प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (फाइल फोटो)
संवाद सूत्र, फुलपरास। जननायक भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की कर्मभूमि फुलपरास विधानसभा 1952 में अस्तित्व में आने से लेकर अब तक कुल 18 बार विधानसभा चुनाव हुए।
जिसमें सबसे अधिक पांच बार जीतने वाली कांग्रेस से अंतिम बार 1995 में देवनाथ यादव विधायक बने थे तो इधर 2005 को छोड़कर 2000 ई से जदयू का कब्जा है।
इसके अलावा संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी तीन बार, जनता पार्टी तीन बार, जनता दल एक बार, समाजवादी पार्टी दो बार एवं जनता दल यूनाइटेड चार बार अपना अपना जीत का परचम लहराया है। इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व राज्य सत्ता से लेकर केन्द्र की सत्ता तक रसूख रखने वाले कई दिग्गज कर चुके हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
1977 के उपचुनाव में मुख्यमंत्री रहते जननायक भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर,1967 एवं 1969 में पूर्व राज्यपाल व पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के साथ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पद को सुशोभित करने वाले धनिकलाल मंडल, पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेन्द्र प्रसाद यादव के अलावा क्षेत्र के प्रथम विधायक स्वतंत्रता सेनानी पंडित काशीनाथ मिश्र आदि किए है।
1967 में निर्वाचित विधायक धनिकलाल मंडल विधानसभा अध्यक्ष बने थे, जिसके 53 वर्षों के बाद 2020 में शीला मंडल मंत्री बनी। इस सीट से उपचुनाव सहित तीन बार देवनाथ यादव तो दो बार उनकी पत्नी गुलजार देवी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।
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फुलपरास के प्रतिनिधित्व करने वाले प्रथम विधायक पंडित काशीनाथ मिश्र, 1972 में लौकही प्रखंड निवासी उत्तमलाल यादव एवं 1977 उपचुनाव में विजयी हुए जननायक कर्पूरी ठाकुर के अलावा निर्वाचित सभी विधायक के गांव का नाम ब अक्षर से शुरू होता है या ब अक्षर प्रमुख है।
सिसबा बरही गांव से 8 बार बने विधायक
फुलपरास विधानसभा के 18 बार हुए चुनाव में 8 बार विधायक एक ही गांव सिसबा बरही जिसे बोलचाल की भाषा मे बरही गांव से कहा जाता है से चुने गए है।
जिसमें 1957 एवं 1962 में कांग्रेस से रसिकलाल यादव, 1977 में जनता पार्टी से देवेन्द्र प्रसाद यादव, 1995 में कांग्रेस एवं 2005 में आम एवं उपचुनाव में समाजवादी पार्टी से देवनाथ यादव तथा 2010 एवं 2015 में जनतादल यूनाइटेड से देवनाथ यादव की पत्नी गुलजार देवी विधायक बनी है।
धनिकलाल मंडल एवं वर्तमान विधायक शीला मंडल बेलहा निवासी है तो 1980 में जनता जनता पार्टी से निर्वाचित सुरेन्द्र प्रसाद यादव विधायक का घर बसुआरी है।
इसी तरह 1985 में कांग्रेस से निर्वाचित हेमलता यादव का घर बसखोरा है तो 1990 एवं 2000 में जीते रामकुमार यादव का घर ब्रह्मपुर है। कुल मिलाकर तीन बार ही ऐसे प्रत्याशी जीते जिनके गांव का नाम ब अक्षर से नहीं शुरू हुआ है।
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