deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

Bihar Voting 2025: दूसरे चरण में बिहार ने रच दिया इतिहास, यहां देखें सभी 122 सीटों के चौंकाने वाले आंकड़े

cy520520 2025-11-12 16:42:57 views 355

  

बिहार विधानसा चुनाव 2025 में वोट देने के बाद युवती। फाटो जागरण  



जागरण टीम, पटना। Bihar Election 2025 में पहले चरण की बंपर वोटिंग से होड़ लेते हुए दूसरे चरण ने मतदान का जो रिकार्ड बनाया है, उसने लोकतंत्र के प्रति बिहार की अगाध आस्था का सार्वजनिक उद्घोष कर दिया है। चंपारण, मिथिला, मगध, शाहाबाद, कोसी, सीमांचल के जिन 122 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान हुआ, वे कुल 20 जिलों का अंश हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सुबह-सकारे से ही मतदान केंद्रों पर महिलाओं का जो हुजूम उमड़ा, वह शाम छह बजे तक थमने का नाम नहीं ले रहा था। महिलाओं की तरह ही युवा भी इस बार कुछ अधिक उत्साही रहे और मुसलमानों के बंपर वोटिंग का तो पुराना रिकार्ड है।

  

अब प्रत्याशी जीत-हार का गुणा-गणित लगा रहे। वस्तुत: दूसरा चरण ही सत्ता के लिए निर्णायक है। पिछली बार इस परिक्षेत्र में एनडीए को अच्छी बढ़त मिली थी और इस बार भी वह आश्वस्त है। अपने आधार वोटरों और युवाओं के बूते महागठबंधन सेंधमारी का दावा कर रहा।

  

नेपाल के साथ उत्तर प्रदेश, बंगाल और झारखंड के सीमावर्ती इन विधानसभा क्षेत्रों का समीकरण भी भौगोलिक संरचना की तरह ही पेचीदा रहा है। हालांकि, एग्जिट पोल इस इलाके में पहले की तरह इस बार भी एनडीए की बढ़त का अनुमान लगाए हैं।

2020 में इन 122 में से 66 सीटें एनडीए को मिली थीं। महागठबंधन को 49 सीटों से संतोष करना पड़ा था। एआइएमआइएम को पांच और एक-एक सीट बसपा और निर्दलीय के खाते में गई थीं।
बिहार के सभी क्षेत्रों का विश्लेषण

मगध परिक्षेत्र की 28 सीटें (गया में 10, औरंगाबाद में छह, नवादा में पांच, जहानाबाद में तीन, अरवल में दो) बिहार की सत्ता की कुंजी हैं। यहां एनडीए की रिकवरी या महागठबंधन की मजबूती तय करेगी कि नीतीश बने रहेंगे या तेजस्वी सत्ता में आएंगे। मतदान शांतिपूर्ण रहा, लेकिन युवा असंतोष (विशेषकर पुरुषों में) और महिलाओं का बढ़ता प्रभाव परिणाम बदल सकता है।

2020 में यहां महागठबंधन ने 20 सीटें जीती थीं, जबकि एनडीए को मात्र छह सीटें मिली थीं। इस बार एनडीए अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए आक्रामक रणनीति पर रहा, जबकि महागठबंधन ने मजबूत पकड़ बनाए रखने का भरसक प्रयास। जन सुराज पार्टी और एआइएमआइएम आदि ने कुछ सीटों पर असर डालने का प्रयास किया है।

जातिगत समीकरण (यादव, कोइरी, महादलित, ईबीसी, मुस्लिम) के साथ मुद्दों (बेरोजगारी, प्रवासन, विकास) पर मतदान हुआ है, इसलिए आश्वस्त कोई खेमा नहीं। मतदान शांतिपूर्ण रहा, लेकिन कुछ जगहों पर ईवीएम संबंधी शिकायतें आईं, जिसे समय रहते ठीक कर लिया गया। ईबीसी और महिलाओं के साथ युवाओं का वोट निर्णायक है।

शाहाबाद क्षेत्र में कुल 22 विधानसभा सीटें हैं। पहले चरण में भोजपुर की सात और बक्सर की चार सीटों पर मतदान हो चुका है। दूसरे चरण में रोहतास की सात और कैमूर की चार सीटों पर वोट गिरे हैं। पिछली बार इन दोनों जिलों में एनडीए का खाता भी नहीं खुला था। इसलिए शाहाबाद की जीत-हार का महत्व इस बार अधिक है।

राजनीतिक रूप से इस परिक्षेत्र की महिलाएं भी अपेक्षाकृत अधिक सजग हैं। जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर का गृह विधानसभा क्षेत्र भी करगहर भी इसी का अंश है। यह परिक्षेत्र उच्च शिक्षित और आर्थिक रूप से मजबूत है, लेकिन पिछले चुनावों में एनडीए के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। उच्च साक्षरता के बावजूद पलायन दर अधिक है।

पिछली बार इसकी 22 सीटों में से 20 सीटें महागठबंधन के खाते में गई थीं। दो एनडीए को मिली थीं और एक सीट पर बसपा विजयी रही थी। भाजपा का आपरेशन शाहाबाद (पुराने नेताओं को वापस लाना और जातीय संतुलन बनाना) अगर कुछ हद तक भी सफल हुआ है तो फिर महागठबंधन को यहां ठेस लगना तय है।


अंग प्रदेश (कुल 23 सीटें) वस्तुत: बिहार का पूर्वी परिक्षेत्र है, जो ऐतिहासिक रूप से अंग जनपद रहा है। भागलपुर, बांका, मुंगेर, जमुई, शेखपुरा और अरवल जिला इसके मुख्य अंश हैं। मुंगेर, अरवल, शेखपुरा में पहले चरण में मतदान हो चुका है। भागलपुर (सात सीट), बांका (पांच सीट) और जमुई (चार सीट) में दूसरे चरण में मतदान हुआ है।

अधिसंख्य मतदान केंद्रों पर महिलाओं की कतारें पुरुषों की तुलना में अधिक लंबी थीं। इससे एनडीए को बड़ी आस है। 2020 में 13 एनडीए और तीन सीटें महागठबंधन के पाले में गई थीं। इस बार भी कमोबेश वैसी ही स्थिति प्रतीत हो रही। एनडीए हालांकि मजबूत है, लेकिन महागठबंधन को यादव-मुस्लिम वोटों के भरोसे अपनी जीत का दावा है।

जातिगत समीकरण (यादव, मुस्लिम, कोइरी, भूमिहार आदि), बाढ़-कटाव, सिल्क उद्योग का पुनरोद्धार, प्रवासन और विकास के मुद्दे हावी रहे। अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और नीतीश कुमार ने रैलियां कीं। रेल दोहरीकरण (भागलपुर-दुमका), पर्यटन पार्क (सुल्तानगंज में 100 एकड़) आदि विकास के काम गिनाए।

चंपारण (पश्चिमी और पूर्वी ) के कुल 21 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान हो चुका है। नेपाल सीमा से सटा होने के कारण इस परिक्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही। सीमा 72 घंटे पहले ही सील कर दी गई थी। मतदान शांतिपूर्ण रहा, लेकिन पूर्वी चंपारण के चिरैया में पैसे बांटने के वीडियो वायरल हुए, जिसकी शिकायत हुई।

पुलिस ने नकदी और मतदाता-सूची बरामद की। पश्चिमी चंपारण के कुछ गांवों में मतदान बहिष्कार की खबरें आईं, जिससे शुरुआती टर्नआउट प्रभावित हुआ। उसके बाद भ्ज्ञी चंपारण ने अच्छा प्रदर्शन किया, विशेषकर महिलाओं और युवाओं के उत्साह के दम पर। चंपारण एनडीए का पारंपरिक गढ़ रहा है, जहां 2020 में उसने 17 सीटें जीती थीं।

इस बार भी एनडीए मजबूत दिखा, लेकिन महागठबंधन ने कुछ सीटों पर कड़ा मुकाबला किया। जन सुराज पार्टी ने त्रिकोणीय मुकाबला जोड़ा। दो सीटों ṇ(हरिसिद्धि और नरकटियागंज) पर त्रिकोणीय अपनों के चलते दिखी। एक सीट पर टिकट नहीं मिलने पर दूसरी पार्टी से खड़ा होना तो दूसरी पर एक ही गठबंधन के दो उम्मीदवारों के खड़े होने से ऐसी स्थिति बनी।

सीमांचल के चार जिलों (पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज) में बंपर वोटिंग हुई है। यहां अधिकतम मतदान का रिकार्ड टूट चुका है। इस परिक्षेत्र में 40 प्रतिशत से अधिक मुसलमान मतदाता हैं और पहले भी यहां बंपर मतदान का इतिहास रहा है। हालांकि, इस बार रिकार्ड टूटने का कारण मुसलमानों से अधिक हिंदू मतदाता रहे, जैसा कि मतदान केंद्रों पर दिखा है।

पिछली बार सीमांचल में एनडीए ने 24 में से 11 सीटें जीती थीं। एमआएमआइएम को पांच और महागठबंधन को आठ सीटें मिली थीं। हालांकि, बाद में एआइएमआइएम के चार मुस्लिम विधायक राजद में सम्मिलित हो गए। सिर्फ पूर्णिया के अमनौर में जीते अख्तरूल इमान भी एआइएमआइएम में बच गए।

एनडीए का दावा है कि जंगलराज को रोकने और सुशासन की सरकार पर भरोसे के लिए यह बंपर मतदान हुआ है। मोदी-नीतीश की डबल इंजन सरकार महिलाओं की पहली पसंद है। वहीं, महागठबंधन इसे सत्ता विरोधी लहर बता रहा। पिछली बार किशनगंज की चार सीटों में से एक पर भी एनडीए का खाता नहीं खुला था।

मिथिला परिक्षेत्र के दरभंगा और समस्तीपुर जिला की 21 सीटों पर पहले चरण में चुनाव हो चुका है। वहां भारी मतदान को महागठबंधन व एनडीए अपने-अपने पक्ष में देख रहे। मंगलवार को दूसरे चरण में मिथिला के हृदय स्थल कहे जाने वाले मधुबनी की 10 सीटों पर मतदान हुआ। यहां रिकार्ड 63.01 प्रतिशत वोटिंग हुई।

सभी 10 सीटों के गुना गणित को वोटिंग ट्रेंड व समीकरण के नजरिए से देखें तो एनडीए के गढ़ को भेदने में महागठबंधन ने पूरी कोशिश की है। अभी आठ पर एनडीए का कब्जा है। वह इस फिगर को बदलता देख रहा है। महागठबंधन के लिए इस बार एमवाई समीकरण मजबूती से गोलबंद दिखा।

साथ ही प्रत्याशी के जातीय वोटर को समेटने में भी कुछ सफलता दिख रही है। जैसे बाबूबरही में एमवाई के अलावा कुशवाहा प्रत्याशी को कुशवाहा का वोट, मधुबनी में वैश्य का कुछ वोट जाता दिखा। बिस्फी में एमवाई की मजबूती हिंदुत्व के नाम पर यादवों में कम टूट जैसी चीजें महागठबंधन के लिए फायदेमंद दिख रही हैं। मुकेश सहनी के नाम पर मल्लाह वोटर पूरी तरह महागठबंधन को शिफ्ट होते नहीं दिखा।
like (0)
cy520520Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Previous / Next

Previous: new crypto casino Next: be gamble aware

Explore interesting content

cy520520

He hasn't introduced himself yet.

310K

Threads

0

Posts

910K

Credits

Forum Veteran

Credits
97743