रामलीला का मंचन करते कलाकार। फोटो- सौ. समिति
चेतना राठौर, नोएडा। वर्ष 1984, जब नोएडा की गलियों में बच्चे दो-दो रुपये का चंदा जुटाकर रामलीला के मंच को सजाने की तैयारी करते थे, तब शायद ही किसी ने सोचा था कि यह छोटी सी शुरुआत एक दिन शहर के साथ एनसीआर की सांस्कृतिक पहचान बन जाएगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अट्टा धर्म पैलेस में रावण, कुंभकरण और मेघनाद के दहन के साथ शुरू हुआ यह पौराणिक उत्सव, सेक्टर 19 के पार्क में परदे पर जीवंत हो उठा। बिना किसी आधुनिक तकनीक के, कलाकारों के जुनून और समर्पण से सजा मंच शुरूआती दौर में सैकड़ों दर्शकों को आनंदित कर रहा था।
यह संख्या अब हजारों तक पहुंच चुकी है। मंच के दृश्य बदलने वाला एक व्यक्ति, हाथों से तैयार किया गया सादगी भरा मंचन, और दर्शकों का उत्साह यह थी नोएडा की पहली रामलीला की आत्मा।
उस दौर में, जब नोएडा बुलंदशहर जिले का हिस्सा था, इस रामलीला ने गौतम बुद्ध नगर के गठन से पहले ही शहर की सांस्कृतिक नींव रख दी। आज, 40 साल बाद भी यह परंपरा नोएडा के दिल में धड़कती है, जो हर साल रामायण की गाथा को नई पीढ़ी तक पहुंचा रही है।
श्री सनातन धर्म रामलीला समिति के महासचिव संजय बाली बताते हैं कि रामलीला में वे स्वयं लक्ष्मण का किरदार निभाते थे। मंचन के लिए घरों से सामान चोरी छुपे लेकर रामलीला का पंडाल तैयार करते थे। रामलीला में किरदार निभाने वाले बच्चे स्वयं ही ड्रेस तैयार करते थे।
जुनून इतना था कि पूरी-पूरी रात जागकर रामलीला की तैयारियां तीन माह पहले से शुरू कर देते थे। रामलीला देखने के लिए दिग्गज नेता भी पहुंचते थे। कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शिद, पूर्व मंत्री डीपी यादव भी रामलीला देखने पहुंचते थे।
एक साल जंगल में हुई रामलीला
समाजवादी पार्टी के हस्तक्षेप के बाद एक साल सेक्टर 32 के जंगल में रामलीला का मंचन किया गया था। जंगल में होने के बाद भी लोग का प्यार रहा की अधिक संख्या में लोग देखने पहुंचे।Karur rally stampede,Tamil Nadu stampede,Actor Vijay rally,TVK CBI investigation demand,DMK government negligence,Tamiliga Vetri Kazhagam,Karur rally deaths,Vijay compensation announcement,Tamil Nadu police investigation,Justice Aruna Jagadeesan commission
10 साल पहले शुरू हुई रामलीला
सेक्टर 21 ए नोएडा स्टेडियम में रामलीला का शुभारंभ किया गया था। जिसे देखने दिल्ली एनसीआर से अधिक संख्या में लोग पहुंचते हैं। 1995 में नोएडा स्टेडियम में रामलीला की शुरुआत की गई थी।
हाथ से खींचते थे पदरा
मंच पर रामलीला के प्रसंग के अनुसार बैकग्राउंड बदलने के लिए परदे लगाए जाते थे। जिन्हें हाथ से खीच कर बदला जाता था। नदी,जंगल,पानी प्रसंग के अनुसार बदला जाता था।
रामलीला को 40 साल पूरे हो चुके हैं,तीन बार दिल्ली एनसीआर में लाइफ टाइम अवार्ड भी जीत चुके हैं। इसी के साथ रामलीला को सोशल मीडिया के जरिए देशभर में दिखाया जा रहा है।
- संजय बाली,महासचिव,श्रीसनातन धर्म रामलीला समिति,सेक्टर 19
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