जागरण संवाददाता, गोरखपुर। चिड़ियाघर की शान रही बाघिन मैलानी ने बुधवार की सुबह अंतिम सांस ली। लखनऊ चिड़ियाघर से जनवरी 2021 में गोरखपुर लाई गई मैलानी यहां आने वाली पहली बाघिन थी। उसकी गर्जना पूरे चिड़ियाघर में गूंजती थी, जो दर्शकों को रोमांचित कर देती थी। लगभग चार वर्ष तक वह मुख्य बाड़े में रहकर चिड़ियाघर की प्रमुख आकर्षण रही। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
प्राणी उद्यान के निदेशक डॉ. बीसी. ब्रह्मा ने बताया कि बढ़ती उम्र के कारण मैलानी को चलने और देखने में कठिनाई होने लगी थी। ऐसे में उसे मुख्य बाड़े से हॉस्पिटल क्षेत्र में शिफ्ट कर दिया गया था, ताकि बेहतर देखभाल की जा सके। उप निदेशक एवं पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह के अनुसार, अधिक उम्र के चलते उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम हो गई थी। इसी बीच चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू फैलने से वह भी संक्रमित हो गई थी।
गहन उपचार के बाद बर्ड फ्लू से तो वह उबर गई, लेकिन संक्रमण के दुष्प्रभाव और उम्रजनित जटिलताओं के कारण उसका पाचन तंत्र, किडनी और लिवर ने काम करना कम कर दिया था। आईवीआरआई बरेली, पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय कुमारगंज अयोध्या तथा अन्य चिड़ियाघरों के वन्यजीव विशेषज्ञों की देखरेख में उसका इलाज जारी था। लगातार छह महीने तक उपचार के बाद बुधवार सुबह उसने दम तोड़ दिया। प्राणी उद्यान प्रबंधन की ओर से मैलानी के निधन पर शोक सभा आयोजित की गई, जिसमें निदेशक डा. बीसी ब्रह्मा, उपनिदेशक डा. योगेश प्रताप सिंह, डा. आरके सिंह, डा. साकेत श्रीवास्तव, क्षेत्रीय वन अधिकारी श्याम विहारी सिंह, मारकण्डेय गौड़, रीमा गुप्ता समेत सभी कर्मियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
मैलानी से रेस्क्यू कर लाया गया था लखनऊ
बाघिन मैलानी को वर्ष 2013 में मैलानी के जंगलों से रेस्क्यू कर लखनऊ चिड़ियाघर लाया गया था। इसलिए इसका नाम भी मैलानी रखा गया। इस समय उसकी उम्र 16 वर्ष थी। उप निदेशक डा. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि पूरी तरह से जंगली होने के बाद भी बाघिन मैलानी का स्वभाव शांत था। इसने कभी आक्रामकता नहीं दिखायी और न ही किसी पर हमला करने की कोशिश की। एक बार सफेद बाघिन गीता ने इस पर हमला कर दिया था। इसके बाद भी इसने गंभीरता दिखाते हुए उसका जबाब नहीं दिया और वहां से उठकर दूसरे जगह चली गई। |