाव के नतीजों के बाद सपा यूपी की अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है, क्योंकि बिहार में महागठबंधन जिन मुद्दों और रणनीति पर ताल ठोक रहा था, साइिकल भी फिलहाल लगभग उसी रास्ते पर है। बिहार में हार के लिए चुनाव आयोग और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को जिम्मेदार ठहराना, वहां के नतीजों के यूपी में पड़ने वाले असर को रोकने की सपा की एक कोशिश मानी जा रही है।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2012 के विधान सभा चुनाव में सरकार बनाने वाली सपा को वर्ष 2017 और 2022 में भाजपा के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। वर्ष 2024 के लोक सभा चुनाव में सपा ने 37 सीटें जीत भाजपा को बड़ा झटका दिया था। अब वर्ष 2027 में होने वाले विधान सभा चुनाव में जीत के लिए तैयारी में जुटी है।
अखिलेश पूरी तरह उत्तर प्रदेश पर ही ध्यान केंद्रित रखना चाहते हैं। इसके चलते ही इस बार सपा ने बिहार चुनाव न लड़ने और महागठबंधन को समर्थन देने का निर्णय लिया था। इसकी एक वजह यह थी कि बिहार में हार होने पर उसके नतीजों की छाया उप्र में पार्टी की रणनीति पर न पड़े। समर्थन के माध्यम से सपा उप्र में भी अपने मतदाताओं को भाजपा के विरोध के लिए खुले से अन्य दलों के समर्थन का भी संदेश देना चाहती थी।
इसी रणनीति के तहत सपा प्रमुख ने बिहार चुनाव में महागठबंधन के प्रत्याशियों के समर्थन में 25 जनसभाएं की थीं, इनमें से चार पर राजद को जीत मिली। शुक्रवार को घोषित हुए नतीजों ने सपा की बिहार में भाजपा की हार और महागठबंधन की सरकार बनने की उम्मीदों पर तुषारापात कर दिया। वहां भाजपा की रणनीति जिस तरह कामयाब रही, उससे सपा की यूपी की रणनीति भी प्रभावित होगी।
अखिलेश यादव पहले ही पीडीए की पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक वाली परिभाषा को बदलकर सभी वर्गों को साधने की कोशिश शुरू कर चुके हैं, अब बिहार परिणाम के बाद इसी दिशा में और तेजी से काम किया जाएगा। वहीं बिहार के परिणाम से यहां के माहौल पर होने वाले असर को रोकने के लिए हार के लिए आयोग पर हमले की रणनीति पर काम शुरू कर दिया गया है। शुक्रवार को नतीजे आने के बाद सपा प्रमुख ने एक्स पर पोस्ट कर इसकी शुरुआत भी कर दी है।
कांग्रेस की भी चुनौती बढ़ी
बिहार के नतीजों का असर कांग्रेस की यूपी की रणनीति पर भी पड़ने जा रहा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय सहित कई नेताओं को बिहार चुनाव में जिम्मेदारी दी गई थी, परंतु वे कोई कमाल नहीं दिखा सके। ऐसे में कई नेताओं का कद घटने की भी आशंका जताई जा रही है। वहीं उप्र के विधान सभा चुनाव के लिए अकेले लड़ने की संभावना तलाशने की कोशिश को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के सामने सपा के साथ गठबंधन बनाए रखना और गठबंधन पर जनता विश्वास जगाना भी एक चुनौती बनेगा। वहीं गठबंधन में अधिक हिस्सेदारी पाने की उसकी कोशिश भी प्रभावित होगी। |
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