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Dussehra 2025: इन जगहों पर नहीं होता रावण का दहन, बहुत ही खास है वजह_deltin51

LHC0088 2025-9-30 21:36:32 views 1016

  Dussehra 2025: इन जगहों पर रावण दहन नहीं बल्कि पूजा होती है।





धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरे का पर्व (dussehra 2025) मनाया जाता है। इस साल यह पर्व गुरुवार, 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन पर जगह-जगह मेलों का आयोजन किया जाता है और रावण के साथ-साथ मेघनाथ और कुंभकरण का भी पुतला जलाया जाता है। लेकिन कुछ ऐसे स्थान भी हैं, जहां रावण की पूजा होती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यहां नहीं किया जाता है दहन

मध्यप्रदेश के मंदसौर में दशहरे के दिन रावण दहन नहीं किया जाता। इसका कारण यह है कि मंदसौर जिसका पुराना नाम दशपुर था, उसे रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका माना जाता है। इस प्रकार मंदसौर में रावण को दामाद के रूप में जाना जाता है। ऐसे में यहां के लोग रावण को \“दामाद\“ मानकर उसका दहन नहीं करते, बल्कि पूजा करते हैं।



  
यहां स्थित है मंदिर

उत्तर प्रदेश के बिसरख में भी रावण दहन नहीं किया जाता। जिसका कारण यह है कि इस स्थान को रावण के ननिहाल के रूप में देखा जाता है। महाकाव्य रामायण में इस बात का वर्णन किया गया है कि रावण का जन्म यहीं हुआ जाता है। बिसरख में लंकापति का एक मंदिर भी स्थापित है, जहां दशहरे के दिन रावण की पूजा-अर्चना होती है।


इन स्थानों पर भी होती है पूजा

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महाराष्ट्र के अमरावती जिले के गढ़चिरौली में आदिवासी समुदाय के लोग रावण की पूजा करते हैं। यहां रावण को कुल देवता के रूप में पूजा जाता है। यही कारण है कि इस स्थान पर दशहरे के दिन रावण दहन नहीं किया जाता। वहीं हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के बैजनाथ में भी रावण की पूजा-अर्चना की जाती है।



जिसके पीछे लोगों की मान्यता है कि रावण ने यहां भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। इसी के साथ महाकाल की नगरी उज्जैन में भी रावण को शिवभक्त के रूप में देखा जाता है और उसकी पूजा की जाती है। यहां कई लोग दशहरा के दिन व्रत और हवन भी करते हैं।  

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है

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