deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

दो दशक में बीजेपी ने तीन बार जीती पटना की आधी सीटें, ऐसा रहा RJD-कांग्रेस का हाल

Chikheang 2025-11-15 09:42:57 views 278

  

बिहार विधानसभा चुनाव 2025। फोटो जागरण



विद्या सागर, पटना। पटना जिले के 14 विधानसभा क्षेत्रों में वर्ष 2005 से लेकर 2025 तक के चुनाव परिणामों का विश्लेषण बताता है कि पिछले दो दशकों में जिले की राजनीति लगातार बदलती रही है।

इस अवधि में न सिर्फ नए समीकरण बने, बल्कि मतदाताओं की पसंद भी कई बार बदली। भाजपा इस पूरे दौर में सबसे स्थिर पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई है, जबकि जदयू और राजद को उतार–चढ़ाव का सामना करना पड़ा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कांग्रेस का जनाधार लगातार कमजोर हुआ, और हाल के वर्षों में भाकपा-माले व लोजपा (रामविलास) जैसी पार्टियों ने भी उपस्थिति दर्ज कराई। दो दशक में भाजपा ने तीन बार पटना की आधी यानि सात सीटें जीतकर अपनी मजबूत स्थिति दर्ज कराई है।

2005 से 2025 तक पटना में लगातार भाजपा ने प्रभावी प्रदर्शन किया है। वर्ष 2005 में सात सीटें भाजपा ने जीतीं। 2010 में छह, 2015 में सात, 2020 में पांच सीटों पर भाजपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की।

इस बार 2025 में फिर सात सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी चुनाव जीते। इसबार भाजपा की जीत का स्ट्राइक रेट शत प्रतिशत रहा। सात सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार मैदान में थे। सभी पर जीत मिली।

तीन बार भाजपा ने 20 वर्षों में सात सीटें जीतीं। भाजपा ने शहरी पटना विशेषकर दीघा, कुम्हरार, बांकीपुर, पटना साहिब में लगातार बढ़त बनाए रखी। यह स्थिरता उसकी संगठनात्मक मजबूती और शहरी मतदाता आधार को दिखाती है।

वहीं ग्रामीण पटना में बाढ़ में दूसरी बार विजयी हासिल की। दानापुर व बिक्रम सीट इस बार भाजपा ने अपने कब्जे में पुन: लेने में सफल रही। 2020 में राजद ने दानापुर की सीट भाजपा से छीनी थी।

वहीं कांग्रेस ने 2015 में बिक्रम सीट भाजपा के हाथों से अपने कब्जे में ले लिया था। इस बार भाजपा ने दोनों सीटें राजद व कांग्रेस से वापस ले कर हिसाब बराबर कर दिया।
राजद : ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूती, पर ग्राफ उतार-चढ़ाव वाला

राजद ने 20 वर्षों में कई बार जोरदार वापसी की, लेकिन प्रदर्शन स्थिर नहीं रहा। 2005 में राजद ने जहां दो सीटें जीतीं। वहीं 2010 में तीन, 2015 में चार सीटों पर जीत हासिल की। वर्ष 2020 में राजद का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा।

छह सीटें राजद ने इस चुनाव में जीती। 2020 में मिली बड़ी सफलता के बाद 2025 में पार्टी दोबारा 2 सीटों पर सिमट गई। राजद इस चुनाव में नौ सीटों पर चुनाव लड़ी थी। यह गिरावट शहरी क्षेत्रों में कमजोर प्रदर्शन और कुछ ग्रामीण सीटों पर जदयू और भाजपा के मजबूत प्रत्याशियों के कारण आई।

इस बार राजद की दो सीट रही फतुहा व मनेर की। फतुहा से रामानंद यादव व मनेर से भाई विरेंद्र ही अपनी सीट बचा सके। बख्तियारपुर सीट राजद से लोजपा रामविलास ने तो दानापुर सीट भाजपा ने छीन ली।

मोकामा सीट पिछली बार राजद के खाते में अनंत सिंह के साथ आने के कारण मिली थी जो इस बार उनके जदयू में जाने के साथ चली गई। वहीं मसौढ़ी सीट जदयू ने राजद से अपने कब्जे में ले लगी।  
जदयू का उतार चढ़ाव वाला रहा प्रदर्शन

जदयू का पटना जिले में प्रदर्शन लगातार उतार चढ़ाव वाला रहा है। दो दशक में जदयू ने वर्ष 2010 में सबसे बेहतर प्रदर्शन करते हुए पांच सीटें जीतीं थी। वहीं 2020 में जदयू का खाता भी नहीं खुल सका।

2005 से अबतक के प्रदर्शन को देखें तो 2005 में चार, 2010 में पांच, 2015 में मात्र एक सीट पर जदयू उम्मीदवार जीते। वहीं 2020 में जदयू का पटना में खाता तक नहीं खुला।

2020 में एक भी सीट न जीत पाने वाली जदयू ने 2025 में फिर से तीन सीटें वापस लीं फुलवारी, मसौढ़ी और मोकामा। इस बार के चुनाव में जदयू ने शानदार वापसी करते हुए चार में से तीन सीटों पर जीत दर्ज की। यह ग्रामीण अंचलों में जदयू की पकड़ को दर्शाता है।
कांग्रेस लगातार हाशिये पर

पिछले 20 वर्षों में कांग्रेस का ग्राफ बेहद कमजोर रहा। 2005 व 2010 के चुनाव में पटना में कांग्रेस खाता भी नहीं खोल सकी थी। वहीं 2015 व 2020 में एक सीट बिक्रम पर पार्टी को जीत मिली।

इस बार वर्तमान विधायक सिद्धार्थ सौरभ के भाजपा में चले जाने के कारण पार्टी को यहां से उम्मीदवार बदलना पड़ा। इसका असर चुनाव परिणाम पर भी पड़ा। पार्टी को यह सीट भाजपा के हाथों गवानी पड़ी।

हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी अनिल कुमार ने यहां मजबूत टक्कर दी। दो दशक के चुनाव परिणाम बताते हैं कि जिले में शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में पार्टी का परंपरागत आधार लगातार खत्म होता गया और नेतृत्व संकट ने यह गिरावट और तेज की।
भाकपा-माले का सीमित दायरे में प्रभाव

भाकपा माले का प्रभाव पटना जिले में सीमित दायरे में दो दशकों में देखने को मिला। वर्ष 2005 में एक सीट पालीगंज माले ने जीती। लेकिन 2010 व 2015 के चुनाव में यह सीट पार्टी के हाथों से निकल गई।

2020 में राजद के साथ गठबंधन के बाद पालीगंज के सीट भाकपा माले ने वापस अपने कब्जे में लिया। वहीं फुलवारी पर भी पार्टी को जीत मिली। फुलवारी और पालीगंज जैसे इलाकों में वामदलों का सामाजिक आधार बना हुआ है।

2020 में दो सीटें जीतकर माले ने खुद को मजबूत विकल्प दिखाया, हालांकि 2025 में यह एक सीट पर सिमट गई। फुलवारी सीट पर जदयू के हाथों माले को हार मिली।
नई और उभरती पार्टियों का प्रभाव

2025 में पहली बार चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा (रामविलास) ने पटना जिले में एक सीट जीती बख्तियारपुर। लोजपा रामविलास एनडीए के घटक दल के रूप में पटना जिले में तीन सीट पालीगंज, मनेर व बख्तियारपुर पर अपने उम्मीदवार दी थी।

इससे पूर्व चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा ने वर्ष 2005 के फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में पटना जिले में एक सीट मिली थी। 20 वर्ष बाद लोजपा की उपस्थिति दर्ज कराई है।  

पटना जिले की पिछले 20 साल की चुनावी यात्रा साफ बताती है कि यहां राजनीति शहरी-ग्रामीण ध्रुवों पर टिकी है। भाजपा का शहरी दबदबा, राजद और जदयू की ग्रामीण पकड़, और नई पार्टियों का शहरी उभार आने वाले वर्षों में जिले के राजनीतिक समीकरण को और दिलचस्प बना सकता है।
राजनीतिक परिदृश्य: 20 साल में क्या बदला?

  • भाजपा पटना जिले की सबसे स्थिर और प्रभावी पार्टी बनी हुई है।
  • राजद की पकड़ ग्रामीण पटना में है, पर उसका प्रदर्शन स्थिर नहीं।
  • जदयू ने 2010 के बाद लगातार गिरावट देखी, हालांकि 2025 में वापसी हुई।
  • कांग्रेस लगभग चुनावी समीकरण से बाहर हो चुकी है।
  • माले ने अपनी परंपरागत सीटों पर पकड़ बनाए रखी है।

2025 चुनाव परिणाम एक नजर

  • भाजपा: सात
  • जदयू: तीन
  • राजद: दो
  • लोजपा रामविलास: एक
  • भाकपा माले : एक
  • कांग्रेस: शून्य
like (0)
ChikheangForum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Previous / Next

Previous threads: australian e wallet casino Next threads: amunra casino online

Explore interesting content

No related threads available.

Chikheang

He hasn't introduced himself yet.

310K

Threads

0

Posts

1110K

Credits

Forum Veteran

Credits
110892