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भूल जाइए ट्यूबलेस, अब आ रहा एयरलेस टायर्स का जमाना, जानें कैसे करते हैं काम?

LHC0088 2025-11-14 17:58:35 views 992

  

एयरलेस टायर्स के फायदे और नुकसान।



ऑटो डेस्क, नई दिल्‍ली। भारत में ऑटोमोबाइल बाजार काफी तेजी से बदल रही है। इसी तरह से टायर तकनीक में भी कई बड़े बदलाव देखने के लिए मिल रहगे हैं। अभी तक हम ट्यूब वाले और ट्यूबलैस टायरों का इस्तेमाल करते हुए आए हैं। अब एक नई एडवांस तकनीक आ गई है, जो एयरलेस टायर्स है। ये टायर्स ऐसे समय में आए हैं, जब लोगों की पहली पसंद सुरक्षा, बेहतर परफॉर्मेंस और कम मेंटेनेंस बन चुके हैं। यह टायर बाइक से लेकर कार तक का पूरा वजन बेहतरीन तरीके से संभालते हुए स्मूद और सुरक्षित ड्राइविंग देने का काम करते हैं। हम यहां पर आपको एयरलेस टायर्स के बारे में विस्तार में बता रहे हैं कि यह किस तरह से काम करते हैं? विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
क्या हैं एयरलेस टायर्स?

  • एयरलेस टायर्स की सबसे खास बात यह है कि इनमें हवा की जरूरत ही नहीं होती है। इनमें न कोई कोई एयर फिलिंग, न कोई पंक्चर और न ही ब्लास्ट होने का डर होता है। इन टायर्स में हवा की जगह पर खास डिजाइन किए गए रबस स्पोक्स और बेल्ट का इस्तेमाल होता है, जो टायर को मजबूती और शेप देने का काम करते हैं। इस वजह से इनके खराब और पंक्चर होने की चिंता रहती है।
  • एयरलेस टायर्स का इंटीरियर स्ट्रक्चर बाहर से दिखाई देता है, जो इन्हें एक अनोखा और फ्यूचरिस्टिक लुक देने का काम करते हैं। यह पूरी तरह से मेंटेनेंस-फ्री होते हैं। इसमें ना एयर प्रेशर चेक करने की जरूरत होती है और न ही बार-बार रिपेयरिंग की जरूरत पड़ती है। इससे यह लॉन्ग ड्राइव और ऑफ-रोड कंडीशन्स के लिए एक बेहतरीन विकल्प बन जाते हैं।

एयरलेस टायर्स की कीमत?

सबसे किफायती एयरलेस टायर्स की कीमत करीब 10,000 रुपये से 20,000 रुपये के बीच है। इसकी कीमत साइज, क्वालिटी और ब्रांड के अनुसार बदलती है। दूसरी ओर, भारत में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले ट्यूबलैस टायर्स की कीमत 1,500 रुपये से 60,000 रुपये तक जाती है। यानी कि एयरलेस टायर्स की कीमत वर्तमान में ट्यूबलैस टायर्स से कई गुना ज्यादा है। हालांकि, उम्मीद है कि जैसे-जैसे यह तकनीक आम होगी, कीमतों में कमी आ सकती है।
एयरलेस टायर्स के नुकसान

एयरलेस टायर्स मजबूत होते हैं और खराब सड़कों पर झटके सहन कर लेते हैं, लेकिन इसी वजह से सवारी थोड़ी ज्यादा झटकेदार महसूस हो सकती है। इन टायर्स का सड़क से ज्यादा संपर्क होता है, जिससे गाड़ी को आगे बढ़ाने में ज्यादा मेहनत (ड्रैग) लगती है। इसकी वजह से इलेक्ट्रिक वाहनों में बैटरी जल्दी खत्म हो सकती है और रेंज कम हो सकती है। पेट्रोल या डीजल गाड़ियों में माइलेज (MPG) कम हो सकता है। सड़क से लगातार रगड़ होने पर गाड़ी चलाते समय ज्यादा कंपन (वाइब्रेशन) महसूस हो सकता है। इलेक्ट्रिक कारों में इंजन की आवाज नहीं होती, इसलिए यह कंपन और टायर की आवाज काफी ज्यादा सुनाई दे सकती है।
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