शास्त्रीनगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में अखिल भारतीय विज्ञान मेले मे संबोधित करते उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक। जागरण
जागरण संवाददाता, मेरठ। अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान विद्या भारती की ओर से बालेराम ब्रजभूषण सरस्वती शिशु मंदिर सीनियर सेकेंड्री स्कूल में आयोजित 23वें अखिल भारतीय विज्ञान मेले का शुभारंभ गुरुवार को उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सर कार्यवाह कृष्ण गोपाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। गोपाल कृष्ण ने कहा कि पिछले एक हजार वर्षों से भारतीय परंपरा को समाप्त करने की कोशिश की गई, लेकिन अब विद्या भारती उन्हीं प्राचीन मूल्यों और परंपराओं को पुनजीर्वित कर रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बताया कि गोरखपुर के एक तबेले से शुरू हुई विद्या भारती की पहल आज 11 हजार से अधिक विद्यालयों तक पहुंच चुकी है, जहां 34 लाख छात्र पढ़ रहे और डेढ़ लाख आचार्य कार्यरत हैं। उन्होंने मातृभाषा-आधारित शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि, मातृभाषा केवल भाषा नहीं, हजारों संस्कारों का वाहक है।
गोपाल कृष्ण ने कहा कि अंग्रेजी माध्यम का छात्र हनुमान चालीसा, तुलसीदास, गीता जैसे ग्रंथों पढ़ तक नहीं पाता है। देश की महान विभूतियों की प्रेरक कहानियां नहीं पढ़ पाते हैं, साहित्य नहीं पढ़ पाते हैं और इसीलिए संस्कारों से दूर हो जाते हैं। कहा कि इसलिए कक्षा आठवीं तक की शिक्षा मातृभाषा में अनिवार्य होनी चाहिए, तभी सच्चे संस्कार संभव हैं। उन्होंने चेताया कि, जो शिक्षा सबसे मिलकर रहना, सहन-शक्ति, सम्मान न सिखाएं वह शिक्षा राक्षसी बन जाती है।
आज की शिक्षा में बहुत ज्यादा ज्ञान मिल रहा है, पर संस्कार नहीं, इसे बदलना होगा। विज्ञान मेले की प्रस्ताविकी अखिल भारतीय विज्ञान संयोजक नगेन्द्र पाण्डेय ने पेश की। इस अखिल भारतीय विज्ञान मेले में पूरे देश से 473 बाल वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं। कार्यक्रम अध्यक्ष वरूण अग्रवाल, विशिष्ट अतिथि ऊर्जा राज्य मंत्री सोमेन्द्र तोमर, विज्ञा भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो० रविन्द्र कान्हरे का स्वागत प्रधानाचार्य कृष्ण कुमार शर्मा ने किया।
अंक नहीं ज्ञान बढ़ाएं विद्यार्थी : ब्रजेश पाठक
बृजेश पाठक ने देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए बाल विज्ञानियों से कहा कि विद्यार्थी अपनी मार्कशीट में अंक बढ़ाने पर जोर देने की बजाए अपना ज्ञान बढ़ाने पर ध्यान दें। स्कूलों में आचार्यों से खूब प्रश्न पूछे, अपना सिलेबस ही पूरा न करें बल्कि उससे जुड़ी गहरे ज्ञान को समझें। एक या दो नहीं बल्कि हर विषय पढ़ें और गहनता से ज्ञान अर्जित करें। उप-मुख्यमंत्री ने मेरठ के अभिभावकों से अपील करते हुए कि बच्चों को मार्कशीट के जाल से बाहर निकालिए। उन्हें ज्ञान को गले लगाने को प्रेरित करें, अंक स्वयं मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जैसी विभूतियों ने ज्ञान को अपनाया और इतिहास रचा। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि भारत की शिक्षा व्यवस्था को अंग्रेजों ने क्लर्क तैयार करने वाली व्यवस्था बना दिया था, लेकिन आज भारत विज्ञान के माध्यम से दुनिया को रास्ता दिखा रहा है।
कहा कि जिस प्रकार राजा दशरथ के शब्दभेदी बाण अचूक थे, उसी तरह आज भारत की ब्रह्मोस मिसाइलें भी पाकिस्तान में सटीक लक्ष्य पर प्रहार कर रही है। यह हमारी वैज्ञानिक क्षमता का प्रमाण है। कार्यक्रम की शुरुआत श्रीराम स्तुति की मनमोहक प्रस्तुति से करने वाली छात्राओं को उप-मुख्यमंत्री ने 2,100 रुपये नकद पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया। |