प्रतीकात्मक तस्वीर।
संवाद सहयोगी, जागरण. खरखौदा। साल 2018 में हरियाणा के एक छोटे से गांव में रहने वाली 14 वर्षीय नाबालिग लड़की अपने मामा के घर आई थी। उसी गांव के युवक ने उसकी मासूमियत का फायदा उठाया। उसने न केवल लड़की के साथ दुष्कर्म किया, बल्कि उसे चुप रहने के लिए जान से मारने की धमकी भी दी। डर और परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण लड़की ने यह संगीन अपराध सबसे छुपा लिया। माता-पिता की मजबूरी और सामाजिक कलंक का भय उसे खामोश बनाए रखा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शादी के बाद खुला राज
समय बीता और लड़की बड़ी हुई। हाल ही में उसकी शादी हुई। वैवाहिक जीवन की शुरुआत में उसने अपने पति को सात साल पुरानी आपबीती सुनाई। यह सुनकर पति स्तब्ध रह गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने पत्नी को न्याय का वादा किया और कहा, “तुम अकेली नहीं हो, अब मैं हूं।“ पति की हिम्मत ने लड़की में नई उम्मीद जगाई। दोनों ने मिलकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया।
पुलिस में शिकायत और कार्रवाई
इस संबंध में पति ने खरखौदा थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत एफआईआर दर्ज की। आरोपित अमरजीत के खिलाफ पाक्सो एक्ट की धाराओं के साथ-साथ जान से मारने की धमकी (धारा 506 आईपीसी) का केस भी लगाया गया। अब पुलिस ने आरोपों के आधार पर तथ्यों की गहन जांच शुरू कर दी है।
समाज के लिए सबक
यह घटना न केवल एक परिवार की लड़ाई है, बल्कि समाज में छिपी उस मानसिकता को उजागर करती है जो पीड़िताओं को चुप रहने पर मजबूर करती है। पति का साथ और पुलिस की सक्रियता बताती है कि देर से ही सही, न्याय संभव है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं में समय सीमा नहीं होनी चाहिए, ताकि हर पीड़िता बिना डर के आगे आए। यह कहानी साहस, समर्थन और कानूनी व्यवस्था की ताकत का प्रतीक बन रही है।
यह भी पढ़ें- सोनीपत में नौकरी से निकाले जाने पर भड़के बिजली कर्मचारी, जमकर किया विरोध प्रदर्शन |